भारत के मुख्य दर्शनीय स्थल पर निबंध:- ‘आनन्दमठ’ के लेखक श्री बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने भारत भूमि की बन्दना करते हुए इसे सुजला, सुफला, मलयज शीतला और सस्य-श्यामला कहा है। भारतभूमि के ये विशेषण पूर्णतः सार्थक हैं। वस्तुतः भारत विश्व का विशाल और सुन्दरतम देश है। भारत ही विश्व में एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ छह ऋतुएँ अपना प्रभाव दिखाती हैं और जहाँ विभिन्न प्रकार की जलवायु है।
यहाँ की प्राकृतिक रचना भी विचित्र और विवितापूर्ण है। यहाँ एक ओर विश्व का सर्वोच्च पर्वत देवतात्मा हिमालय है तो दूसरी ओर हजारों मील लम्बा समुद्र है। एक ओर दूर तक फैली मरुभूमि है तो अन्य ओर विस्तृत मैदान है। अनेक पर्वत श्रेणियाँ, पठार, नदियाँ और घाटियाँ हैं। यहाँ की पवित्र नदियों के किनारे और रम्य पर्वतों के उच्च शिखरों पर अनेक तीर्थ और देवालय हैं।
भारत के मुख्य दर्शनीय स्थल पर निबंध

प्रकृति रूपी नटी की तो भारत रम्य भूमि है। हिममण्डित पर्वतशिखर, अन्न से हरे-भरे खेत, बलखाती नदियाँ, प्राकृतिक सुषमा से पूर्ण वन, उत्ताल तरंगों से गजरता सागर किसके मन को मुग्ध नहीं कर देते। इसी कारण यहाँ अनेकानेक दर्शनीय और पर्यटन स्थल हैं। भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य ने न केवल यहाँ अपितु विश्व के पर्यटकों और भ्रमणार्थियों को सदा से आकृष्ट किया है।
भारतीय पर्यटक जहाँ पहले धार्मिक भावना से भारत के विभिन्न भागों में स्थित तीर्थों और देवालयों के दर्शन के निमित्त पर्यटन करते रहे हैं और आज भी करते हैं, वहाँ आज विश्व के पर्यटक यहाँ के सौन्दर्य, संस्कृति और कलाओं के आकर्षण से आकृष्ट होकर भारत के दर्शनीय स्थलों या पर्यटन स्थलों की यात्रा करते हैं।
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देश के उत्तरी भाग में सौन्दर्य का आगार और साक्षात् देवतात्मा हिमालय स्थित है। पूर्व समुद्र से ऊपर समुद्र तक फैले हुए इसके अनेकानेक हिममंडित भव्य शिखर इसके सिर पर रजत मुकुट-से शोभा पाते हैं। गढ़वाल हिमालय में ही एक ओर प्रसिद्धतीर्थ बदरीनाथ, केदारनाथ हैं तो वहीं हेमकुंट तीर्थ भी है। यहीं यात्रियों को आकृष्ट करने वाली विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी है। देवनदी गंगा का उत्पत्ति स्थान गंगोत्री और कृष्णप्रिया कालिंदी-यमुना का उद्गम स्थल यमुनोत्री भी यहीं है। इसी की तलहटी में प्रसिद्ध तीर्थ ऋषिकेश और हरिद्वार भी हैं। दूसरी ओर कूर्माचल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कौसानी और नीचे तलहटी में सुविख्यात नैनीताल है।
भारत का नन्दनवन काश्मीर तो पर्यटकों का स्वर्ग है। झेलम के किनारे बसा श्रीनगर और यहाँ की अनेक झीलें, जिनमें डल झील प्रसिद्ध है, भ्रमणार्थियों को आकृष्ट किये रहती हैं। शालीमार और निशात बाग, सेबों, बादामों और चेरियों के बाग आकर्षण का केन्द्र हैं। भगवान् शंकर के द्वादश ज्योतिलिंगों में एक प्रसिद्ध अमरनाथ जी का मन्दिर यहीं है। वर्तमान हिमांचल (हिमाचल) प्रदेश हिमालय का ही सुन्दर अंचल है। शिमला, कुल्लू, मनाली यहाँ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं।
