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सौंफ खाने के फायदे, इन 30 तरह से करें सौंफ का उपयोग होंगे अनेक लाभ

भारतवर्ष के सभी तर गरम प्रदेशों में सौंफ पैदा किया जाता है। सौंफ का उपयोग कर जगह होता है और सौंफ खाने के फायदे अनेक है। भारतीय मसालों में इसका उपयोग अनिवार्य हो जाता है। दोमट मिट्टी में सौंफ (Benefits of Fennel Seeds in Hindi) की खेती आसानी से हो सकती है। आलू और तम्बाकू सर्दियों के मौसम में बीजा जाता है। सौंफ भी इसी प्रकार की खेती के साथ पैदा किया जाता है। अलग से भी सौंफ की खेती की जाती है। दवाइयों के काम आता है। भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। सौंफ से भोजन सुगन्धित भी हो जाता है। सौंफ से निकाला तेल अनेक प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है।

सौंफ खाने के फायदे

सौंफ खाने के फायदे
Benefits of Fennel Seeds in Hindi

सौंफ का उपयोग

इसका अर्क भी तैयार होता है। सुगन्धित तेलों में भी यह प्रयोग किया जाता है। शरबत बनाने में भी इसे इस्तेमाल करते हैं। केवल देसी दवाइयों में ही नहीं, एलोपैथी की दवाइयों में भी सौंफ प्रयोग किया जाता। साबुन को सुगन्धित व लाभकारी बनाने के लिए भी सौंफ से निकाले गए तेल काम आते हैं।

कई प्रकार के भोजन, पुलाव, सब्जी, मसालों, अचारों, मुरब्बों में भी सौंफ का उपयोग किया जाता है। सौंफ, चूर्ण, पत्तियां, तेल, कई प्रकार से यह उपयोग में लाया जाता है। भोजन करने के बाद, मुंह का स्वाद बनाए रखने व भोजन को पचाने के लिए भी इसे चबाया जाता है।

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सौंफ से मंदाग्नि की शिकायत दूर होती है। भोजन को सुपाच्य बनाने में यह सहायक है। सौंफ (सौंफ खाने के फायदे) मीठी तथा कड़वी दोनों प्रकार की होती है। गर्भवती नारियों के गर्भ को टिकाने, कब्ज को दूर कर, पेट को ढीला करने, वीर्य की वृद्धि के लिए भी इसका उपयोग होता है। सौंफ के सेवन से खांसी-दमा में राहत मिलती है। वायु विकार में फायदेमंद है। बुखार, जलन, सूजन, पेट व छाती की बीमारियों में भी इससे फायदा होता है। इसकी तासीर गर्म है।

माथे का दर्द, गुर्दे के विकार तथा तिल्ली में भी सौंफ का सेवन लाभकर है। यह प्यास बुझाने तथा घाव ठीक करने में सहयोगी है। आंव पड़ना और दस्तों से परेशान होना जैसे बहुत-से रोगों में भी सौंफ फायदेमंद है। निम्नलिखित बीमारियों में सौंफ का प्रयोग बहुत लाभकर बताया गया है-

सौंफ खाने के फायदे (Benefits of Fennel Seeds in Hindi)

