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बास्केटबॉल के नियम, मैदान, खिलाड़ी की संख्या, बास्केटबॉल की जानकारी

बास्केटबॉल के नियम (Basketball Rules in Hindi):- बास्कटबाल दो टीमों में बड़ी तेजी से खेला जाने वाला खेल है। टीमों में पाँच-पाँच खिलाड़ी होते हैं। ये खिलाड़ी गेंद हाथ से पास दे सकते हैं अथवा फेंक सकते हैं, लुढ़का सकते हैं अथवा उसे थपेड़ा मार सकते हैं। हाथ को बल्ला बनाकर गेंद पर प्रहार कर सकते हैं। उन्हें ड्रिबल करने की भी इजाजत होती है।

बास्केटबॉल के नियम

बास्केटबॉल के नियम
Basketball Rules in Hindi

खेल का मैदान

बास्कटबाल आयताकार मैदान पर खेला जाता है और इसकी सतह कठोर होती यह 28 मीटर लम्बा और 15 मीटर चौड़ा होता है। माप सीमा रेखा के भीतरी किनारों से लिए जाते है।

मध्य रेखा (सेंटर लाइन)

यह अंतिम (एंड लाइन) रेखा समानांतर किनारा (साइड लाइन) रेखाओं के मध्य बिन्दुओं से खींची जाती है। यह मैदान को दो भागों में बाँटती है। मध्यवृत्त (सेंटर सर्कल) – यह कोर्ट के मध्य में अंकित होता है। इसका अर्द्धव्यास 1.80 मीटर होता है। रेखा की 5 सेमी चौड़ाई इसी में शामिल होती है।

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फ्री थ्रो लाइन

ये अंतिम रेखा के भीतरी किनारों से 580 मीटर दूरी पर उनके समानांतर खीची है। जाती है यह 3.60 मीटर लम्बी होती है।

प्रतिबंधित क्षेत्र (रिस्ट्रिक्टिड एरिया)

यह क्षेत्र की थ्रो लाइन, अंतिम रेखा (एंड लाइन) और अंतिम रेखा के मध्य बिन्दु के दोनों ओर उससे 3 मीटर दूरी से खींची और को धो लाइन के दोनों सिरों को मिलाती रेखाओं के बीच होता है।

फ्री थ्रो लेन

प्रतिबंधित क्षेत्र और फ्री थो लाइन के मध्य बिन्दु को केन्द्र मानकर 1.80 मीटर अर्द्धव्यास वाले अर्द्धवृत्त के बीच वाले क्षेत्र में ये लेन (गलियारे) बने होते हैं प्रतिबंधित क्षेत्र में ‘डाट’ लगाकर इस अर्द्धबुन को वृत्त में पूरा किया जाता है।

फ्री थ्रो लेन क्षेत्र

पहला ऐसा क्षेत्र सीमांत रेखा के भीतरी किनारे से 1.80 मीटर दूरी पर होता है। यह माप टेढ़ी रेखा पर लिया जाता है। इस रेखा पर 85 सेमी चौड़ा और 10 सेमी लम्बा चिह्न लगाया जाता है। तीन ऐसे गलियारे होते हैं। पहले गलियारे के बाद 0.30 मीटर चौड़ा न्यूट्रल लोन होता है।

बोनस लाइन

रिंग के केन्द्र के ठीक नीचे के बिन्दु से 625 मीटर अर्द्धव्यास से बनाए अवुन की परिधि बोनस रेखा कहलाती है।

बैंक बोर्ड

कोर्ट के प्रत्येक सिरे पर बैंक बोर्ड होता है। इनके निचले किनारे फर्श से 2.75 मीटर ऊँचाई पर होते हैं। ये फर्श अब लम्बाकार और अंतिम रेखाओं से मैदान के भीतरी ओर 1.20 मोटर पर होते है (यह बैंक बोर्ड जिन खम्भों पर टिका होता है वह इनसे 1.0 मीटर दूर होता है।

रिंग

इनका भीतरी व्यास 45 सेमी होता है। 20 मिमी० इनकी मोटाई होती है। ये वैक बोर्ड से इस प्रकार जुड़ी होती है कि फर्श के समानांतर और उससे 3.05 मीटर पर होती है। रिंग के भीतरी किनारे से बैक बोर्ड तक का निकटतम बिन्दु 15 सेमी० होता है ।

प्रतिबंधक (रिस्ट्रेनिंग सर्कल)

ये तीन होते हैं। दूर के बाहरी किनारे तक अर्द्धव्यास का माप 1.80 मीटर होता है। ये मैदान के केन्द्र (अर्थात् मध्यरेखा के केन्द्र) और की यो रेखा के केन्द्र बिन्दु से ही बनाए जाने चाहिए । प्रतिबन्धित क्षेत्र के भीतर पड़ने वाला हिस्सा टूटी रेखा से दिखाया जाता है।

फ्री थ्रो स्थल

0.85 मीटर चौड़ाई के दो स्थान 0.10 मीटर लम्बाई की तीन छोटी-छोटी रेखाओं से अंकित किये जाते हैं। प्रतिबन्धित क्षेत्र की सीमा रेखाओं पर ये 90° का कोण बना रही होती हैं। इन चिह्नों को अंकित करने के लिए पहले वे बिन्दु लिए जाते है जहाँ ब्लैकबोर्ड का तल प्रतिबन्धित क्षेत्र की सीमा रेखाओं को काटता है। इनसे 0.575 मीटर मापने पर पहला चिह्न और उससे 0.90 मीटर मापने पर दूसरा चिह्न मिलता है। उससे आगे फिर 0.90 मीटर अंकन करने पर दूसरा विन्दु मिल जाता है।

टीमें

प्रत्येक टीम में पाँच नियमित खिलाड़ी व पाँच ही स्थानापन्न खिलाड़ी होते हैं। कुछ हालतों में एवजी खिलाड़ियों की संख्या 2 भी हो सकती है। सत्र के अन्त को छोड़ खिलाड़ी अधिकारी की अनुमति से ही मैदान से बाहर जा सकते हैं ।

