आधार कार्ड पर निबंध | Aadhar Card Essay In Hindi

आधार कार्ड पर निबंध:- समस्याओं के समाधान एवं भारत के लोगों को एक विशिष्ट पहचान देने के क्रम में एक सार्थक प्रयास है ‘विशिष्ट पहचान संख्या-आधार। यह भारत के लोगों को न केवल पहचान सम्बन्धी परेशानियों से छुटकारा दिलाएगा, बल्कि इससे भ्रष्टाचार के नियन्त्रण में भी मदद मिलेगी। सूचना एवं संचार क्रान्ति के इस युग में यदि लोगों को अपनी पहचान को लेकर अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़े तो इससे निश्चित तौर पर न केवल देश की तरक्की में बाधा पहुँचेगी बल्कि शान्ति एवं सुव्यवस्था कायम करना भी कठिन होगा।

आधार कार्ड पर निबंध

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आधार कार्ड क्यों है जरूरी

व्यक्ति की पहचान से सम्बन्धित मामला उसके रोजमर्रा के जीवन से जुड़ा होता है। बैंक में खाता खुलवाना हो, पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेन्स बनवाना हो, उपयुक्त पहचान-पत्र के अभाव में इन कार्यों को पूरा करना सम्भव नहीं होता। पहचान-पत्र की इन्हीं उपयोगिताओं एवं विभिन्न प्रक्रियाओं की जटिलताओं के कारण इससे सम्बन्धित जालसाजी देश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है। कुछ लोग दूसरे व्यक्तियों के जाली पहचान-पत्र बनवाकर विभिन्न प्रकार की सुविधाओं का लाभ उठा लेते हैं। इससे वास्तविक व्यक्ति को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं सब समस्याओं को ध्यान में रखकर लोगों के लिए एक ऐसी पहचान-पत्र निर्मित करने की आवश्यकता थी, जिससे उपरोक्त समस्याओं का पूर्णतः समाधान हो सके।

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यूनीक आईडेन्टिफिकेशन अथॉरिटी क्या है

यूनीक आईडेन्टिफिकेशन अथॉरिटी (यू.आई.डी.ए.) द्वारा भारत के सभी निवासियों को जारी की जाने वाली 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या को ‘आधार’ नाम दिया गया है। इस संख्या को केन्द्रीय डाटाबेस में संरक्षित कर इसे व्यक्ति की मूल जनसांख्यिकीय एवं बायोमैट्रिक सूचनाओं, जैसे उसकी फोटो, फिंगर प्रिन्ट एवं आयरिस (आँखों की पुतली) की छाप से सम्बद्ध किया जाएगा। व्यक्ति को दी जाने वाली संख्या यादृच्छ तरीके से तय की जाएगी, किसी जाति, क्षेत्र, धर्म इत्यादि के वर्गीकरण के आधार पर इसे जारी नहीं किया जाएगा। ‘आधार’ व्यक्ति की विशिष्ट पहचान व्यक्त करने वाली एक संख्या है, न कि किसी प्रकार का अन्य कार्ड।

यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए जारी किया जाएगा। इसके लिए ऊपरी आयु की कोई सीमा नहीं है, किन्तु न्यूनतम आयु 15 वर्ष निर्धारित की गई है। इसे प्राप्त करना वैकल्पिक है न कि आवश्यक अर्थात् यह व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह अपने लिए ‘आधार’ बनवाए या नहीं। यह प्रत्येक व्यक्ति को जारी किया जा सकता है, भले ही उसके पास पहले से कोई अन्य पहचान-पत्र हो या नहीं। चुनाव में मतदान से लेकर बैंक के क्रियाकलापों एवं अन्य कई विभिन्न कार्यों में इसका उपयोग हो सकेगा।

नागरिकों को विशिष्ट पहचान-पत्र की क्यों आवश्यकता हुई

योजना आयोग ने सर्वप्रथम नागरिकों को विशिष्ट पहचान-पत्र जारी करने की आवश्यकता महसूस की थी। आयोग का कहना था कि इससे कल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुँचाने में अधिक मदद मिलेगी तथा सरकार को भी विभिन्न योजनाओं के निरीक्षण में इससे मदद मिलेगी।

