तेज पत्ता के फायदे:- भारतवर्ष के सब प्रांतों में पाया जाने वाला और प्रयोग होने वाला तेजपात (तेज पत्ता के उपयोग) भी एक मसाला है। यह अपने स्वाद, गुण तथा सुगन्ध के लिए भी जाना जाता है। गर्म मसाले की सवा दर्जन चीजों में यह भी एक है। यह जितना सस्ता है, उतना ही अधिक लाभदायक (Tej Patta Benifits in Hindi) भी है। इसे सुगमता से प्राप्त किया जा सकता है और इसके प्रयोग में भी कोई कठिनाई नहीं है।
ठंडे पहाड़ों में, आमतौर पर जंगलों में पाया जाता है। इसके पतले और लम्बे पत्ते बेल पर लगते हैं। यही पत्ते इसका फल समझें। यह अधिकतर नेपाल तथा नैनीताल जैसे ठंडे पहाड़ों में स्वयं उग आता है। इस तेजपात की सहायता से अनेक दवाइयां भी बनाई जा सकती हैं। इसके उपयोग से भोजन स्वादिष्ट व लाभकारी हो जाता है। सुगन्धित तेलों में भी इसका उपयोग किया जाता है।
तेज पत्ता के फायदे और उपयोग

तेज पत्ता के उपयोग
इसके उपयोग से भोजन सुगन्धित हो जाता है। भोजन को अधिक रुचिकर बनाना हो तो भी तेजपात का प्रयोग महंगा नहीं है। तेजपात तासीर में गर्म, हल्का और वायु को नियन्त्रित करता है। भूख को बढ़ाने वाला, कफ को उखाड़कर फेंकने वाला तथा मुंह के स्वाद को अच्छा करने वाला है। जिसका शरीर सदा टूटा रहता है। थोड़ा बुखार महसूस करता है। उसके लिए भी यह उपयोगी है। बढ़े हुए पित्त को शांत करने के लिए भी वैद्य इसे भोजन में लेने की सलाह देते हैं। आइए, पहले संक्षेप में कुछ अवस्थाओं की बात करें, जहां यह रोग निवारक बन जाता है। इसका उपयोग अच्छी सेहत बनाए रखने व तन्दुरुस्ती के लिए हितकर माना जाता है।
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तेज पत्ता के फायदे
- यदि सिर में दर्द गर्मी या ठंड लग रही हो, तब तेजपात कील तथा 3-4 पत्तों को पानी में पीसकर जरा गर्म कर लें। इसका लेप सिर दर्द को खत्म कर देगा। पूर्ण लाभ के लिए 2-3 बार लेप लगावें ।
- जुकाम पतला हो या सूखा, छींकें आती हों या नाक बहती हो, जीभ का स्वाद खराब हो गया हो और नाक में जलन महसूस होती हो, बड़ा ही आसान इलाज है। तेजपात की चाय पीने से पूर्ण लाभ होगा। यह चाय दिन में तीन बार व सोने से पहले एक बार लेवें।
- मान लो पखाने में, पेशाब में, मुंह से या नाक से खून बहता हो तो समझे आपको रक्त-पित्त हो गया है। इस अवस्था में तेजपात का शर्बत घड़े के बासी पानी से हर तीन घंटे बाद लें। रोग समाप्त हो जाएगा।
- जिसे भूख कम लगती हो, भोजन अरुचिकर लगने लगा हो, या फिर खाने का मन ही न करे, तो भी तेजपात आपका साथ निभाएगा। तेजपात का रायता दिन में दो या तीन बार खाएं, इससे चमत्कारी लाभ होगा।
- अगर सूखी खांसी हो, खांसने में कष्ट होता हो, मगर कफ न निकलता हो तो तेजपात की चटनी या अवलेह दिन में दो बार लेने से कफ पतला होकर निकलने लगेगा। रोगी स्वस्थ हो जाएगा।
- भोजन न पचता हो, देर तक पेट और दिमाग में भारीपन लगे, कई-कई घंटों तक खाया पिया हजम न हो, खट्टी डकारें आते हों, तो ऐसी हालत में तेजपात की चटनी दिन में तीन बार लें। थोड़ा-थोड़ा पानी भी पिएं। आप पूर्णतः मन्दाग्नि पर काबू पा लेंगे।
- दमा के रोगियों के लिए भी तेजपात बहुत लाभकारी हैं। तेजपात को धूप में सुखाकर पाउडर बना लें। बकरी के उबले ठंडे किए हुए दूध के साथ, इस पाउडर को शहद के साथ लें। प्रातः नाश्ते से पहले, दोपहर को भोजन के बाद और रात्रि को सोने से पहले लेवें। यह प्रक्रिया लगातार दस दिन करें, बहुत लाभ होगा।