पोशाक

खिलाड़ी कमीजें, निकरें और महिला खिलाड़ी स्कर्ट, ब्लाउज पहनते हैं। पाँवों में बास्केटबाल जूते होते हैं। कमीजों पर आगे और पीछे नंम्बर लिखे होते है। नम्बर इस तरह रंग होते हैं कि वे अच्छी तरह नजर आ जाएँ। केवल 4 से 15 तक के नम्बरों का ही इस्तेमाल किया जाता है। नम्बर 2 सेमी से कम चौड़े नहीं होंगे। पीठ पर नम्बर कम से कम 20 सेमी ऊँचाई व आगे के कम से कम 10 सेमी ऊंचाई के होंगे।

बास्केट का आकर

ये रिंग और नेट से बने होते हैं। रिंग नारंगी रंग के होते हैं। इनका भीतरी व्यास 45 सेमी० “होता है। इनकी धातु का व्यास 20 मिलोमीटर होगा। ये बोर्ड से मजबूती से जुड़े होते है और फर्श से 3.05 मीटर ऊँचे (लम्ब रूप) हारिजंटल तल पर होते हैं। रिंग की भीतरी छोर का निकटतम बिन्दु बैक बोर्ड की सतह से 15 सेमी होता है। नेट की लम्बाई में 40 सेमी होना चाहिए ।

गेंद का आकर

बास्केटबॉल के नियम
बास्केटबॉल के नियम

यह गोलाकार होती है। इसका आवरण चमड़े, रबर अथवा किसी सिन्थेटिक सामग्री का हो सकता है पर ब्लैडर रबर का ही होता है। इसकी परिधि 75-78 सेंटीमीटर और इसका वजन 600 से 650 ग्राम के बीच होना चाहिए। हवा भरने के बाद यह इसे 1.80 मीटर ऊँचाई से किसी ठोस लकड़ी के फर्श पर फेंका जाए तो 120 से 1.40 मीटर के बीच उछाल लेनी चाहिए ।

बैक बोर्ड

यह सख्त लकड़ी अथवा वैसे ही अन्य किसी पदार्थ के एक ही टुकड़े से बना होता है। वह वस्तु पारदर्शी होनी चाहिए। इसके किनारे तथा लाइनें पृष्ठभूमि पर पूरी तरह पूरे रंग के होते हैं। आम तौर पर सफेद पर काले अथवा काले पर सफेद रंग (कंट्रास्ट) होता है सपोर्ट चमकीले रंग के होते हैं और आसानी से दिखाई देते हैं। ये सिरा रेखाओं से कम से कम 40 सेंटीमीटर दूर होते है।

तकनीकी उपकरण

इस खेल के लिए निम्नलिखित उपकरणों की जरूरत होती है : (क) गेम वाच, टाइमआउट वाच और अन्य स्टाप वाच, (ख) 30 सेकंड नियम लागू करने के लिए उपकरण, दर्शकों तथा खिलाड़ियों को दिखाई देना चाहिए, (ग) अधिकृत स्कोर शीट, (घ) स्कोर बोर्ड, (च) मार्कर जो 1 से 4 तक काले व 5वाँ लाल होना चाहिए। खिलाड़ियों को फाउल करने पर ये उनको दिखाए जाते हैं ।

अधिकारी

रैफरी और अम्पायर की सहायता के लिए स्कोरर और टाइमकीपर होते हैं। इसके अलावा 30 सेकंड नियम लागू करने वाला अधिकारी होता है। उन्हें ये रंग की कमीज और पैट पहननी होती है। रैफरी और अम्पायर कोर्ट बाँट लेते हैं। हर ऐसा फाउल जिसके बाद फ्री-थो दिया जाए और हर जम्प -बाल निर्णय देने के बाद वे अपने स्थान बदल लेते है। अपने फैसलों को समझाने के लिए वे सीटी और हाथ के संकेतों का इस्तेमाल करते हैं।

कोच

वे स्कोरर को, खिलाड़ियों के नामों, कप्तान व खिलाड़ियों के नम्बरों की सूचना देते हैं। कप्तान कोच का कार्य कर सकता है; यदि उसे डिसक्वालिफाई कर दिया गया हो अथवा उसे चोट लग गई हो जिससे उसे मैदान से हटाना पड़े तो स्थानापन्न कप्तान को कोच बना दिया जाता है। सहायक कोच भी रखा जा सकता है।

बास्केटबॉल के नियम

खेल आरम्भ

आमंत्रित टीम चुनाव करती है कि उसे कौन-सी साइड सुननी है। यदि मैदान किसी टीम का न हो तो टास से इसका फैसला किया जाता है। आधा समय खेलने के बाद टीमें अपनी साइड अथवा पाले बदल लेती है। शुरू में प्रत्येक टीम में मैदान पर आने के समय पाँच- पाँच खिलाड़ी होते हैं। खेल जम्प बाल के साथ शुरू किया जाता है।

गोल

बास्कट में ऊपर से गिरकर गेंद उसमें कुछ समय के लिए रहे अथवा नीचे गिर जाए तो गोल हो जाता है। यदि फील्ड गोल किया जाए तो दो अंक और भी गोल किया जाए तो एक अंक टीम को मिलता है।

अवधि

खेल बीस-बीस मिनट के दो सत्रों में खेला जाता है। बीच में 10 से 15 मिनट क के विश्रामकाल होता है। यदि मैच का फैसला तब भी न हो तो खेल जरूरत के मुताबिक पाँच-पाँच मिनट के अतिरिक्त सत्रों में चलता रहता है। पहले सत्र में टीमें टास करके वास्कट का फैसला करती है। इसके बाद निरन्तर सिरे अथवा पाले बदले जाते है। यदि खेल अथवा अर्द्ध समाप्ति के संकेत के साथ ही फाउल किया जाता है तो उसके लिए भी अतिरिक्त समय दिया जाएगा ताकि दूसरी टीम को नियमानुसार पूरा-पूरा अवसर मिले।

