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अजवाइन के फायदे और इसके 33 उपयोगी गुड़ों को जानकर रह जायेंगे हैरान

अजवाइन के फायदे, उपयोग और औषधीय गुड़ों को जानकर आप भी करें इसे खाना शुरू होंगे बहुत सारे लाभ। अजवायन (Ajwain) को सब्जी-भाजी, अचार, कढ़ी आदि में स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं अपितु इसके गुणों कारण भी बहुतायत में प्रयोग किया जाता है। अजवायन (Benefits of Ajwain) का तेल भी दवाइयों में प्रयुक्त होता है। इसके गुणों के कारण ही हकीम, वैद्य और डॉक्टर, तीनों पैथियों में इसे प्रयोग में लाते हैं। अजवायन दाने, अर्क, अवलेह, काढ़े, तेल, घी, गोली के रूप में प्रयोग की जाती है।

अजवाइन के फायदे, उपयोग और औषधीय गुड़

अजवाइन के फायदे
Benefits of Ajwain

अन्य भाषाओं में नाम

अजवायन को यवानिका (संस्कृत में), चमानी (बंगला में), यवान (गुजराती में), ओंडू (कन्नड़ में), ओवा (मराठी में) और ओमम् (तमिल में) के नामों से जाना जाता है। यह देश भर में प्रयोग की जाती है। अपने अनेक गुणों के कारण ही यह अत्यधिक प्रयुक्त होती है। इसकी पैदावार देश भर में, कहीं अधिक तो कहीं कम होती है। इसका प्रयोग अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग ढंग से किया जाता है।

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अजवायन के गुण

यदि अजवायन (अजवाइन के फायदे) के गुणों को संक्षेप में वर्णित करना हो तो यह अन्न को पचाने में सहायता करती है। पित्त की मात्रा को बढ़ाती है। पेट के दर्द को दूर करती है। पेट की अनेक बीमारियों में यह हितकर है। तिल्ली की खराबी, पेट के तनाव को कम करने, कफ और वायु से होने वाली सभी बीमारियों में मददगार सिद्ध होती है। यदि पेट में कीड़े पड़ जाएं, तो इन्हें भी निकालने में काम आती है।

अजवायन एक मसाला है और बतौर सस्ती दवा प्रयोग में आती है। इसकी खुशबू अच्छी होती है। स्वाद तेज तथा कड़वा तीखा होता है। यह आसानी से पच जाती है और भोजन को पचाने में मदद करती है। जहां तक तासीर की बात है, यह गर्म होती है। उल्टियों (कै) में भी लाभदायक है। इसका प्रयोग अधिक नहीं करना चाहिए, नहीं तो यह शुक्र धातु को सुखाने वाली है। चमड़ी के कई रोगों में इसे तेल में मिलाकर लगाने से लाभ होता है। इसे लगाने से चमड़ी पर दर्द या जलन जरूर होती है, पर फायदा भी पहुंचाती है। दवा के तौर पर अजवायन (अजवाइन के फायदे) को निम्न रोगों में इस्तेमाल करते हैं-