मनाली तो भारत में अकेला ऐसा स्थल है, जहाँ मानवों के आदि पुरुष भगवान् मनु का मन्दिर है। यहाँ के सेबों के बाग भी बहुत ही प्रसिद्ध हैं। देश के उत्तरी भाग में ही सिक्खों का प्रसिद्ध तीर्थ अमृतसर का स्वर्ण मन्दिर है। यहाँ भगवती दुर्गा तथा अन्य देवताओं का आलय प्रसिद्ध दुर्गाण्या मन्दिर भी है। चंडीगढ़ के निकट पंजौर रमणीय स्थल है और इसके कुछ दूर पर ही सतलुज नदी पर बना विश्व प्रसिद्ध भाखड़ा बाँध है।
देश के मध्य भाग में जिसमें उत्तर प्रदेश, राजधारी दिल्ली, मध्य प्रदेश और बिहार के भू-भाग आते हैं, अनेक भव्य देवालय, पवित्र तीर्थ और प्राकृतिक वन हैं। भारत की राजधानी दिल्ली में ही लाल किला, कुतुबमीनार, शीशगंज गुरुद्वारा, बिडला मंदिर, आद्याशक्ति कात्यायनी मन्दिर, बुद्ध जयन्ती पार्क आदि अनेक धार्मिक और पर्यटन स्थल हैं। जो भ्रमणार्थियों के आकर्षण का केन्द्र हैं।
भारतीय संस्कृति के प्राण भगवान् श्रीराम और श्रीकृष्ण की लीला भूमियाँ अयोध्या और मथुरा उत्तर प्रदेश में ही हैं। गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर बसा तीर्थराज प्रयाग यहीं है। इसी प्रकार गंगा के किनारे भगवान् शंकर के त्रिशूल पर बसी पुण्यनगरी काशी हिन्दू संस्कृति की प्राणभूता है। यहाँ भगवान् विश्वनाथ का प्रसिद्ध मन्दिर है। विद्या की यह प्राचीन नगरी है। भारत के विभिन्न सम्प्रदायों के विद्वान्, सन्त-महात्मा यहाँ रहते हैं। यहीं धर्मचक्र का प्रर्ववन करने वाले भगवान् बुद्ध की प्रख्यात उपदेश भूमि सारनाथ भी धार्मिक और दर्शनीय पर्यटन स्थल हैं। विश्वविख्यात ताजमहल भी उत्तर प्रदेश के आगरा नगर में स्थित है।
पश्चिम की ओर महाराणा सांगा और महाराणा प्रताप जैसे वीरों की जन्म भूमि राजस्थान यहाँ का जयपुर नगर अपने गुलाबी सौन्दर्य लिए प्रसिद्ध उदयपुर झीलों की नगरी है। पर्वत अपने सौन्दर्य ताजमहल को भी पराजित मन्दिर सौन्दर्य अद्वितीय घाना का प्रसिद्ध पक्षिविहार राजस्थान ही भरतपुर है। इसी प्रकार रणथंमौर का प्रसिद्ध किला और बीरों प्रेरणा देने वाली प्रसिद्ध घाटी भी यहीं राजस्थान
पश्चिम ही गुजरात प्रदेश यहाँ के सौराष्ट्र प्रान्त समुद्र के किनारे भगवान् श्रीकृष्ण राजधानी द्वारिका शंकर प्रसिद्ध देवालय सोमनाथ है। गुजरात के अनेक दर्शनीय स्थलों यहाँ प्रसिद्ध सुरक्षित ‘गिर’ वन जो केसरियों (बब्बर शेरों की) बिहार यहीं साबरमती किनारे बसी महात्मा गाँधी भूमि साबरमती आश्रम भी है।