जम्प बाल

हर मैच जम्प बाल से शुरू किया जाता है। मध्य मैदान में बने वृत्त में खड़ा रैफरी गेंद ऊपर फेंकता है। विरोधी टीमों के जो दो खिलाड़ी वहाँ पर खड़े होते हैं, वे ऊपर कूदकर गेंद को परे धकेलने अथवा टैप करने की कोशिश करते हैं। इन खिलाड़ियों के लिए जरूरी होता है कि वे मैदान के अपने भाग के अर्द्धवृत्त में खड़े हो। उनका एक पाँव सेंटर लाइन को छूते रहना चाहिए। गेंद साइड लाइन (किनारा रेखा) के लम्ब दिशा में ऊपर फेंकी जानी चाहिए ताकि दोनों पक्षों के खिलाड़ियों के बीच में गिरे। गेंद के जमीन पर गिरने से बास्कट, बैक बोर्ड, अथवा अन्य खिलाड़ी से छूने से पहले खिलाड़ी को दो बार उसे टैप करने की अनुमति होती है।

गेंद जब तक टैप नहीं कर ली जाती खिलाड़ियों को अपनी जगह पर रहना चाहिए । अन्य खिला- ड़ियों को उस वृत्त से बाहर रहकर, जम्प करने वाले खिलाड़ियों की कोशिश में किसी तरह रुकावट नहीं डालनी चाहिए । विरोधी टीम को लाभ मिलता हो तो अलग बात है अन्यथा जम्प-वाल नियम का उल्लंघन करने पर दंड दिया जाता है।

गेंद ठीक तरह से उछाली न गई हो तो इसे दुबारा उछाला जाता है। यदि दोनों ही टीमें नियमोल्लंघन करती है तो भी जम्प – बाल दुबारा की जाती है। यदि गेंद किसी के काबू में न हो और वह डैड अथवा जड़ हो जाए तो भी जम्प बाल किया जाता है जहाँ पर गेंद जड़ अथवा डैड हुई होती है उसके निकटतम वृत्त में जम्प बाल की जाती है। यदि बास्कट थामने वाले उपकरणों में गेंद फँस जाती है तो जम्प-बाल निकटतम फ्री-थो लाइन पर होती है।

बाधा डालना

गेंद बास्कट में अथवा उसके ऊपर हो तो किसी खिलाड़ी को बैक बोर्ड अथवा बास्कट छूने की इजाजत नहीं होती।

आक्रमण में

प्रतिबन्धित क्षेत्र (रिस्ट्रिक्टिड एरिया) में आक्रामक खिलाड़ी रिंग से नीचे आने से पहले गेंद छू नहीं सकता चाहे वह गोल अथवा पास करना चाहता हो रिंग को छू लेने पर वह गिरती गेंद को अवश्य छू सकता है। तब अंक स्कोर नहीं किया जा सकता। विरोधी पक्ष ‘वायलिशन’ के होने के स्थान के निकट की किनारा रेखा से धो-इन करते हैं।

रक्षण में

विरोधी पक्ष गोल के लिए गेंद फेंके तो रक्षक रिंग स्तर के ऊपर तब तक उसे छू नहीं सकता जब तक वह रिंग छू नहीं लेती अथवा यह स्पष्ट नहीं हो जाता कि उससे गोल नहीं होगा ऐसा नियम केवल गोल के लिए यो के वास्ते ही है। यदि ऐसी वायलिशन की जाती है। तो गेंद ‘डेड’ अथवा जड़ हो जाती है। यदि फ्री-थो के समय ऐसा हुआ हो तो थ्रो करने वाले को एक अंक मिलता है। यदि गोल की कोशिश के दौरान ऐसा होता है तो उस खिलाड़ी की टीम के दो अंक मिलते हैं। गेम पुनः ऐसे शुरू की जाती है मानो गोल स्कोर किया गया हो और किसी प्रकार की वायलिशन नहीं हुई।

एवजी खिलाड़ी

खेल में शामिल होने की रिपोर्ट स्कोरर को करना जरूरी होता है । उसे तत्काल ही खेलने को तैयार भी रहना चाहिए। गेंद जब खेल में नहीं होती है तो स्कोरर स्थानापन्न अर्थात् एवजी खिलाड़ी के प्रदेश का संकेत देता है। कोर्ट में प्रवेश से पहले एवजी खिलाड़ी अधिकारी के संकेत का इन्तजार करता है। वह अपना नाम और नम्बर तथा जिस खिलाड़ी के स्थान पर उसे आना होता है उसका नाम अथवा नम्बर स्कोरर को देता है।

(हाँ, दूसरे सत्र के शुरू होने के समय ऐसा करना जरूरी नहीं होता ) खिलाड़ियों को बदलने में 20 सेकंड से अधिक का समय लगता है तो टाइमआउट चार्ज किया जाता है। वायलिशन के बाद ऐसा करने वाली टीम एवजी खिलाड़ी तभी ले सकती है यदि दूसरी टीम ऐसा करे। सफल फ्री-थो के बाद केवल फ्री-धो लेने वाले खिलाड़ी को ही बदला जा सकता है। और आखिरी फ्री-थो के लिए गेंद खेल में आये उससे पहले ही ऐसा करने का अनुरोध कर दिया जाना चाहिए। जम्प-बाल से सम्बद्ध खिलाड़ी नहीं बदला जा सकता।

