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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध? आदर्श विद्यार्थी के गुण?

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध: विद्यार्थी समाज की रीढ़ है। यदि विद्यार्थी वर्ग संगठित हो जाये और हर प्रकार के कष्टों को सहने की हिम्मत कर ले तो वह समाज को सुधार सकता है। उसमें परिवर्तन ला सकता है और सब प्रकार से सुखी बना सकता है। सोनू ऐसा ही आदर्श विद्यार्थी है। वह स्वास्थ्य का पूरा-पूरा ध्यान रखता है। उसका विश्वास है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क (दिमाग) रहता है। अतः वह नियमित व्यायाम करता है, नियमित भोजन करता है तथा संतुलित रहता है। अतः कभी रोगी नहीं होता है।

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
Adarsh Vidyarthi Par Nibandh

आदर्श विद्यार्थी के गुण

उसने एक दैनिक दिनचर्या बना ली है। वह उसका कड़ाई से पालन करता है। वह ब्रह्म मुहूर्त में अर्थात् चार बजे उठता है। उठकर शौचादि से निवृत होता है। किसान का पुत्र होने के कारण पशुओं को सानी, चारा इत्यादि देने में पिता की सहायता करता है।

फिर स्नान-ध्यान कर अपने पूज्यों का अभिवादन (नमस्कार, नमस्ते) इत्यादि कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है। फिर स्वाध्याय करता है। विद्यालय में जो काम घर के लिए दिया जाता है उसे नियमित रूप से करता है। उसके इस कार्य से अध्यापक उससे बहुत प्रसन्न रहते हैं।

वह जहाँ भी रहता है वहाँ के अनुशासन का पालन करता है। घर में रहता है तो घर के नियमों का पालन करता है। बड़ों का सम्मान करता है। छोटों को प्यार करता है। बराबर वालों के साथ समानता का व्यवहार करता है। इसके व्यवहार से घर के सभी लोग प्रसन्न रहते हैं। सभी बड़े लोग उसे शुभाशीर्वाद देते रहते हैं।

वह निश्चित होकर समय पर विद्यालय पहुँच जाता है। जाड़ा, गर्मी, बरसात कोई भी इसके काम में बाधा नहीं डालते हैं। विद्यालय में विद्यालय के नियमों का पालन करता है। अध्यापकों का सम्मान करता है। उनके द्वारा पढ़ाये गये पाठ को बड़े ध्यान से सुनता है, खाने की छुट्टी में वह कमजोर छात्रों की सहायता कर देता है।

वह निश्चित समय पर खेल के मैदान में पहुँच जाता है। खेल के मैदान के नियमों का पालन करता है। फुटबॉल के खेल में उसे विशेष रुचि है। वह अपनी टीम का कैप्टिन है। वह खेल के सभी नियमों को जानता है। इन नियमों को वह अपने साथियों को सिखाता रहता है।

उसके साथी उसके मधुर व्यवहार से बहुत प्रसन्न रहते हैं। वह अपने साथियों को खेलने की हर प्रकार की सुविधा देता है। इसका परिणाम यह होता है कि विद्यालय फुटबॉल के प्रतियोगी खेलों में सदा बैजयन्ती (शील्ड) प्राप्त करता है।

पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त वह सभी प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन करता है। अतः उसका ज्ञान बहुत विस्तृत है। विद्यालय की वाद-विवाद प्रतियोगिता में सदा भाग लेता है। वह अकाट्य तर्कों से अपने प्रतियोगी के तर्कों को काट देता है। अन्तर्विद्यालयीय प्रतियोगिताओं में उसे सदा पुरस्कार मिलता है।

वह बहुत अच्छा स्काउट है। स्काउटिंग में जितने भी कार्यक्रम होते हैं उनमें यह सदा भाग लेता है। वह स्काउटिंग के सब नियमों को जानता है। वह अपने वर्ग का प्रधान है। नगर में जब कभी मेले होते हैं तो वह अपने साथियों के साथ मेलों के प्रबन्ध में सहायता करता है।

इन सब कामों के अतिरिक्त वह समाजसेवा में भी भाग लेता है। धर्मार्थ औषधालय में जाकर वहाँ रोगियों को औषाधि बाँटने में सहायता करता है।

उपसंहार

यदि देश में सभी इस प्रकार के विद्यार्थी हो जायें तो देश उन्नति की चोटी पर पहुँच जाये। आशा है कि विद्यार्थी उससे शिक्षा लेकर अपनी तथा अपने देश की उन्नति करेंगे।

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