भारत पूर्व बंग प्रदेश, उत्कल प्रदेश, असम आदि बंगाल में कलकत्ता प्रसिद्ध नगरी है। यहाँ काली प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर मन्दिर गंगा सागर का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी यहाँ है। चाय प्रसिद्ध और सुन्दर बाग भी बंगाल दार्जलिंग के बनाए अनेक मन्दिर जिनमें समुद्र किनारे बना रथ के आकार का भगवान् प्रसिद्ध मन्दिर कोणार्क आज भग्नावस्था में है। यहाँ पुरी भगवान् जगन्नाथ जी का प्रसिद्ध है। यहाँ रथयात्रा उत्सव भी जगत् विख्यात है। भगवान् शंकराचार्य का एक मठ भी यहाँ है। असम का सौंदर्य लोहित (ब्रह्म पुत्र) कारण तो वन-सम्पदा, प्राकृतिक स्थल, हाथी, गैंडे आदि भी अति प्रसिद्ध हैं। पूर्वोत्तर भारत में त्रिपुरा, अरुणाचल, मणिपुर आदि भी प्रसिद्ध हैं।
भारत दक्षिण में महाराष्ट्र के अतिरिक्त आन्ध्र, कर्नाटक, तमिलनाडू और प्रदेश महाराष्ट्र गो-ब्राह्मण प्रतिपालक हिन्दू धर्म-रक्षक छत्रपति शिवाजी महाराज की कर्म-भूमि है। यहाँ के पुरन्दर, सिंहगढ़ रायगढ़ आदि के किले अति प्रसिद्ध उद्योग और व्यापार की नगरी मुंबई यहीं हैं। हिन्दी फिल्मों तो यह नगरी लेती है। महाराष्ट्र में ही अजन्ता-एलोरा और एलीफेंटा की प्रसिद्ध गुफाएँ हैं, जहाँ के भित्ति चित्र और बिहार, चैत्य बरबस पर्यटकों अपनी ओर आकृष्ट कर लेते हैं।
इसी प्रकार आन्ध्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल अपने मन्दिरों के कारण और भारतीय संस्कृति (हिन्दू संस्कृति) के शुद्धरूप को जीवित रखने के कारण प्रसिद्ध हैं। आन्ध्र के हैदराबाद में मुगल कालीन अनेक स्मारक, स्तम्भ और गुम्बद हैं। कर्नाटक में मैसूर का वृन्दावन उद्यान अपनी विशालता और भव्यता के कारण प्रसिद्ध है। तमिलनाडु में भगवती पार्वती का प्रसिद्ध मन्दिर मीनाक्षी मन्दिर है। भगवान् विष्णु का देवालय तिरुपति का देवस्थानम् भी अति प्रसिद्ध और दर्शनीय है।
इसी प्रकार महाबली पुरम् के वैष्णव और शैव मन्दिर भी सुन्दरता और भव्यता में अद्वितीय हैं। आद्यशंकराचार्य की जन्म-भूमि केरल प्राकृतिक सौन्दर्य की दृष्टि से और अपने नारियलों के वर्गों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का रामेश्वरम् का मन्दिर अति प्रसिद्ध है तो समुद्र तट पर बना विवेकानन्द शिला पर स्थित विवेकानन्द स्मारक भी अति भव्य है। यहाँ के समुद्र तट भी अपने सौन्दर्य में अनुपम हैं। अस्त होते सूर्य और उदय होते चन्द्र के दर्शन यहीं एक साथ किये जाते सकते हैं। यहाँ की प्रसिद्ध नौका दौड़ तो अपनी सानी नहीं रखती।
इसी प्रकार बिहार तथा मध्य प्रदेश में भी अनेक भव्य दर्शनीय स्थल हैं। बिहार में नालन्दा, वैशाली, पावापुरी, गया, भगवान् बुद्ध और भगवान् महावीर की लीला भूमियाँ हैं तो मध्य प्रदेश में उज्जयिनी में पवित्र क्षिप्रा के तट पर भगवान् महाकाल का पवित्र मन्दिर है। विक्रमादित्य की अवन्तिका भी यहीं है। आकर्षक पर्यटन स्थल पंचमढ़ी, मन्दिरों की नगरी खजुराहो और काह्नाकिचली का प्रसिद्ध वन मध्य प्रदेश में ही हैं।
वस्तुतः भारत को कोई भी स्थल ऐसा नहीं जो सुन्दर, भव्य और आकर्षक न हो, पुण्यदायी न हो। ग्रीष्म कालीन पर्यटन स्थलों में काश्मीर, मंसूरी, पंचमढ़ी, उटकमंड आदि स्थल सबको आकृष्ट करते हैं। समर्थ लोगों को समय निकालकर इनके दर्शन अवश्य करने चाहिए।
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