गोल के बाद खेल पुनः शुरू करना

फील्ड गोल के बाद अंतिम रेखा के पीछे से धो-इन करने से अथवा उसके पीछे से पास देने पर पुनः खेल शुरू होता है। जिस टीम पर गोल हुआ। होता है उसे ही थोइन मिलता है। टीम के किसी भी खिलाड़ी को गेंद मिलने के 5 सेकंड के भीतर ही खेल पुनः शुरू हो जाना चाहिए। रैफरी अथवा अम्पायर गेंद को यदि पकड़ाते हैं तो इसी उद्देश्य से कि समय बचे। जिस टीम ने स्कोर किया होता है उसे गेंद नहीं छूनी चाहिए। ऐसा करने पर उसके विरुद्ध तकनीकी फाउल दे दिया जाता है। परन्तु यदि संयोगवश कोई खिलाड़ी गेंद छू दे तो उसे नजरअन्दाज कर दिया जाता है।

नियंत्रण

यदि कोई खिलाड़ी खेल में चलती गेंद पकड़े हो अथवा उसे ड्रिबल कर रहा हो तो गेंद उसके काबू में होती है। यदि टीम के एक खिलाड़ी के नियंत्रण में गेंद हो तो टीम के काबू में समझी जाती है। टीम के खिलाड़ियों के बीच गेंद पास की जा रही हो तो भी वह टीम के काबू में होती है। गोल हो जाने, उसके डैड हो जाने अथवा विरोधी खिलाड़ी के पास चले जाने पर गेंद काबू अथवा नियंत्रण से बाहर हो जाती है।

खेल

गेंद पास की जा सकती है उसे थपेड़ा मारा जा सकता है, फेंका जा सकता है, टैप किया जा सकता है, लुढ़काया अथवा ड्रिबल किया जा सकता है। परन्तु जानबूझकर न तो इसे उठाकर ले जाया (कैरी) जा सकता है और न ही इसे ठोकर मारी जा सकती है। अधिकारी फ्री-धो अथवा जम्प -बाल करवा देता है तो गेंद खेल में चली जाती है। उस समय भी यह खेल में होती है जब खिलाड़ी इसे थो करने ही वाला हो।

छिनी गेम

खेल शुरू होने के 15 मिनट बाद तक यदि किसी टीम में पांच खिलाड़ी नहीं आते तो उससे गेम छीन ली जाती है। यदि रैफरी के संकेत के 1 मिनट बाद टीम अथवा कम-से-कम दो खिलाड़ी मैदान पर नहीं आते तो भी गेम छीन ली जाती है। जिस टीम को जब्त गेम मिलती है यदि उसके अंक अधिक है तो पहला स्कोर अंकित किया जाता है अन्यथा उसके पक्ष में स्कोर 2.0 अंकित किया जाता है।

‘लिव बाल’ अथवा खेल गेंद

जम्प-बाल में चपेड़ा मारते ही गेंद खेल में हो जाती है। गेंद धो किए जाने पर अथवा फ्री-यो के दौरान भी गेंद लिव हो जाती है।

‘हैड’ अथवा जड़ बाल

यह हालत निम्नलिखित स्थितियों में होती है-1. गोल हो जाए, 2. वायलिशन अथवा नियमोल्लंघन हो जाए. 3. फाउल हो जाए. 4. कोच अथवा उसके स्थानापन्न द्वारा टैक्नीकल फाउल हो जाए. 5. दो में से पहले फ्री-थो पर। जाहिर हो कि गेंद वास्कट में नहीं जाएगी अथवा गेंद पकड़ ली गई हो या बास्कट सपोर्ट में फँस जाए; सीटी बज जाए अथवा समय: खतम हो जाए तो भी गेंद ‘डेड’ हो जाएगी। हो, यदि गोल करने की कोशिश की जा रही हो तो ऐसा नहीं होता। यदि गोल के प्रयास के दौरान फाउल हो जाए तो भी गेंद डैड’ नहीं होती यदि जम्प बाल वायलिशन के लिए दण्ड को नजरअन्दाज कर दिया जाए तो भी गेंद ‘डेड’ नहीं होती।

टाइम आउट

यदि अधिकारी वायलिशन, फाउल, हैल्ड बाल या खेल से बाहर गई गेंद (डैड बाल) को खेल में लेने में ज्यादा देर लगने का संकेत देता है तो स्टाप वाच रुक जाती है । 30. सेकंड अवधि के खतम होने पर चोट अथवा अन्य किसी उचित कारण खेल रोकने पर टाइम आउट संकेत दिया जाता है।

चार्ज टाइम आउट

प्रत्येक सत्र में प्रत्येक टीम को एक-एक मिनट के दो-दो चार्ज टाइम आउट दिए जाते हैं। यदि सत्र में दो टाइम आउट न लिए गए हों तो दूसरे में चार अथवा तीन टाइम आउट नहीं लिए जा सकते। हर अतिरिक्त खेल सत्र के लिए एक टाइम आउट की इजाजत होती है । टाइम आउट के लिए स्कोरर से कोच अनुरोध करता है। वह गेंद के ‘डैड’ होते ही स्टाप वाच को रोक देता है।

चोट लगने पर टाइम आउट

खिलाड़ी को चोट लगने पर टाइम आउट दिया जा सकता है। यदि घायल खिलाड़ी एक मिनट के भीतर बदल लिया जाता है अथवा पुनः खेल में भाग लेने की स्थिति में आ जाता है तो टाइम आउट नहीं चार्ज किया जाता। गेंद जिस टीम के काबू में हो उसका खेल पूरा होने तक का इन्तजार करने के बाद अधिकारी को टाइम आउट देना चाहिए हाँ, यदि घायल खिलाड़ी को बचाने के लिए तुरन्त ही टाइम आउट की जरूरत हो तो अलग बात है।