अजवाइन के फायदे / उपयोग

  1. कफ-पित्त और वायु की अधिकता में इसका प्रयोग लाभकारी है। यह इन्हें बैलेंस करने में सहायक होती है।
  2. खाना रुचिकर करती है। भोजन को पचाने में सहायक है तथा पेट भर खाने की इच्छा पैदा करती है।
  3. अजवायन पेट की आग को जल्दी तेज करती है। पित्त को बढ़ाती है। पेट दर्द दूर करने में अचूक है।
  4. वह कफ को घटाने, समाप्त करने में मदद करती है। पेट के अफारे को दूर करती है तथा पेट के कृमि भी खत्म होते हैं।
  5. अजवायन धर्म रोगों में बहुत लाभदायक सिद्ध होती है। इसे पीसकर, तेल में मिलाकर, शरीर पर लगाने से चर्म रोग खत्म होते हैं।
  6. वायु गोला अथवा अब्हामिलन ट्यूमर हो जाए तो प्रतिदिन सुबह-शाम (हो सके तो दोपहर में भी) और फिर सोती बार थोड़ा-सा अजवायन का अर्क ले लेने से यह रोग सदा के लिए खत्म हो जाएगा। तब तक लें जब तक पूर्ण लाभ न हो।
  7. यदि खड़े डकार आते हों, खाया-पिया न पचता हो, कलेजे में भारीपन लगता हो, पेट में अक्सर दर्द हो रहा हो, तो गर्म पानी में अजवायन का तेल डालकर पीने से सब कुछ रुचिकर लगेगा रोग खत्म हो जाएगा।
  8. दांत में असहनीय दर्द हो रहा हो तो अजवायन के तेल की एक-दो बूंद उस पर लगा दें। मुंह से राल गिराते रहें। थोड़ी देर में काफी लाभ होगा। इसे 5-7 बार 5-6 घंटे के बाद दोहराते रहें। दांत का दर्द ठीक हो जाएगा।
  9. हवा से, ठंड से या कफ आदि के कारण अगर कान दर्द करने लगे तो भी अजवायन के तेल की दो बूंदें डालने से कान का दर्द खत्म हो जाएगा।
  10. यदि खांसी, जुकाम और कफ की अधिकता के कारण गले में सूजन आ जाए तो शहद में कुछ बूंदें अजवायन के तेल की डालकर चाट लें। 6-7 बार, कुछ घंटों के अन्तराल के बाद उसे दोहराएं, गले की सूजन ठीक होगी।
  11. पुरुषत्व प्राप्ति के लिए अजवायन को श्वेत प्याज के रस में 3 बार भिगो और सुखाकर रख लें। इक्कीस दिनों तक नियमित सेवन से पूर्ण लाभ प्राप्त होगा।
  12. यदि कफ बदबूदार और अधिक गिरता हो, अजवाइन का सत्त घी, शहद में मिलाकर लें। पूर्ण लाभ होगा।
  13. यदि चर्मरोग और व्रणों से पीड़ित हों, अजवायन को हल्के गर्म पानी में पीसकर लेप बना लें। इस लेप को दिन में तीन बार लगावें। दाद, खाज, खुजली तथा कीड़ों वाले व्रण में लाभ होगा। यदि जलन या दर्द होती हो तो भी इस स्थान पर लेप करने से फायदा होगा।
  14. यदि पेशाब अधिक आता हो। वृक्कशूल की तकलीफ हो तब 2 माझे अजवायन तथा 2 माशे गुड़ लें। इसे कूटकर खूब महीन करके एक-एक माशे की चार गोलिया बना लें। इसे दिन में चार बार लें। इससे पेशाब का बार-बार आना कम हो जाएगा।
  15. यदि पेशाब की बहुतायत हो तो गोलियों की मात्रा दोगुणी कर लें।
  16. डेढ़ तोला साफ अजवायन लें। इसे एक साफ कपड़े में बांधकर ढीली सी पोटली बना लें। इस पोटली को सूंघने से कास, श्वास, कफ से पैदा होने वाले सभी रोगों में लाभ होता है। नाक से पानी गिरना बन्द हो जाता । बड़ा ही आराम मिलता है।
  17. यदि जुकाम में आराम न मिल रहा हो, अजवायन के चूर्ण की बीड़ी बनाकर पी लें। या फिर इसकी नसवार लें। सिर-दर्द, जुकाम, नजला सबमें फायदा होगा।
  18. यदि खांसी तंग कर रही हो। कफ बहुत निकलता हो। उस कफ में बदबू भी हो तो अजवायन का सत्त 1 रत्ती थोड़े घी व शहद में मिलाकर लें। इसे दिन में चार बार दोहरा दें। पूरा लाभ मिलेगा।
  19. यदि खांसी की परेशानी से रात्रि के समय नींद न आती हो तो थोड़ी-सी साफ अजवायन को पान के बीड़े में डालकर चबाएं। रस को धीरे-धीरे चूसते रहें। यह क्रिया सोने से पहले फायदेमन्द रहेगी।
  20. खाना न पचता हो। खाना खाने के बाद छाती में जलन महसूस होती हो, तो अजवायन व बादाम की भीगी गोली दोनों को खूब चबाकर खाएं। इसे भोजन के बाद खाने से अधिक लाभ होता है।
  21. अजवायन प्रातः सायं गर्म पानी से लेने से मासिक धर्म में भी नियमितता आ जाती है।
  22. यदि इन्फलुएंजा हो तो भी अजवायन से उपचार में लाभ होता है। अजवायन 1 तोला, एक कप पानी में पका लें। इस पानी को हर 4 घण्टों बाद चार-चार चम्मच पिला दें। इसे एक दिन और रात्रि दोहराते रहें। 6-7 खुराकों के बाद ही इन्फलुएंजा का प्रभाव खत्म हो जाएगा।
  23. यदि आप ठंड, वायु, बलगम आदि से परेशान हैं तथा भोजन न पचकर उल्टी हो जाती है, तो भी अजवायन खाने से लाभ होगा। एक चम्मच चीनी में 4-5 बूंदें अजवायन का तेल डालकर पी लें। इसे तीन-चार बार दोहरा लें। डेढ़-दो घंटे का हर खुराक में अन्तर रखें। भोजन पचने लगेगा। जी ठीक हो जाएगा। उल्टी करने की इच्छा नहीं रहेगी।
  24. यदि भूख न लगती हो, मुंह से लार टपकता हो और पोटी में छोटे-छोटे कृमि दिखाई दें, बुखार की भी शिकायत हो, तो रोज प्रातः अजवायन का काढ़ा पी लें। इससे लाभ होगा।
  25. यदि अजवायन भोजन के पश्चात् थोड़ी खाने की आदत बन जाए तो अनेक रोग ठीक हो जाएंगे। मुंह का स्वाद बना रहेगा। पाचन शक्ति में वृद्धि होगी। मुंह कच्चा कच्चा नहीं रहेगा। खट्टी डकारों से भी छुटकारा मिल जाएगा।
  26. जिस किसी की तिल्ली बढ़ गई हो, ठंड व बुखार महसूस होता हो। अनीमिया की शिकायत हो। पीलिया रोग की भी शिकायत हो तो अजवायन के अर्क को लेने से रोगमुक्त होंगे।
  27. गर्भवती स्त्रियों या प्रसूता स्त्रियों के लिए भी अजवायन रामबाण का काम करती है। यदि बच्चा पैदा होने के 2-4 दिन बाद भी हल्का-हल्का ज्वर महसूस हो, पेट में पीड़ा, खांसी, जुकाम, हाथ-पांव में जलन महसूस हो, भोजन करने को मन न करे, मंदाग्नि से पीड़ित हों, ऐसे में अजवायन का सही प्रयोग लाभदायक होता है। ऐसे में जच्चा को अजवायन का हरीरा बनाकर खिलाने से लाभ होता है (हरीरा बनाने का तरीका बाद में दिया है।)
  28. यदि किसी की खाने-पीने में बदपरहेजी हो गई हो। खाया-पिया पचता नहीं। कब्ज की शिकायत हो जाए या वायु संतुलित न रहे। पेट में तनाव रहने लगा हो, तो अजवायन से इलाज सम्भव है।
  29. अजवायन का अर्क दो तोले, तीन माझे काला नमक मिलाकर पी लें। हर चार घण्टों बाद इसे पी लें। सब ठीक हो जाएगा।
  30. ऊपर वाली तकलीफों का एक और इलाज है। एक रत्ती हींग, तीन माशे वायविडंग की चिलम पी लें। यह धुआं अन्दर जाते ही सब सामान्य कर देगा। इसमें रेत और अजवायन की पोटली बनाकर पेट पर सेंक दें। इसमें यदि पिसा हुआ नमक भी डाल लें तो लाभ जल्दी होगा। इस सारी प्रक्रिया को दिन में तीन चार बार दोहरा सकते हैं।
  31. पेट की आग ठंडी होने से, मंदाग्नि के कष्ट में पेट दर्द हो जाना आम बात है। चीनी में अजवायन का तेल डालकर खाने से रोगमुक्त हो जाएंगे।
  32. यदि किसी का गला सूज गया है। शहद और अजवायन का तेल चाटने से लाभ होगा।
  33. कान के दर्द में भी अजवायन बहुत लाभ देती है। अजवायन का तेल एक भाग, सरसों का तेल तीन भाग लेकर मिलायें। इसे धूप में गर्म कर लें। या फिर आंच पर ही इसकी ठंडक दूर कर दें। कान में 2-3 बूंदें गिरा दें। इसे दिन में दो बार करें। 2-4 दिनों में ही पूरा आराम मिल जाएगा।

