बाबर का शासन काल, मुगल साम्राज्य का इतिहास pdf, मुगल साम्राज्य के शासक, बाबर ने भारत पर कितनी बार आक्रमण किया, बाबर का इतिहास, दिल्ली सल्तनत की शक्ति शनैः शनैः क्षीण हो रही थी। फलस्वरूप देश की राजनैतिक एकता छिन्न-भिन्न हो गई थी।
बाबर का शासन काल (Babar Ka Shasan Kal)

अनेक राज्यों का उदय हो गया था। इनमें कोई ऐसा राज्य नहीं था जो देश की रक्षा के लिए अन्य राज्यों को एकता के सूत्र में बाँध सकता और उनका नेतृत्व कर सकता। राजनैतिक एकता के अभाव में बाबर को भारत पर आक्रमण करने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
बाबर का शासन (1526 ई0-1530 ई०)
बाबर के पिता ‘तैमूर’ तथा माता ‘चंगेज खाँ’ के वंश के थे। बाबर का पिता ‘उमर शेख मिर्जा’ मध्य एशिया की छोटी सी रियासत फरगना का शासक था। यह एक मृत्यु के बाद बाबर फरगना का शासक बना।
उस समय उसकी आयु लगभग 11 वर्ष थी। सिंहासन पर बैठते ही बाबर को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वह अपने पूर्वज तैमूर के राज्य समरकन्द को भी जीतना चाहता था। उसने काबुल पर अपना अधिकार जमाया और वहाँ से वह भारत की ओर आकर्षित हुआ।
मुगल :- मुगल दो महान शासकों के वंशज थे। माता की और से वे चीन और मध्य उपजाऊ प्रदेश था। हरे-भरे एशिया के मंगोल शासक चंगेज खान के चरागाह, उत्तम जलवायु एवं उत्तराधिकारी थे। पिता की ओर से वे ईरान, फलों के बागान यहाँ की मुख्य इराक एवं वर्तमान तुर्की के शासक तैमूर के विशेषता थी। अपने पिता की वंशज थे।
बाबर का भारत पर आक्रमण
इब्राहिम लोदी के विरोधी बाबर की सहायता से अपना स्वतन्त्र साम्राज्य स्थापित करने की योजना बनाने लगे। उधर बाबर स्वयं भारत पर अधिकार करना चाहता था। इसके लिए उसने अपनी सेना को भली-भाँति तैयार किया। उसने अपना तोपखाना भी सुसज्जित कराया। इसी समय पंजाब के गर्वनर दौलत खाँ लोदी ने उसे दिल्ली पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया।
1526 ई0 में पानीपत
पानीपत के मैदान में बाबर का सामना इब्राहिम लोदी से हुआ। बाबर के पास तोपे जो भारत के शासकों के पास नहीं थी। उसके पास कुशल घुड़सवार भी थे। उसकी सेना छोटी थी परन अच्छी तरह प्रशिक्षित थी।
उसकी सेना को अनेक युद्धों के अनुभव थे। उसने बड़ी कुशलता अपनी सेना का संचालन किया, बाबर की विजय हुई। इब्राहिम लोदी लड़ाई में मारा गया। इसी के साथ लो वंश का अंत हो गया और भारत में एक नए वश मुगलवंश की स्थापना हुई।
बाबर और राजपूत
बाबर और राजपूत चित्तौड़ के महाराणा संग्राम सिंह बाबर के सबसे शक्तिशाली शत्रु थे। ये राणा सांग के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे। बाबर ने स्वयं राणा सांगा के बारे में लिखा था कि ‘राणा सांगा ने अपनी वीरत के बल पर भारत में उच्च स्थान प्राप्त किया था।
खानवा का युद्ध 1527 ई०
खानवा का युद्ध 1527 ई० को राणा सांगा और बाबर के मध्य खानवा का युद्ध हुआ। युद्ध में बाबर की विजय हुई। इस युद्ध के परिणामस्वरूप –
- राजपूतों की शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रभाव समाप्त हो गया।
- मुगल वंश की नींव सुदृढ़ हो गई।
- राजपूतों का दिल्ली पर अधिकार करने का सपना अधूरा रह गया।
इसके बाद बाबर ने चन्देरी के शासक मेदिनीराय को चन्देरी के युद्ध (1528 ई०) में तथा अफगान सरदारों को पारा (1529 ई०) के युद्ध में पराजित कर भारत में मुगल साम्राज्य को सुदृढ बनाया।
बाबर का चरित्र
इनको कलम और तलवार दोनों का सिपाही कहा जाता है। सैनिक कार्यों के साथ-साथ वह साहित्य के प्रति रुचि रखता था। उसे तुर्की एवं फारसी भाषा तथा साहित्य का अच्छा ज्ञान था।
बाबर स्वयं भी उच्च कोटि का साहित्यकार था। उसने अपनी आत्मकथा लिखी। यह तुर्की भाषा में है और तुजुक-ए-बाबरी नाम से प्रसिद्ध है। इसके फारसी अनुवाद को ‘बाबरनामा’ कहते हैं, जिसे अब्दुर्ररहीम खानखाना ने किया था। बाबर को बगीचों का बहुत शौक था। उसने आगरा तथा लाहौर के आस-पास कुछ बगीचे लगवाए। बाबर की मृत्यु 26 दिसंबर 1530 को हो गई।
Ans : 26 दिसंबर 1530 को बाबर की मृत्यु हो गई।
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