टाइम-इन

टाइम आउट के बाद पुनः खेल का शुरू होना टाइम इन कहलाता है। जिस टीम के पास गेंद होती है उसका कोई खिलाड़ी थो-इन करके खेल को शुरू करता है। यदि गेंद किसी टीम के काबू में नहीं रहती तो उसे जम्प-बाल से शुरू करवाया जाता है। खेल फ्री-यो से भी शुरू करवाया जा सकता है। जम्प-बाल के बाद नियम के मुताबिक गेंद को टैप किया जाता है अथवा चपेड़ा मारा जाता है यदि असफल श्री या धो-इन के बाद कोर्ट के भीतर खिलाड़ी को गेंद छू लेती है तो घड़ी नालू कर दी जाती है।

सीमा से बाहर खिलाड़ी

उस जमीन को छूने पर खिलाड़ी सीमा अथवा सीमा रेखाओं से परे से बाहर होता है।

सीमा से बाहर गेंद

सीमा रेखाओं पर अथवा उनसे परे किसी व्यक्ति अथवा वस्तु को गेंद छू लेती है (इनमें बैंक बोर्ड का पिछला भाग अथवा इसकी सपोर्ट भी हो सकती है) तो गेंद खेल से बाहर मानी जाती है। गेंद उस टीम को दी जाती है जिसने आखिर में गेंद न हुई हो। यदि कोई खिलाड़ी हल्के से बाहर धकेल दिया गया हो तो गेंद उसे भी दी जा सकती है।

खेल में पुनः आना

गेंद लौटाने के लिए नियुक्त खिलाड़ी कोर्ट के बाहर खड़ा होता है। गेंद जहाँ से बाहर गई होती है वहीं से उसे मैदान में थ्रो अथवा लुढ़काया जाता है। गेंद इस प्रकार फेंकी जा सकती है कि जमीन से उछाल लेकर के वह कोर्ट में उछाल ले। धो-इन के समय कोई और खिलाड़ी सीमा से बाहर नहीं होना चाहिए। गेंद किनारा रेखा (साइड लाइन) से बाहर गई हो और वह स्थान सेंटर लाइन और सिरा रेखा (एण्ड लाइन) के बीच हो तो धो-इन जिस खिलाड़ी ने करना होता है उसे अधिकारी द्वारा गेंद पकड़ाई जानी चाहिए।

कोर्ट में गेंद उठाकर ले जाने (कैरी) की मनाही होती है। न ही कोर्ट में अन्य खिलाड़ी के स्पर्श से पहले गेंद को छुआ जा सकता है। न ही धो करने में 5 सेकंड से अधिक समय लेने की इजाजत होती है। यदि कोई खिलाड़ी बार-बार गेंद के सामने रेखा के पार शरीर अथवा उसके किसी भाग को लाए या विरोधी के थो-इन को खेले तो इसे अधिकारी तकनीकी फाउल मान सकते हैं।

गेंद पकड़ लेना (हेल्ड बाल)

विरोधी टीमों के खिलाड़ी मजबूती से गेंद पकड़े हो अथवा सब ओर से घिरा खिलाड़ी गेंद फेंकने, लुढकाने अथवा पास देने में पाँच सेकंड से अधिक समय ले अथवा पाँच सेकंड के अन्दर न तो थपेड़ा मारे और न ही ड्रिबल करे तो ‘हैल्ड बाल’ फाउल होता है । ‘हैल्ड बाल’ देने में जल्दी नहीं करनी चाहिए। गेंद काबू में लिए फर्श पर गिरे खिलाड़ी को इसे खेलने का अवसर मिलना ही चाहिए। हाँ, अगर उसे चोट का खतरा हो या उसके घायल होने की आशंका हो तो ऐसा नहीं भी किया जा सकता। हैल्ड बाल के बाद खेल जम्प -बाल से शुरू करवाई जाती है।

ड्रिबल

गेंद को धो करने, थपेड़ा मारने, लुढ़काने अथवा उछलवाने के बाद दूसरे खिलाड़ी के छूने से पहले छू लिया जाए तो इसे ड्रिबल कहते हैं। शुरू होने के समय को छोड़कर ड्रिबल के दौरान गेंद फर्श को छूनी ही चाहिए। खिलाड़ी गेंद हवा में फेंक, गिरने से पहले उसे एक बार छू सकता है। जब दोनों हाथों से एकसाथ गेंद को छू लिया जाता है तो बिल पूरी हो जाती है। गेंद खिलाड़ी के हाथों में न हो तो दो उडालों के बीच वह चाहे जितने कदम भर सकता है। लगातार दूसरे ड्रिबल की मनाही होती है। हाँ, यदि गेंद वास्कट को छू चुकी हो; बैक बोर्ड अथवा अन्य खिलाड़ी को छू चुकी हो अथवा विरोधी खिलाड़ी द्वारा मारे थपेड़े से गेंद काबू से बाहर कर दी गई हो तो यह नियम लागू नहीं होता और दुबारा ड्रिबल किया जा सकता है।

गेंद के साथ बढ़ना

खिलाड़ी एक पाँव को कीली बनाकर घूम सकता है। एक पाँव जमीन पर स्थिर रहता है और दूसरे पाँव से एक या अधिक बार किसी भी दिशा में घूमा जा सकता है। भागता खिलाड़ी दो काउंट प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए रुक अथवा गेंद फेंक सकता है। पहला काउंट तो उसी समय हो जाता है जब गेंद पाते समय अथवा पाने के बाद एक या दोनों पाँव अमीन को छू लेते है। खिलाड़ी नियमानुसार रुकने पर अपने पिछले ही पाँव को कीली अथवा पिवट’ बना सकता है।

हाँ, यदि उसके दोनों पाँव एकसाथ हो तो किसी भी पाँव को कीली की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। खिलाड़ी खड़े होने की स्थिति में गेंद को पाये अथवा गेंद को पकड़े हुए नियमानुसार रुके तो कौली अथवा ‘पिवट’ वाले पाँव को उठाकर जम्प अथवा कूद सकता है । परन्तु इससे पहले कि एक अथवा दोनों पाँव फिर फर्श को छूएँ उसे गेंद पास कर देनी होती है। यदि विल करना हो तो ऐसा करने से पहले गेंद हाथ से छोड़नी होती है और तभी पिवट बने पाँव को उठाना होता है।