कैसे बनता है हरीरा

बारीक पिसा छाना हुआ अजवायन (अजवाइन के फायदे) का चूर्ण 6 माशा की मात्रा में बादाम की छिली – पिसी गिरी दो लेवें। 9 दाने काली मिर्च को पीसकर चूरा बना लें। पुराना गुड़ एक तोला। एक ही तोला देसी घी। गाय या बकरी का दूध 250 ग्राम। इन सबको ठीक तरह से मिला लें। इन्हें आग पर पकाने से जब पांच उबाल आ जाएं, इसे ठंडा करने के लिए रख दें। यह अजवायन का हरीरा हुआ।

इस हरीरे को रोगी को खिलाएं। इसे प्रातः नाश्ते के समय रोजाना 45 दिनों तक देते रहें। हरीरा के साथ पानी मत पिएं। कम-से-कम एक घंटे का अन्तराल दें। इससे प्रसूता का बुखार, अपचन, दर्द, जलन, पेट में तनाव आदि सब रोग दूर होते हैं।

कुछ अन्य इलाज

  1. यदि पित्ति से पीड़ित हैं तो अजवायन और गुड़ मिलाकर खाने से लाभ होगा।
  2. जिन्हें बिस्तर गीला कर देने की आदत हो या जिन्हें कई-कई बार पेशाब करने जाना पड़े, उन्हें अजवायन और तिल्ली का सेवन करना चाहिए। अजवायन में गुण अनन्त हैं। इससे होने वाले लाभ बेशुमार हैं। अतः अजवायन को प्रतिदिन, किसी-न-किसी रूप में थोड़ा-बहुत लेते रहें। यह डॉक्टर बनकर, आपके शरीर को स्वस्थ रखने तथा आपकी कांति बनाए रखने का स्वतः काम करती रहेगी।

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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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