  1. गर्भवती नारियां इसका उपयोग करती हैं ताकि उनका गर्भ टिका रहे।
  2. कब्जी वाले लोग इसे पेट साफ रखने के लिए प्रयोग करते हैं। यह मल का ढीला कर, नीचे उतारने का काम करता है।
  3. सौंफ स्वाद को बढ़ाती है। यह कड़वी, तेज और मीठी भी होती है। वीर्य में वृद्धि करती है। शरीर पुष्ट होता है। कमजोर लोगों को शक्ति प्रदान करता है।
  4. जिन लोगों की पाचन शक्ति कमजोर हो, उन्हें यह पेट की आग को तेज कर, अधिक खाने की प्रवृत्ति देती है।
  5. यह खांसी, दमा तथा कफ के रोगी को राहत देती है।
  6. आंतों की खराबी, आंतों में सूजन को ठीक करने में सौंफ सहायक है। इसकी तासीर गर्म होती है।
  7. यदि पेट में गैस, वायु बनती रहती हो और इससे तकलीफ होती हो, तो दाल-सब्जी के तड़के में इसे डालकर खाएं, वायु बननी बन्द हो जाएगी। आप अपने को हल्के-हल्के महसूस करेंगे।
  8. बुखार तेज हो, और काबू में न आ रहा हो, तो सौंफ का अर्क पिलाने से ज्वर कम हो जाएगा। यह खुराक हर घंटे बाद लें। मगर दिन में चार खुराक से ज्यादा नहीं।..
  9. सिर के दर्द का कारण बादी और बलगम हो तो भी सौंफ का काढ़ा लें लाभदायक होगा।
  10. यदि गर्भवती स्त्री अपने होने वाले बच्चे का रंग गोरा चाहती हो तो वह भोजन के बाद नियमित सौंफ थोड़ी मात्रा में खाना शुरू कर दे। बच्चे का रंग अवश्य गोरा होगा।
  11. जिस नारी का गर्भ अक्सर गिर जाता है, वह सौंफ का अर्क नियमित पीने लगे ऐसा नहीं होगा।
  12. पुराना और तंग करने वाला कब्ज कई बीमारियों की जड़ है। इससे छुटकारा पाने के लिए सौंफ की फक्की गर्म पानी के साथ लें। यदि इसे सोने से पहले लें तो बहुत लाभ होगा।
  13. यदि पेशाब रुक-रुककर, थोड़ा-थोड़ा आता हो, तकलीफ भी होती हो तो सौंफ ही आपको इस तकलीफ से छुटकारा दिला सकती है। मिट्टी का घड़ा लें। उसमें पानी भर लें। इस लेप को पेड़ पर चढ़ाएं। एक इंच के करीब मोटी परत हो। साथ ही, हर दो घंटों बाद पताशे में सौंफ के तेल की कुछ बूंदें डालकर सेवन करें। रोग से छुटकारा मिलेगा।
  14. अगर नजर कमजोर हो रही हो तो सौंफ के शुद्ध तेल को आंखों में लगाने से आंखों की ज्योति तेज होने लगेगी।
  15. बलगम और बादी के कारण सिर में दर्द रहता हो तो इसका एक और इलाज। आप 5 ग्राम सौंफ एक मुचकुन्द के फूल के साथ जल डालकर लेप की तरह पीस लें। गुनगुना कर सिर पर लगावें लाभ होगा।
  16. यदि यह सिर दर्द पित्त की वजह से है, तो लेप शीतल ही ठीक रहेगा। सिर दर्द ठीक हो जाएगा।
  17. यदि पेट में गैस रहने लगी है, तो दाल या सब्जी में सौंफ का छौंक देकर सेवन करें। पेट में गैस होना, वायु बनना ठीक हो जाएगा।
  18. यदि पेट में पीड़ा रहती है, तो सौंफ का गर्म-गर्म काढ़ा पी लें। लाभ होगा।
  19. यदि आपकी पाचन शक्ति कमजोर है। आप मंदाग्नि के शिकार हैं तो भोजन के बाद दो तोले सौंफ का अर्क पीयें।
  20. ज्वर ज्यादा रहता हो तो 10 ग्राम सौंफ का अर्क पिला दें। इसे हर घण्टे बाद देते रहें। पर दिन में तीन-चार बार से अधिक नहीं। यह विषम ज्वर की अचूक दवा है।
  21. जिसे वीर्य की कमी हो तथा शरीर कमजोर रहता हो तो उसके लिए सौंफ की बर्फी लाभदायक होती है। 10 गर्म सौंफ की बर्फी सोने से पहले, उबालकर ठंडे किए गाय के दूध के साथ खाएं। इसे नियमित डेढ़-दो महीना तक लेते रहें। वीर्य गाढ़ा बनेगा और मर्दानगी शक्ति में बढ़ोत्तरी होगी। (बर्फी बनाने की विधि आगे दी गई है।)
  22. गर्मी तथा बादी अक्सर रहती है। और इसके कारण सिर दर्द पीड़ित किया करता हो तो भी सौंफ से राहत मिलती है। सौंफ का माजून तैयार कर लें। कुछ दिनों तक खाते रहने से यह कष्ट खत्म होगा ( माजून बनाने की विधि आगे दी गई है।)
  23. यदि शरीर में अन्दर-ही-अन्दर जलन बनी रहती हैं, तो सौंफ के शर्बत में छह माशे कागजी नींबू का रस डालकर दिन में चार बार लें।
  24. यदि आपको कफज अतिसार हो गया हो, जिसमें बलगम बिगड़कर पतले दस्त आने लगे हों, तो 100 ग्राम सौंफ, 50 ग्राम गाय के घी में भून लें। जब सौंफ का रंग (ब्राउन) भूरा हो जाए, इसे पीसकर छान लें। इसमें चीनी मिला लें। दोनों की मात्रा समान हो। हर चार घंटों बाद ठंडे पानी के साथ 50-50 ग्राम खाएं। रोग से छुटकारा मिलेगा।
  25. यदि किसी को पित्त बढ़ गया हो। वायु-गोले से पीड़ित रहने लगे हों, तो भी सौंफ से इलाज किया जा सकता है। थोड़ी भुनी सौंफ लें। इसमें इतनी ही मात्रा में कच्ची सौंफ तथा चीनी मिला लें। तीनों को पीसकर खा लें। इस पर गर्म किया हुआ ठंडा दूध पीने को दें। दिन में तीन बार लें। रोगी को रोग से छुटकारा मिलेगा।
  26. यदि पित्त बढ़ जाने के कारण प्यास बहुत लगती हो, तो भी सौंफ का सहारा लिया जा सकता है। 5 ग्राम चीनी में 8-10 बूंदें सौंफ के तेल को टपकाकर खा जाएं। इसे दिन में हर चार घंटे बाद लें। बहुत फायदा होगा। प्यास का अधिक लगना बन्द हो जाएगा।
  27. ऊपर दिए रोगी के लिए पीने का पानी भी अलग तरीके से तैयार कर लें अलग बर्तन में पानी लें। उसमें 50 ग्राम सौंफ और 25 ग्राम वायविडंग की बंधी पोटली डुबो दें। यही पानी पीने को दें। यदि वर्तन में रखा पानी उबाल कर ठंडा किया हुआ हो तो जल्दी लाभ होगा।
  28. यदि आंख में मोतिया बिन्द उत्तर आया हो और आंख से पानी चलने लग गया हो तो सौंफ का बना सुरमा 5-7 महीनों तक लगातार लगाते रहें। इससे उतरते मोतिया बिन्द में लाभ होगा। (29) अगर किसी को लू लग गई हो उसे राहत देने के लिए बताशे में अथवा चीनी में कुछ बूंदें सौंफ के तेल की डालकर खिलाएं, लाभ होगा। यदि लू का प्रकोप कम रहा हो तो इसे दिन में चार बार, यदि अधिक हो तो आठ बार देवें।
  29. ऊपर दिए लू से पीड़ित रोगी को शीघ्र राहत दिलाने के लिए कुछ और भी मिट्टी के घड़े के ठंडे पानी में (या बर्फ का किया ठंडा पानी भी चलेगा) बीस बूंद सौंफ का तेल डाल दें। इस पानी में एक बारीक, साफ चद्दर भिगो लें। इसे हल्का-हल्का निचोड़ भी लें ताकि अधिक पानी न रहे। इस ठंडी चादर से रोगी के बदन को ढंक लें। जैसे ही चद्दर सूखने लगे, दोबारा सौंफ का तेल डालकर, पूरी क्रिया दोहरा दें। लाभ होगा।
  30. यदि किसी भी प्रकार का आंव पड़ता हो तो सौंफ के तेल की 4-5 बूँदें चीनी या बताशे में दें। इस क्रिया को दिन में चार बार दोहरावें। रोग समाप्त होगा। आंव पीला, हरा या लाल क्यों न हो, चार दिनों में ही आना बन्द हो जाएगा।