गोल के लिए थ्रो

फेकने की क्रिया शुरू होने के साथ ही यह धो शुरू माना जाता है। हाथों से गेंद छूटने के बाद खिलाड़ी के सन्तुलन पाने तक थो को यह स्थिति रहती है। जम्प बाल के दौरान गेंद पर किसी खिलाड़ी का काबू नहीं होता । इसलिए यदि उस दौरान कोई खिलाड़ी इसे वास्कट में टैप कर भी देता है तो भी वह गोल के लिए थ्रो करता हुआ नहीं माना जाता।

तीन सेकंड का नियम

कोई भी खिलाड़ी विरोधी पाले में प्रतिबन्धित क्षेत्र (रिस्ट्रिक्टड एरिया) में अर्थात् सिरा रेखा और भी दो लाइन के बीच के इलाके में तीन सेकंड से अधिक समय नहीं रुक सकता । (इनमें रेखाएँ प्रतिबन्धित क्षेत्र में शामिल होती है) जबकि उसकी टीम के काबू में गेंद है, इनमें धो-इन की स्थिति भी शामिल है। गेंद जब गोल में फेंकी जा रही हो, बैक बोर्ड से टकराकर लौट रही हो या जड़ (‘डैड’) हो चुकी हो तो यह नियम लागू नहीं होता। खिलाड़ी ड्बिल करता हुआ गोल के लिए धो की स्थिति में आ जाए तो उसके लिए अवश्य कुछ गुंजाइश दी जा सकती है।

पाँच सेकंड नियम

यदि घिरा खिलाड़ी, जिसके पास गेंद हो, पाँच सेकंड के अन्दर गेंद को न तो खुदवाता है, पास करता है, धपेड़ा मारता है, अथवा ‘विल’ करता है तो इसे हेल्ड बाल घोषित किया जाएगा।

30 सेकंड नियम

गेंद काबू पाने के बाद तीस सेकंड के अन्दर ही टीम को गोल की कोशिश करनी होती है। गेंद खेल से बाहर चली जाने, जानबूझकर बाहर फेंकने और विरोधियों द्वारा लपकी जाने पर नई 30 सेकंड की अवधि शुरू होती है। गेंद विरोधी को छू लेने के बावजूद टीम के काबू में ही रहे जो 30 सेकंड की अवधि जारी मानी जाती है।

दस सेकंड नियम

टीम के कोर्ट में पीछे के क्षेत्र में गेंद हो तो 10 सेकंड के भीतर ही उसे कोर्ट के अगले भाग में आना चाहिए। उसे गेंद फिर बैक कोर्ट में नहीं लौटानी होती । नोचे लिखी हालत छोड़ अन्य सभी हालतों में यह नियम लागू होता है- (1) सेंटर में जम्प बाल के समय, (2) कोच अथवा एवजी खिलाड़ी द्वारा तकनीकी फाउल के बाद और (3) फाउल के बाद टीम के धो-इन चुनने के समय।

फाउल और वायलिशन

वायलिशन उन नियमों का उल्लंघन है जिन पर दण्डस्वरूप टीम को गेंद खो देनी पड़ती है। इसके विपरीत ‘फाउल’ वह नियम उल्लंघन है जिसमें विरोधी के शरीर से स्पर्श होता है अथवा खिलाड़ी का व्यवहार भावना के अनुरूप नहीं होता । नियम उल्लंघन करने वाले के विरुद्ध ‘फाउल’ अंकित किया जाता है और इसमें बास्कट पर फ्री थ्रो का दण्ड दिया जा सकता है। वायलिशन के बाद गेद जड़ अथवा ‘डेड’ मानी जाती है और यदि गोल हो जाए तो उसे माना नहीं जाता।

परडल के बाद अधिकारी स्कोरर को नियम भंग करने वाले का नम्बर बताता है। वह खिलाड़ी तत्काल ही स्कोरर की ओर अपना मुख करके अपना हाथ ऊपर खड़ा करता है (यदि ऐसा नहीं करता तो यह मान लिया जाता है कि उसने ऐसा न कर तकनीकी फाउल किया है) । वह खिलाड़ी जो शूटिंग नहीं कर रहा उसके प्रति यदि कोई फाउल किया जाता है तो उसकी टीम को फाउल के निकट वाले स्थान पर धो-इन दिया जाता है यदि शूटिंग खिलाड़ी के विरुद्ध फाउल किया जाता है और तब गोल हो जाए तो उसे मान लिया जाता है और यदि नहीं होता तो उसके बाद सिरा रेखा से थो-इन किया जाता है। यदि गोल में चूक हो जाती है तो जिस शूटर से फाउल किया होता है उसे दो फ्री-धो मिलते हैं। हाँ, यदि डबल फाउल हुआ तो जम्प बाल दिया जाता है।

फ्री थ्रो

तकनीकी फाउल हुआ हो अथवा शूटिंग कर रहे खिलाड़ी के ऊपर पर्सनल अथवा वैयक्तिक फाउल किया गया हो तो यह थ्रो उस समय लिया जाता है जब पर्सनल फाउल के बाद फ्री-थ्रो वही खिलाड़ी लेता है जिसके विरुद्ध यह फाउल किया गया हो । यदि एवजी खिलाड़ी को स्थान देने के लिए उसे मैदान से हटाना भी हो तो फ्रो-धो लेने के बाद ही ऐसा किया जाता है। उसे पहले फ्री-थ्रो लेना होता है। हाँ, यदि चोट उसे लग जाए तो ऐसा करना जरूरी नहीं होता । यदि गेंद गलत तरीके से बास्कट में फेंकी जाए तो फ्री थ्रो दुबारा लिया जाता है। तकनीको फाउल के बाद तो कोई भी खिलाड़ी फ्री-थ्रो ले सकता है।