- दमे के लिए ही एक और इलाज तेजपात और ‘छोटी पीपल’ के चूर्ण को अदरख के मुरब्बे की चाशनी अथवा अदरख के रस के साथ सेवन करें। श्वास प्रक्रिया आसान हो जाएगी। दमे का प्रभाव कम होगा।
- यदि शोथ, ग्रन्थि व सन्धिशूल की समस्या हो जाए तो तेजपात सहायक होता है। तेजपात की छाल को पीस-छानकर पाउडर बना लें। अथवा इसे पानी में ही पीस लें। लुआबदार होने पर इसका रुग्ण भाग पर लेप करें। लेप खूब मोटा हो। इस पर पट्टी भी बांध सकते हैं। देखते ही देखते सूजन घटने लगेगी। ग्रन्थि पक जाएगी और आराम मिलेगा।
- यदि शरीर में गांठ हो जाए, या ऊपर वाले इलाज से ही गांठ पक जाए अथवा फूट जाए तो भी उसके मुंह को छोड़कर आसपास लेप कर दें। अन्दर से गंदा खून, मवाद सब निकल जाएगा। आराम मिलेगा।
- कुष्ठ रोग एक नामुराद बीमारी है। इसमें भी तेजपात से इलाज सम्भव है। तेजपात, कालीमिर्च, मनःशिला और कसीस चारों का बराबर भाग लेवें। तेल में घोटकर तांबे के बर्तन में सात दिनों तक रखे रहें। इसका लेप करें। अनाज न खाकर, केवल दूध पर निर्भर रहें। सेहुआं कुष्ठ एक सप्ताह में ही ठीक हो जाएगा। श्वेत कुष्ठ चार-पांच सप्ताह में जाता रहेगा।
- यदि खांसी की शिकायत रहती हो तथा कफ भी बनता हो तो तेजपात वृक्ष की छाल लें। छोटी पीपल तथा तेजपात के चूर्ण को शहद के साथ चाटें। खांसी जड़ से खत्म होगी।
- यदि मुंह से दुर्गन्ध आती हो तो पत्तों को चबाने से सांस ठीक हो जाएगी। दुर्गन्ध का नामोनिशान भी न रहेगा।
- यदि बदन के किसी भाग से भी दुर्गन्ध की शिकायत रहती हो, तो तेजपात के पत्तों का चूर्ण सिरके में मिलाकर लेप किया जा सकता है। लाभ होगा।
- यदि बुखार रहने लगा हो तो तेजपात का काढ़ा पिला दें। इससे पसीना आ जाएगा व पेशाब की वृद्धि होगी। बुखार उतर जाएगा।
- अपने गर्म कपड़ों को कीड़ों से बचाने के लिए, कपड़ों में तेजपात के पत्ते रख दें। कीड़ा नहीं लगेगा।
- सिरदर्द जाने का नाम ही न ले रहा हो, तो पत्तों के डंठल या छाल को पानी में पीस लें। मोटा लेप तैयार कर लें। इसे सिर पर लगा दें। सूख जाने पर इसे हटाकर, दोबारा यही दोहरा दें। लाभ होगा।
- आंखों के अनेक रोगों से छुटकारा पाने के लिए भी तेजपात का प्रयोग किया जाता है। आंखों के सामने धुंध रहना, अंधेरा-अंधेरा लगना, फूली की शिकायत होना, तेजपात के पत्तों को पीसकर लगावें। और जल्दी लाभ के लिए, पत्तों को अच्छे सुरमे के साथ पीसकर लगावें। ये नेत्ररोग ठीक हो जाएंगे।
तेजपात की चाय बनाने की विधि
तेजपात को सुखा लें। फिर थोड़ा कूट दें। इसे गर्म तवे पर रखकर थोड़ा सेंक दें। इस मोटे-मोटे चूर्ण को किसी साफ डिब्बी में बन्द करके रख लें। एक कप पानी लेकर इसमें अन्दाज से तेजपात की ये कूटी हुई पत्ती डालें। जब आधा पानी बच जाए इसमें अन्दाज से दूध व चीनी डाल दें। इसे उबालकर, छानकर, सील-गर्म पी लें। पीने के बाद अपने सिर, कान जरा यों ढंक दें कि हवा न लगे। यह चाय जुकाम में लाभकारी होती है। दिन में तीन बार लें तथा रात सोने से पहले भी जुकाम की शिकायत नहीं रहेगी।
कैसे बनाएं रायता