पानक बनाने की विधि

शक्कर देसी एक किलो, सफेद चन्दन का चूरा एक तोला, जम्बीरी व शतावार का रस 50-50 ग्राम तेल सौंफ कोई 45-50 बूदें ही, इसे खूब मिलाकर पानक तैयार कर लें। इसे मिलाने के लिए पौना किलो पानी डालें तथा मथानी से खूब पीसकर मिला दें। पानी मिट्टी के घड़े से लें, जो खूब ठंडा भी हो इसे दिन में तीन बार डेढ़-दो चम्मच खाएं। इससे लू लगने से होने वाली बेहोशी नहीं हुआ करेगी। जिगर को शक्ति मिलेगी। अरुचि खत्म होगी। बल बढ़ेगा। हर प्रकार की कमजोरी दूर होगी। इस पानक को महाशिशिर पानक कहा जाता है। गर्मियों के दिनों में यह बहुत उपयोगी है।

सौंफ का सुरमा बनाने का तरीका

जब सौंफ (सौंफ खाने के फायदे) का पौधा तकरीबन एक फुट ऊंचा हो जाए, तो इसे जड़ से उखाड़ लें पौधे के साथ मिट्टी भी निकल आएगी इसकी जड़ों को भली प्रकार धोकर, फिर पूरे पौधे को पानी से निकाल लें। चीनी मिट्टी का कोई बर्तन लेकर, इस पौधे को उसमें सूखने के लिए डाल दें। इस बर्तन को धूप में न रखें। छाया में ही सूखने दें। इसे खरल में रखकर बारीक पीस लें। खरल काले पत्थर का हो तो बहुत अच्छा है। इसे प्रतिदिन खरल करते रहें। कोई 30-32 दिनों बाद यह बारीक सुरमे का रूप ले लेगा। फिर इसे छान लें। छानने के लिए सूती मोटा कपड़ा लें। जो छानने से बच जाए, इसे फेंके मत। इसे भी बारीक पीसते रहें। फिर छान लें। छाना गया पाउडर ही सौंफ का सुरमा है। इसे सुरमादानी में डालकर प्रयोग करते रहें। उतरते ही मोतियाबिन्द में लाभ मिलेगा।