फ्री-थ्रो पोजीशन

दो विरोधी खिलाड़ियो को जरूर ही बास्कट के निकटतम दो स्थानों पर खड़ा होना होता है। शेष खिलाड़ियों को फ्री-थो लाइन अथवा गलियारे के बाहर एक के बाद एक करके (खड़ा होना होता है। चो करने वाला फ्री-थ्रो लाइन के ठीक पीछे ही खड़ा होता है।

थ्रो करने वाले अथवा अधिकारियों के रास्ते में रुकावट डाले बिना अन्य खिलाड़ी चाहे जहाँ मरजी खड़े हो सकते हैं। गेंद के वास्कट-रिंग या बैक-बोर्ड हिट करने तक अथवा यह स्पष्ट हो जाने पर कि वह रिंग में गिरेगी नहीं, उन्हें फ्री थ्रो गलियारे से बाहर रहना होता है। वो करने वाले को गेंद प्राप्त होने के बाद पाँच सेकंड के भीतर ही इसे फेंक दिया जाना चाहिए।

फ्री-थ्रो वायलिशन

गेंद फेंकने वाले की टीम द्वारा वायलिशन करने पर अथवा फेंकी गेंद के रिंग (में गिरने से चूकने के बाद विरोधियों को धो इन दिया जाता है; सिवाय उस हालत के जब थ्रो कोच अथवा स्थानापन्न खिलाड़ी द्वारा तकनीकी फाउल करने पर दिया गया हो। विरोधियों द्वारा कोई वायलिशन किया जाता है तो अन्य फ्री थ्रो देकर दण्ड दिया जाता है। यदि गेंद के बास्कट तक पहुँचने से पहले दोनों ही टीमें हस्तक्षेप करती है तो फ्री-थ्रो लाइन पर जम्प-बाल होता है।

कोच अथवा एवजी खिलाड़ी द्वारा तकनीकी फाउल करने के बाद खिलाड़ियों को पंक्ति में नहीं आना होता । यदि वैयक्तिक फाउल पर दिये आखिरी थ्रो में चूक हो जाती है तो गेंद खेल में रहती है। हाँ, यदि गेंद सीमा-रेखा से बाहर चली जाती है तो अलग बात है। उस हालत में विरोधी टीम किनारा-रेखा से थ्रो-इन लेती है। यदि गेंद रिंग में गिरने से चूक जाती है और कोर्ट में गिरती है। तो विरोधी टीम को फ्री-थ्रो रेखा के सामने वाली किनारा रेखा से इसे भीतर फेंकना होता है।

टैक्निकल फाउल

(खिलाड़ी द्वारा) : किसी खिलाड़ी द्वारा अधिकारी की बात न मानना अथवा उसके प्रति अपमानजनक व्यवहार करना तकनीकी फाउल है। खिलाड़ी भावना के विपरीत खेल नीति वरतना मिसाल के तौर पर गाली-गलौज करना अथवा खेल में देरी करना भी तकनीकी फाउल गिना जाता है।

अनजाने में किये तकनीकी नियम

भंग, जिनसे खेल पर किसी तरह का असर न पड़ता हो और प्रशासनिक गलतियाँ तथा तकनीकी फाउल उस समय तक नहीं माने जाते जब तक चेतावनी के बाद भी इनको दुहराया नहीं जाता।किसी फाउल के पता चलने से पहले तक जो भी खेल होता है वह वैध माना जाता है। परन्तु ज्यों ही इसका पता चलता है पेनल्टी दी जाती है। यह दण्ड अथवा पेनल्टी होती है विरोधी टीम को 2 फ्री-थो दिया जाना

कोच अथवा स्थानापन्न खिलाड़ी द्वारा तकनीकी फाउल

अधिकारी की अनुमति के बिना मैदान में आकर किसी घायल खिलाड़ी की मरहम-पट्टी करना फाउल है। बिना अनुमति के अपना स्थान छोड़कर बाउंड्री से ही खेल कार्रवाई का अनुगमन करना, अधिकारियों, सहायकों अथवा विरोधियों से अपमानजनक तरीके से व्यवहार करना भी तकनीकी फाउल है।

यदि टाइम आउट लिया गया हो तो कोच मैदान में, बिना प्रवेश किये और खिलाड़ियों के बिना उन से निकले उनको सम्बोधित कर सकता है। (खिलाड़ी अनुमति लेकर मैदान से बाहर जा सकते है)। यदि एवजी खिलाड़ी कोर्ट से बाहर ही रहे तो वे कोच की बातें सुन सकते हैं, जैसा कि खिलाड़ियों के मामले में होता है। अनजाने में किये नियम-भंग तकनीकी फाउल नहीं माने जाते । कोच द्वारा फाउल किये जाने पर दण्ड होता है एक फ्री-धो यद एवजी खिलाड़ी इस तरह का फाउल करता है तो दो फ्री-धो दिये जाते हैं।

यदि कोई कोच लगातार नियमों को तोड़ता है तो उसे कोर्ट के आसपास वाले क्षेत्र से परे हटा दिया जाता है और उसका स्थान कप्तान अथवा सहायक कोच लेता है। अन्तराल अथवा इंटरवल में जब दो फ्री-थों लिये जा चुके होते है खेल जम्प-बाल के साथ पुनः शुरू होता है।

वैयक्तिक फाउल (पर्सनल फाउल)

