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अब्राहम लिंकन का जीवन परिचय? अब्राहम लिंकन पर निबंध?

अब्राहम लिंकन का जीवन परिचय, अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी, 1809 को अमेरिका केंटकी में हुआ था। उनके पिता का नाम थॉमस लिंकन था। एवं उनकी माता का नाम नेन्सी था। जब किसी देश में आदमियों को मूली-गाजर की तरह बेचा जाने लगता है, तब अब्राहम जैसे दयालु मनुष्यों को हार्दिक दुःख होता है। अब्राहम के जीवनकाल में गोरे लोग अफ्रीकनों को जबर्दस्ती पकड़ लाते थे और उन्हें बाजार में बेचा करते थे।

अब्राहम लिंकन का जीवन परिचय (Abraham Lincoln Ka Jeevan Parichay)

अब्राहम-लिंकन-का-जीवन-परिचय

खरीदने वाले इन अफ्रीकनों से पशुओं की तरह व्यवहार करते थे। वे थोड़े से पैसों से खरीदे हुए इन दासों से बहुत अधिक काम लेते थे। इन खरीदे हुए दासों को किसी प्रकार का भी अधिकार प्राप्त नहीं होता था। राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने इस प्रथा को समाप्त करने का दृढ़ निश्चय कर लिया। इस काम को उन्होंने अपने प्राणों की बलि देकर पूरा किया।

आज उन्हीं के परिश्रम का फल है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं और उन्हें बोलने और लिखने की पूर्ण स्वतन्त्रता है। अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी, 1809 को केंटकी में हुआ था। उनके पिता निर्धन थे। वे जंगल में रहते थे। पिता की निर्धनता के कारण वे शिक्षा प्राप्त न कर सके। वे घर पर रहकर ही खेतों में मजदूरों की तरह काम करते रहे।

कार्य क्षेत्र

एक वर्ष की अवस्था में माता की मृत्यु हो गई। एक वर्ष के बाद पिता ने दूसरा विवाह कर लिया। यह सौतेली माँ पढ़ी-लिखी थी। स्वभाव की बहुत अच्छी थी। इसमें अपने पराये का भाव नहीं था। अतः इसने अब्राहम की शिक्षा की ओर ध्यान दिया।

दिन भर परिश्रम कर जब अब्राहम शाम को घर लौटते तो उनकी सौतेली माँ उन्हें अँगीठी के मंद प्रकाश में लिखना पढ़ना सिखाती। सौतेली माता की प्रेरणा से इनकी पढ़ने-लिखने में रुचि बढ़ने लगी।

लिंकन को पता चला कि एक किसान के पास जार्ज वाशिंगटन की जीवनी हैं। आप उस किसान से जीवनी ले आये और बड़ी लगन से उसे पढ़ने लगे। लिंकन पुस्तक की बहुत सुरक्षा रखते थे। एक दिन वर्षा में पुस्तक भीग गई। लिंकन बहुत दुःखी हुए।

वे पुस्तक लेकर किसान के पास गये। किसान पुस्तक देखकर बहुत अप्रसन्न हुआ। उसने पुस्तक का मूल्य माँगा। अब्राहम के पास मूल्य चुकाने को पैसा नहीं था, अतः इन्हें तीन दिन तक किसान के खेत पर बिना कुछ लिए काम करना पड़ा। अब वह पुस्तक इनकी पूँजी हो गई। लिंकन ने इस पुस्तक को अपनी लायब्रेरी में प्रथम पुस्तक के रूप में रखा।

पन्द्रह-सोलह वर्ष की अवस्था होने पर अब्राहम ने व्यायाम की ओर विशेष ध्यान दिया। शरीर को बहुत शक्तिशाली बना लिया। अब यह एक धनी किसान के खेत पर काम करने लगे। फसल का काम करने के साथ-साथ घर के भी सभी काम करते थे। उनके शरीर में बड़ी फुर्ती थी अतः सभी काम बहुत शीघ्र ही निबटा देते थे।

एक दिन धनी किसान ने अब्राहम को अपने लड़के के साथ लम्बी यात्रा पर भेज दिया। ओहिया और मिसीसिपी नाम की नदियों में होकर इनकी नाव जा रही थी। इस यात्रा में इन्होंने देखा के कपास के खेतों में दासों से बुरी तरह काम लिया जा रहा था।

इस यात्रा से लौटकर आपने कानून का अध्ययन बड़ी लगन से किया और वकील बन गये। आपने इलीनाय राज्य के स्प्रिंगफील्ड में वकालत करना प्रारम्भ कर दिया। यहाँ की जनता ने आपको संसद का सदस्य चुन लिया। अब ये वाशिंगटन में रहने लगे। सदस्यता का समय पूरा होने पर आप फिर अपने पहले स्थान पर वकालत करने लगे। पन्द्रह वर्ष तक उन्होंने बड़े परिश्रम के साथ वकालत की।

इसी बीच उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच दासप्रथा को लेकर संघर्ष आरम्भ हो गया। उत्तर के लोग दासप्रथा बन्द करना चाहते थे और दक्षिण के लोग दास प्रथा को जारी रखना चाहते थे। अब्राहम ने दासप्रथा की समाप्ति पर बल दिया।

आपकी ख्याति बढ़ गई । दक्षिण राज्य के लोग अब्राहम से नाराज हुए। उन्होंने उत्तरी राज्य से अपने को अलग कर लिया। अब्राहम को यह देखकर बहुत दुःख हुआ। आपका विश्वास था कि देश तभी उन्नत होगा जब दक्षिणी और उत्तरी अमरीका जुड़े रहेंगे।

उन्होंने दक्षिण को संघ में रखने के लिए युद्ध स्वीकार कर लिया। आपने दास प्रथा को समाप्त करने की घोषणा कर दी। अब दासप्रथा समाप्त हो गई। दक्षिण-उत्तर का गृहयुद्ध चार साल तक चला। अन्त में अब्राहम विजयी हुए, दासता का अन्त हुआ। दक्षिणी और उत्तरी राज्य एक हो गये।

उपसंहार

सन् 1865 में अब्राहम लिंकन राष्ट्रपति चुने गये। कुछ लोग आपके कार्यों से अप्रसन्न थे। अतः 15 अप्रैल, 1865 को एक दुष्ट ने आप पर गोली चला दी जिससे आपकी मृत्यु हो गई। उनका वाक्य “जनता की सरकार, जनता के द्वारा, जनता के लिए” आज भी लोकतन्त्र का सूत्र है।

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