इसके बाद 2006 में इस पर कार्य तब प्रारम्भ हुआ जब संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मन्त्रालय के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने 3 मार्च, 2006 को गरीबी रेखा से नीचे (बी.पी.एल.) के परिवारों के लिए विशिष्ट पहचान (यूनीक आईडेन्टिफिकेशन) प्रोजेक्ट को मंजूरी प्रदान की। इसके बाद इससे सम्बन्धित मुद्दों पर 2008 तक योजना आयोग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग एवं भारत सरकार के आधिकारिक मन्त्रियों के बीच बैठकें होती रहीं।

4 नवम्बर, 2008 को भारत सरकार के आधिकारिक मन्त्रियों के समूह की चौथी बैठक में यूनीक आईडेन्टिफिकेशन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए यूनीक आईडेन्टिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इण्डिया (यू.आई.डी.ए.आई.) नामक संस्था के गठन का निर्णय लिया गया एवं 28 जनवरी, 2009 को योजना आयोग के अन्तर्गत इसका गठन किया गया। यू.आई.डी.ए.आई. पर गठित प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता वाले मन्त्रियों के समूह ने 2 जुलाई, 2009 को श्री नन्दन नीलेकणी को यू.आई.डी.ए.आई. का अध्यक्ष नियुक्त कर उन्हें अगले पाँच वर्षों के लिए कैबिनेट मन्त्री का दर्जा प्रदान किया, जिन्होंने 23 जुलाई, 2009 को इस पद पर कार्य करना प्रारम्भ किया।

आधार की जिम्मेदारी किसको सौंपी गई

प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी यू.आई.डी.ए.आई. से सम्बन्धित योजनाओं, नीतियों, कार्यक्रमों इत्यादि मामलों पर नजर रखती है, ताकि अथॉरिटी अपने लक्ष्यों को निर्धारित समय में पूरा कर सके। अथॉरिटी की योजना 2015-16 तक 60 करोड़ विशिष्ट पहचान संख्या जारी करने का है। यह संख्या विभिन्न रजिस्ट्रार एजेन्सियों द्वारा जारी की जाएगी।

बैंक ऑफ इण्डिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेन्ट्रल बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इण्डिया, कॉर्पोरेशन बैंक, इण्डियन बैंक, पंजाब एण्ड सिन्ध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, यूनियन बैंक, कैनरा बैंक जैसे वित्तीय संस्थानों को रजिस्ट्रार एजेन्सियों के रूप में विशेष पहचान संख्या जारी करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आधार के लिए सूर्य के मध्य अँगुली के निशान वाला लोगो जारी किया गया है। सूर्य को तेज के प्रतीक के रूप में एवं अँगुली के निशान को व्यक्ति की विशिष्ट पहचान के रूप में शामिल किया गया है।

सबसे पहले आधार को क्या कहा गया था

पहले ‘आधार’ को विशिष्ट पहचान संख्या-यूनीक आईडेन्टिफिकेशन नम्बर (यू.आई.डी.) कहा जाता था, बाद में इसे बदलकर ‘आधार’ नाम दिया गया। यू.आई.डी.ए. के अध्यक्ष नन्दन नीलेकणी के अनुसार, कई कारणों से इसके नाम को बदलने की आवश्यकता पड़ी। पहले इस प्रोजेक्ट को लोग न तो सही तरह से समझ पा रहे थे और न ही इसका नाम सही तरीके से ले पा रहे थे। कोई इसे आई.यू.डी. कहता था, तो कोई डी.यू.आई. । आम आदमी के लिए विशेष पहचान संख्या नाम भी काफी लम्बा था।

इसलिए एक ऐसे नाम की आवश्यकता थी, जिसे बोलने में आम आदमी को भी दिक्कत न हो और उसमें राष्ट्रीय अपील भी हो तथा देश का आम आदमी भी यह जान सके कि प्रोजेक्ट वास्तव में क्या है एवं वह इससे किस तरह से जुड़ा है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर इसका नाम ‘आधार’ रखा गया। ‘आधार’ यानी जो व्यक्ति के जीवन की बनियाद है। इस ‘आधार’ से वह जीवन से जुड़े कई कार्य कर सकता है। आधार कार्ड पर निबंध

