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बारिश को कैसे मापा जाता है? और वर्षा मापी यंत्र का क्या नाम है?

बारिश को कैसे मापा जाता है: बारिश/ वर्षा को मापने के लिए एक खास तरह का यंत्र इस्तेमाल किया जाता है जिसका नाम है रेन गेज मापन यंत्र (Rain gauge meter/ Symons rain gauge meter ) है। सामान्य तौर पर यह यंत्र खुले और ऊंचे स्थान पर लगाया जाता है। यंत्र को लगाने के लिए जो स्थान चुना जाता है उसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि आस-पास कोई पेड़ ऊंची दीवार ना हो ऐसा करने के पीछे खास वजह यह है कि बारिश का पानी किसी वास्तु से टकराने के बजाय सीधे इस यंत्र में आकर गिरे। जिससे बारिश की मात्रा को सही तरह से मापा जा सके।

बारिश को कैसे मापा जाता है

बारिश-को-कैसे-मापा-जाता-है
Barish Ko Kaise Napa Jata Hai

रेन गेज मापन यंत्र कैसा होता है

साल 1662 में क्रिस्टोफर ब्रेन ने पहला रेन गेज वर्षा मापी यंत्र बनाया था। रेन गेज मापन यंत्र सिलेंडर नुमा आकार का होता है जिसमें ऊपरी सिरे पर एक कीप लगी होती है। कीप की मदद से बारिश का पानी सीधा सिलेंडर नंबर यंत्र में गिरता है। वर्षा मापी यंत्र कई प्रकार के होते हैं इन्हें अधिकतर मिलीमीटर या सेंटीमीटर में मापा जाता है।

बारिश वर्षा को मापने का तरीका

कौन से इलाके में कितनी मात्रा में बारिश हुई है जब इसको मापना होता है तब बाहर के सिलेंडर को खोलकर बोतल में जमा पानी को कांच के बने एक बीकर में डाल दिया जाता है इस कांच के बीकर पर मिलीमीटर के नंबर अंकित रहते हैं।

जितना मिलीमीटर पानी बीकर में आता है वह बारिश का माप होता है इसका मतलब यह है कि जितना ज्यादा मिली मीटर में माप है बारिश उतनी अधिक हुई है। मानसून के समय दिन में दो बार बारिश को मापा जाता है। मापने का समय है सुबह के 8:00 बजे और शाम को 5:00 बजे

यह भी पढ़े – बारिश होने का क्या कारण है?

FAQ

Q1 : वर्षा को मापने का यंत्र क्या है?

Ans : वर्षा को मापने का यंत्र रेन गॉग है।

Q2 : वर्षा मापने की इकाई क्या है?

Ans : वर्षा मिलीमीटर में ही मापी जाती है।

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