तेजपात (तेज पत्ता के फायदे) का रायता बनाने के लिए ताजा दही लें। यदि यह गाय के दूध का होगा तो अधिक लाभ मिलेगा। इस दही को साफ कपड़े में बांधकर लटका दें। गिरते पानी के नीचे कोई साफ बर्तन रख दें। इस दही से निकले पानी में तेजपात का चूर्ण तथा काला नमक मिलावें। इसमें दही मत डालें। इसी पानी से रायता तैयार होगा। इसके सेवन से भूख लगेगी। खाना खाने को मन करेगा। अरुचि समाप्त होगी। भोजन खाने की इच्छा बढ़ेगी। पेट में गैस नहीं बनेगी। मुंह का स्वाद अच्छा होगा। यह दमे के रोगी के लिए भी बहुत अच्छा इलाज है। इस रायता के खाने से बलगम भी उखड़ता है।
अवलेह बनाने की विधि
(क) अच्छी किस्म का शहद लें। यदि सफेद शहद मिल जाए, तो और भी अच्छा होता है। इसका एक चौथाई भाग तेजपात का बारीक पाउडर लें। दोनों को खूब मिलावें ।
(ख) मुनक्का लेकर इसके दाने निकाल फेंकें। इस मुनक्के को पीस लें । जितना पाउडर का वजन था, उतनी ही मुनक्के की यह चटनी हो। इससे आधी मात्रा में छिली हुई गिरी बादाम का पाउडर लें। थोड़ा-सा छोटी इलाचयी के दानों का चूर्ण भी लें। बड़ी पीपल का चूर्ण, छोटी इलायची के चूर्ण से दो गुणा लें। इन्हें मिला लें। अब इस सारे चूर्ण को (क) वाले शहद में मिला दें। उसे दिन में तीन बार चाटें। रात को सोने से पहले भी छाती में जमा बलगम उखड़ने लगेगा। इसके निकलते ही सांस आसान हो जाएगी। श्वास प्रक्रिया में सुख मिलेगा।
इसके प्रयोग से पोटी की शिकायतें दूर होंगी। यदि कफ में रक्त भी निकलता हो तो भी इसके सेवन से ठीक हो जाएंगे। यह कमजोर दिल वालों के लिए अचूक दवा है।
चटनी बनाने का तरीका
तेजपात का बारीक पाउडर पीले नींबू का रस लें। इस रस में बीज न हों। 250 ग्राम नींबू के रस में 100 ग्राम पाउडर मिलावें। इसी में सूखे आलूबुखारे का पीसा हुआ गूदा 50 ग्राम डाल दें। 25 ग्राम काला नमक, 12 ग्राम बड़ी पीपल का कपड़छान किया चूर्ण मिलावें। थोड़ी-सी मात्रा चित्रक की जड़ का बारीक पाउडर भी डालें। इन सब चीजों को खूब मिलाकर रख लें। यह तेजपात की चटनी कहलाएगी।
प्रतिदिन भोजन के साथ चम्मच भर चटनी खा लें। इसके सेवन से पाचन-क्रिया तेज होगी। भोजन में रुचि बनेगी। पेट में वायु नहीं होगी। भोजन आसानी से पचने लगेगा खट्टी डकार आना बन्द हो जाएगी। पेट में भारीपन भी नहीं लगेगा। दिन में सोने की इच्छा खत्म होगी तथा रात को अच्छी नींद आया करेगी।
कैसे लें बुकनी तेजपात की
दमा के रोगी के लिए तेजपात (तेज पत्ता के फायदे) की बुकनी बहुत ही लाभकारी होती है। तेजपात की बुकनी दो बार दिन में तथा एक बार सोने से पहले लेने से दमे का रोगी स्वस्थ होने लगता है। धूप में सूखे तेजपात को कूटकर, बारीक पाउडर बना, छान लें। बकरी का दूध 250 ग्राम। इसे उबालकर ठंडा कर लें। इसमें जरूरत के अनुसार शहद मिलावें। तेजपात के ऊपर बताए पाउडर अथवा बुकनी को थोड़ा फांककर इस शहद वाले दूध को पी लें। नाश्ते से एक घंटा पहले इस दूध को पी लें।
दोपहर और रात के समय भी इसे, इसी प्रकार लें। यदि इसे लेते रहें तो दस दिनों में ही दमे के रोगी को काफी लाभ मिलेगा। मन्दाग्नि खत्म होती है। कफ उखड़कर बाहर आ जाता है। श्वास प्रणाली ठीक हो जाती है। सुगमता से व सस्ते में मिलने वाला तेजपात बहुत लाभकारी है। इसे चावल, पुलाव, सब्जी, मीट बनाते समय 2-4 पत्ते डाल देने से रोगों पर नियन्त्रण बना रहता है। इसका प्रयोग नियमित करते रहें।
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