‘आधार’ के पंजीकरण की प्रक्रिया

यू.आई.डी.ए.आई. द्वारा तय पहचान प्रक्रिया को पूरा करने वाला प्रत्येक व्यक्ति, जो भारत का निवासी हो, ‘आधार’ प्राप्त कर सकता है। ‘आधार’ प्राप्त करने की प्रक्रिया सम्बन्धी विज्ञापन स्थानीय मीडिया द्वारा जारी किया जाएगा, जिसके बाद निवासियों को नजदीक के पंजीयन कैम्प में ‘आधार’ के लिए पंजीकरण करवाना होगा। व्यक्ति को अपने साथ पहचान सम्बन्धी कुछ दस्तावेज भी ले जाना होगा, जिसकी जानकारी मीडिया द्वारा प्रदत्त विज्ञापन में दी जाएगी।

‘आधार’ के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया के दौरान, व्यक्ति को अपनी दस अंगुलियों एवं आइरिस (आँख की पुतली) की बायोमेट्रिक स्कैनिंग करवानी होगी, इसके बाद उसकी फोटो लेकर उसे एक पंजीयन संख्या दी जाएगी। इस तरह पंजीयन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद व्यक्ति को 20-30 दिनों के भीतर एक आधार संख्या जारी कर दी जाएगी। महाराष्ट्र के नन्दुरबार जिले के तेम्भली गाँव की महिला निवासी रंजना सोनावने ‘आधार’ प्राप्त करने वाली भारत की प्रथम व्यक्ति बनी। उसे 29 सितम्बर, 2010 को आधार संख्या 782474317884 प्रदान की गई।

‘आधार’ की दो मुख्य खूबियाँ

सर्वव्यापकता एवं संख्या द्वारा व्यक्ति की पहचान, ‘आधार’ आधारित पहचान की दो मुख्य खूबियाँ हैं। सर्वव्यापकता से तात्पर्य यह है कि इसके आधार पर देश की सभी प्रकार की सेवाओं में इसका उपयोग किया जा सकेगा। इससे लोगों को बैंक खाता खोलने, पासपोर्ट बनवाने एवं ड्राईविंग लाइसेन्स बनवाने के लिए बार-बार अपनी पहचान साबित करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। ‘आधार’ सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों तथा निवासियों के बीच विश्वास को बढ़ाने में सहायक साबित होगा। इसे प्राप्त करने के बाद सार्वजनिक या निजी क्षेत्र पहचान-पत्र नहीं होने के नाम पर किसी निवासी को कोई सुविधा प्रदान करने से इनकार नहीं कर पाएँगे।

इससे गरीबों एवं वंचितों को अत्यधिक लाभ मिलेगा, क्योंकि इसके बाद बैंक या सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ वे आसानी से उठा पाएँगे। यू.आई.डी.ए.आई. के केन्द्रीकृत प्रौद्योगिक संरचना द्वारा कभी भी, कहीं भी एवं किसी भी तरह से ‘आधार’ प्राप्त व्यक्ति की प्रामाणिकता के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। आधार से सबसे बड़ा लाभ यह मिलेगा कि यह भ्रष्टाचार का समूल नाश करने में अत्यधिक मददगार साबित होगा।

पहले किसी व्यक्ति का जाली पहचान-पत्र बनवाकर कोई अन्य व्यक्ति विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ एवं लाभ प्राप्त करने में अवैध रूप से कामयाब हो जाता था। अब इस प्रकार की जालसाजी पूर्णतः समाप्त हो जाएगी। इस तरह कहा जा सकता है कि ‘आधार’ भारतीय जीवन का ऐसा आधार होगा, जो देश की प्रगति, सुख-शान्ति की वृद्धि एवं भ्रष्टाचार की समाप्ति में अहम् भूमिका निभाएगा। आधार कार्ड पर निबंध

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