कैसे बनेगी सौंफ की बर्फी

सौंफ को खूब बारीक पीस लें। फिर कपड़छान कर लें। 200 ग्राम इस पाउडर को 800 ग्राम गाय के दूध में डालकर खोया तैयार कर लें। इस खोये को 100 ग्राम गाय के घी में भून लें। जब हल्का (ब्राउन) भूरा रंग हो जाए, उसमें देसी चीनी की चाशनी डालें। यह चाशनी एक किलो चीनी से, एक तार तैयार की गई हो इसे धीरे-धीरे आंच पर हिलाते रहें, ताकि सूख जाए। जब यह खोये और चाशनी की शक्ल बर्फी जैसी लगे, इसे उतारकर, इसमें छोटी इलायची के 50 ग्राम दानों का कड़छम चूर्ण मिला दें। यह बर्फी तैयार है। इसे थाली में डालकर सूखने या सख्त होने को रख दें।

इसके नियमित डेढ़-दो महीना तक रात्रि के समय सेवन से कमजोरी दूर होगी तथा वीर्य में वृद्धि होगी। बर्फी का एक (पीस) टुकड़ा खाकर गर्म कर ठंडा किया दूध एक प्याला पी लें। यदि यह दूध गाय का हो तो ज्यादा लाभ होगा। शरीर पुष्ट करने के लिए यह बहुत लाभकारी होगी।

सौंफ का काढ़ा

25 ग्राम सौंफ दरदरा लेकर 400 ग्राम पानी में खूब उबालें। जब पानी 100 ग्राम रह जाए तो इसे छान लें। इसमें एक चुटकी खाने वाला मीठा सोडा डालकर पी लें। इससे पेट में दर्द नहीं रहेगा। काढ़ा ठंडा न होने दें। गर्म-गर्म ही पी लें। दर्द से शीघ्र राहत मिलेगी।

सौंफ का शर्बत

200 ग्राम सौंफ दरदरा और तीन लीटर पानी मिला दें। इसका काढ़ा तैयार कर लें। जब 700 ग्राम शेष बचे तो इस काढ़े को कपड़छान कर लें। इस काढ़े में डेढ़ किलो चीनी डालकर खूब मिलाएं। जब चीनी घुल जाए, तो इसे साफ कपड़े से छान लें। इस मीठे काढ़े की एकतार चाशनी तैयार करें। यही सौंफ का शर्बत है। इस शर्बत को 10 ग्राम लेकर, इसमें 20 ग्राम पानी मिलाएं। यह एक खुराक होगी। शरीर की अन्दरूनी जलन ठीक हो जाएगी।

सौंफ का माजून

दस तोले सौंफ, सौंफ की जड़ बीस तोले, बिल्ली लोटन पन्द्रह तोले। इसे खूब मिलाकर बहुत सारे पानी में भिगो दें। रात भर यों ही रहने दें। प्रातः इसका काढ़ा बना लें। जब सूखकर लगभग आधा किलो शेष बच जाए, तब इसे छान लें। इस छाने गए, तैयार काढ़े में सवा सेर देशी चीनी डालकर मिलाएं। जब चीनी घुल जाए तो फिर छान लें। एकतार की चाशनी तैयार करें। यह माजून है। प्रातः व सायं एक-एक खुराक लें। एक से डेढ़ तोला की एक खुराक होगी। बादी या गर्मी से सिर में दर्द रहता हो, और ठीक न हो रहे हों तो यह अचूक दवा होगी।

सौंफ का प्रयोग छौंक लगाने, कलौंजी के मसालों में डालने, नमकीन तथा मीठे अचारों के मसालों में भी किया जाता है। सौंफ (सौंफ खाने के फायदे) को अनेक दवाइयों में भी प्रयोग करते हैं। सौंफ स्वयं भी दवा है। सीधा दवाई के तौर पर प्रयोग होता है। यह सुगन्ध वाले पदार्थों में भी डाला जाता है। इसका तेल बहुत ही लाभप्रद होता है। सौंफ का अर्क भी रोगों से छुटकारा दिलाता है। अतः यह गुणों का धनी है।

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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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