भारत की राजधानी दिल्ली पर निबंध: दिल्ली सैकड़ों वर्षों से भारत की राजधानी रही है। दिल्ली देश का हृदय है, जिसमें सारे देश की धड़कनें समायी रहती हैं। दिल्ली को देखना भारत के हृदय को देखना है। दिल्ली पुराने और नये रूप का संगम है। यह राजनीति का अखाड़ा है, इतिहास का साक्षात् रूप है और आधुनिक प्रगति का आकर्षक स्थान है।
भारत की राजधानी दिल्ली पर निबंध

ऐतिहासिक महत्व
दिल्ली का ऐतिहासिक महत्व इतना अधिक है कि अनेक प्रकार के परिवर्तन होने के फलस्वरूप भी यह अब तक अपरिवर्तित नगरी रही है। यह आज जिस रूप में है, वह इतिहास के पिछले पृष्ठों पर भी अंकित है। जब हमारा देश गुलाम था, तब भी दिल्ली का महत्व अधिक था।
बिटिश गुलामी से पूर्व तथा मुसलमानों से पूर्व अर्थात् महाभारत काल में यह नगरी पाण्डवों की राजधानी इन्द्रप्रस्थ के नाम से विख्यात थी। दिल्ली के प्रगति मैदान के पास खड़ा पाण्डवों का किला इसकी कहानी दोहरा रहा है। अलाउद्दीन के युग में इसका नाम ‘सिरी’ और बाद में में तुगलकों ने तुगलकाबाद रखा। अनन्तपाल ने इसे दिल्ली का नाम दिया।
स्थिति
दिल्ली ऐसा महानगर है, जहाँ हम हवाई जहाज से लेकर बैलगाड़ी तक से यात्रा कर सकते हैं। दिल्ली में घूमने के लिए ताँगे, स्कूटर, टैक्सी तथा बसें प्रायः हर समय मिलती रहती हैं।
नई दिल्ली
अब दिल्ली दो भागों में बँट गयी है-नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली। नई दिल्ली का नया रूप अंग्रेजों की देन है। बड़े-बड़े सभी दफ्तर नई दिल्ली में ही हैं। लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य यहीं बैठकर लम्बी-चौड़ी बहसों के बाद भारत के भाग्य का निर्माण करते हैं।
संसद भवन के साथ ही सेन्ट्रल सेक्रेटेरिएट, राष्ट्रपति भवन, इण्डिया गेट अंग्रेजों के शासन काल का भव्य स्मारक है। कृषि भवन, रेल भवन, विज्ञान भवन, आकाशवाणी केन्द्र और सुप्रीम कोर्ट इत्यादि नई दिल्ली के दर्शनीय स्थल हैं। नई दिल्ली में ही बिड़ला मन्दिर है जो धार्मिक दृष्टि से और कला की दृष्टि से दर्शनीय स्थल है।
पुरानी दिल्ली
पुरानी दिल्ली के चारों ओर किसी समय परकोटा रहा होगा। अब यह कश्मीरी गेट में तथा जहाँ-तहाँ दिखाई देता है। इसकी दीवार बहुत ऊँची और चौड़ी है। कश्मीरी गेट तथा अजमेरी गेट दिल्ली में घनी आबादी के क्षेत्र हैं। लाल किले के सामने गोरीशंकर के मंदिर से लेकर बाड़ा हिन्दूराव तक बहुत बड़ा बाजार है।
चाँदनी चौक दिल्ली का प्रसिद्ध बाजार है। फव्वारे के ठीक सामने गुरुद्वारा शीशगंज है, जो गुरु तेगबहादुर का भव्य स्मारक है। चाँदनी चौक जहाँ से आरम्भ होता है, वहाँ फतेहपुरी में एक अच्छी मस्जिद है। इसी मस्जिद के पास खारी बावली है जो किराने की बहुत बड़ी मण्डी है। इसी प्रकार सदर बाजार उत्तर भारत में हौजरी और मनियारी की अच्छी मण्डी है।
दिल्ली एक ऐतिहासिक नगर है। यहाँ का लाल किला, जामा मस्जिद, जंतर-मंतर, हुमायूँ का मकबरा इत्यादि इमारतें देखने योग्य हैं। राष्ट्रीय संग्रहालयों में रखी वस्तुएँ भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति की प्रतीक हैं।
पुराने किले के पास चिड़ियाघर में विश्व भर के पशु-पक्षी देखे जा सकते हैं। ओखला, बुद्धा गार्डन, तालकटोरा गार्डन, मुगल गार्डन और रोशनआरा बाग बड़े ही सुन्दर विहार स्थल हैं। बाल भवन बच्चों का मनोरंजन केन्द्र है।
दिल्ली गेट के बाहर भारत की महान् विभूतियों की भव्य समाधियाँ हैं। राजघाट में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि है। शान्तिवन में भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री श्री जवाहरलाल नेहरू की समाधि है।
शान्तिवन के पास ही लालबहादुर शास्त्री की समाधि है। शान्तिवन में श्रीमती इन्दिरा गांधी की समाधि भी है। इसी पट्टी में राजीव गांधी व संजय गांधी की भी समाधियाँ हैं। देश-विदेश के यात्री इन समाधियों पर अपने श्रद्धा-सुमन चढ़ाते हैं।
उपसंहार
भारत की राजधानी अपने आपमें एक अद्भुत निराली नगरी है। यहाँ देश के विभिन्न भागों से ही नहीं, अपितु विदेश के लोग आकर रहते हैं और इसके आकर्षण तथा सौन्दर्य से मोहित होकर फिर वापस नहीं जाते हैं।
इस प्रकार दिल्ली सुरसा के मुँह की तरह बढ़ती चली जा रही है। इस विस्तार के साथ-साथ दर्शनीय स्थल भी बढ़ते चले जा रहे हैं। इन स्थानों को देखने के लिए पर्याप्त समय, पर्याप्त धन और पर्याप्त परिश्रम की आवश्यकता है।
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