बास्केटबॉल के नियम
बास्केटबॉल के नियम
  1. यदि किसी विरोधी खिलाड़ी के पास गेंद न हो तो उसका मार्ग रोकना, होल्डिंग अर्थात् उसे पकड़ना, पीछे से रक्षा करते समय विरोधी को स्पर्श करना, धकेलना, प्रहार करना, टींग फँसाकर गिराना अथवा विरोधी के स्पर्श में आकर उसके मार्ग को रोक लेना, इन सब बातों की मनाही है। यदि गेंद खेलने की कोशिश की जा रही हो तो हाथों को विरोधी के हाथों से स्पर्श करने की अनुमति होती है परन्तु यदि विरोधी खिलाड़ी शूटिंग कर रहा हो तो इस तरह करना नियम के विरुद्ध है।
  2. यदि कोई खिलाड़ी सामान्य रूप से हरकत कर रहा हो नार विरोधी खिलाड़ी मार्ग में रुकावट बन खेलने की कोशिश न कर रहा हो और तब उसे धक्का लग जाए अथवा उस पर प्रहार हो जाए तो इसे फाउल अथवा नियमों का उल्लंघन नहीं माना आएगा।
  3. यदि स्पर्श का खतरा हो तो ड्रिबलर को दो विरोधी खिलाड़ियों के बीच में से ड्रिबल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और न हो बाउंड्री रेखा और विरोधी के बीच वाले क्षेत्र में ड्रिबल करने की कोशिश करनी चाहिए। हाँ, एक बार उसका सिर और कन्धे विरोधी खिलाड़ी को पार कर जाते हैं और बाद में स्पर्श होता है तो यह जिम्मेदारी विरोधी खिलाड़ियों की होगी।
  4. भीड़ करके घेराव-सा करके ड्रिबलर को उसके सीधे मार्ग से नहीं हटाया जाना चाहिए। परन्तु यदि विरोधी खिलाड़ी नियमानुसार स्थिति में हो तो बिलर को अपना सीधा मार्ग बदलना चाहिए अथवा ड्रिबल बन्द कर लेना चाहिए । अचानक ही यदि कोई स्पर्श हो जाए तो उसके लिए किसी तरह का दण्ड नहीं होता।

जानबूझकर फाउल

यह बड़ा गम्भीर मामला है और जानबूझकर किये वैयक्तिक पाउल इस “कोटि में आते है। लगातार ऐसा करने वाले खिलाड़ी को डिसक्वालिफाई कर दिया जाता है।

डबल फाउल

यदि दो खिलाड़ी एकसाथ एक-दूसरे के विरुद्ध फाउल करते हैं तो दोनों में से प्रत्येक के विरुद्ध फाउल अंकित किया जाता है। उनमें जम्प – बाल करवाके खेल पुनः शुरू करवाया जाता है।

मल्टीपल अथवा अनेक फाउल

यदि एक ही समय विरोधी टीमों के दो खिलाड़ी एक खिलाड़ी से फाइल करते है तो दोनों में से प्रत्येक खिलाड़ी के विरुद्ध पर्सनल अथवा वैयक्तिक पाउल अंकित कर लिया जाता है। जिसके प्रति फाउल किया गया होता है वह दो फ्री-थो लेता है। यदि उस समय यह खिलाड़ी जिसके विरुद्ध फाउल किया होता है शूटिंग कर रहा होता है तो गोल हो जाने पर नियमित माना जाता है; तब फ्री थो नहीं दिये जाते, फाउल अंकित किये जाते हैं और गेंद को सिरा रेखा से पुनः खेल में लाया जाता है।

युगल अथवा बहु फाउल

यदि युगल फाउल और कोई दूसरा फाउल एकसाथ ही होते हैं तो पहले युगल का फैसला किया जाता है। दूसरे फाउल पर दण्ड यह मानकर दिया जाता है मानो कोई युगल फाउल हुआ ही नहीं।

जड़ अथवा डैड गेंद पर फाउल

गेद के ‘डैड’ हो जाने पर किये जाने वाले फाउल का फैसला यह मानकर किया जाता है मानो वे उस समय हुए जबकि वह पहला फाउल हुआ था जिसके कारण गेंद को डैड अर्थात् खेल से बाहर माना गया था। इसलिए दोनों टीमों के विरुद्ध एक ही समय किसी भी संख्या में फाउल दिये जा सकते है।

यदि वह टीम जिसके पास गेंद हो। फील्ड गोल कर लेती है तो सभी फाउल अंकित कर लिए जाते हैं और फ्री-थो, धो-इन आदि दण्ड जो उस समय तक नहीं दिये गये होते रद्द कर दिये जाते हैं।

अन्य फाउल

(क) एक ही समय में किये गए फाउल अथवा वे फाउल जो गेंद के जड़ होने पर किए गए हो। इस अवस्था में हर फाउल का दण्ड दिया जाता है। (ख) यदि दोनों टीमों ने एकसाथ इस तरह के फाउल किये हों जिन पर समान दण्ड दिये जाने हो उन पर कोई श्री-थो नहीं दिये जाते । तब खेल को शुरू करवाने के लिए जम्प-बाल किया जाता है। यह जम्प- बाल निकटतम वृत्त पर करवाया जाता है और यदि किसी तरह का शक हो तो केन्द्र में करवाया जाता है। केवल एक टीम को दिये दण्ड ही रहेंगे; परन्तु किसी टीम को गेंद का अधिकार तथा दो फ्री-थो से अधिक नहीं मिल सकता।

डिसक्वालिफिकेशन

पाँच फाउलों के बाद चाहे वे तकनीकी अथवा वैयक्तिक हों खिलाड़ी डिसक्वालिफाई हो जाता है। उसे अपने आप ही खेल से बाहर चले जाना होता है। हाँ, यदि कोई नियमों का उल्लंघन बहुत ज्यादा करने लगे तो उसे तत्काल ही खेल से बाहर कर दिया जा सकता है।

एक सत्र में यदि टीम ने दस खिलाड़ी फाउल कर लिए हो-तकनीकी अथवा वैयक्तिक- तो अतिरिक्त समय सत्र में होता है। बाद के वैयक्तिक पाउल कुछ अपवाद छोड़कर दो भी दो से दण्डित होगे।

अंपायर के संकेत

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Updated: March 6, 2023 — 2:04 pm

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