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बैसाखी पर निबंध? बैसाखी मनाने का कारण क्या है?

बैसाखी पर निबंध (Baisakhi Par Nibandh), समाज उत्सवप्रिय है। उत्सव में वह अपनी सब चिन्ताओं को भूलकर सुख का आनन्द लेता है। उत्सवों में लोग परस्पर मिलते हैं। ये सामूहिक आनन्द का अनुभव करते हैं। हमारे देश में अनेक उत्सव मनाये जाते हैं। इन उत्सवों में बैसाखी का उत्सव भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

बैसाखी पर निबंध (Baisakhi Par Nibandh)

बैसाखी-पर-निबंध

यह उत्सव पंजाब प्रान्त का विशेष महोत्सव है। यहाँ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पंजाब प्रान्त में नववर्ष का प्रारम्भ वैशाख के बैसाखी पर्व से ही होता है। यह उत्सव वैशाख कृष्ण चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। महिलाएँ इस दिन वैशाख चतुर्थी व्रत रखती हैं। अपने पुत्र-पुत्री तथा अन्य परिवारी जनों के लिए शुभकामना करती हैं।

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पावन दिन

इस दिन को बड़े पुण्य का दिन मानते हैं। लोग नदियों में स्नान करने के लिए जाते हैं। कुछ लोग गंगा स्नान करने के लिए हरिद्वार भी जाते हैं। इसी दिन जलियाँवाला बाग में, बाग का फाटक बन्द करवाकर देश की आजादी के मतवाले वीर शहीदों पर डायर ने मशीनगनों से गोलियाँ चलवाई थीं।

आज के दिन लोग जलियाँवाला बाग जाते हैं। शहीद वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनका सम्मान करते हैं। जो लोग अमृतसर से दूर रहते हैं वे अपने घर पर या सामूहिक मेले में वीर शहीदों की स्मृति में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

पंजाब के व्यापारी लोग आज ही अपना नया वर्ष मनाते हैं। अपना बहीखाता बदलते हैं। नया हिसाब चालू करते हैं। देव मन्दिरों तथा पवित्र समाधियों पर अपनी श्रद्धाभक्ति के सुमन चढ़ाने के लिए जाते हैं।

इस दिन लोग मिठाइयाँ, खिलौने, पटाखे तथा मनोरंजन की अन्य सामग्री खरीदकर लाते हैं। घरों में भी इस दिन विशेष भोजन, पकवान, मिठाइयाँ बनती

यह दिन दान-पुण्य का दिन माना जाता है। दानी लोग भिखारियों को दान देते हैं। स्थान-स्थान पर शर्बत की प्याऊ लगाते हैं। भूखों को भोजन कराते हैं। मन्दिरों में प्रसाद चढ़ाते हैं। मन्दिरों में इस दिन विशेष आरती होती है और उत्सव मनाये जाते हैं।

मुख्य-मुख्य स्थानों पर मेले लगते हैं। इन मेलों में हलवाई अपनी दुकानें सजाते हैं। अन्य वस्तुओं की दुकानें भी मेलों में लगती हैं। खेल तथा मनोरंजन के अनेक साधन मेले में जुटाये जाते हैं। जादूगर अपनी जादूगरी से लोगों को प्रसन्न करते हैं।

सपेरे अपने साँप के खेलों से बच्चों को रिझाते हैं। मदारी बन्दरों के खेल से उनका मनोरंजन करते हैं। निशाना लगवाने वाले दुकानदार गुब्बारे लगाकर गुब्बारों पर निशाना लगवाते हैं। जीतने वालों को इनाम मिलता है। हारने वाले अपना सा मुँह लेकर चले जाते हैं।

उपसंहार

जलियाँवाला बाग में वीरों के शहीद होने के कारण यह त्योहार हमारा राष्ट्रीय त्योहार बन गया है। अतः हमें इस त्योहार को बड़ी श्रद्धा-भक्ति और आदर के साथ मनाना चाहिए। जिस देश में राष्ट्रीय उत्सव बड़ी श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाये जाते हैं, वह देश बहुत उन्नति करता है। अतः हमें इस उत्सव को बहुत हर्ष और उत्साह के साथ मनाना चाहिए।

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