भोजन कब और कैसे खाएं एवं भोजन करने के नियम के बारे में जाने, स्वस्थ रहने के लिए, शरीर को क्रियाशील बनाए रखने के लिए भोजन किया जाता है। भोजन करने का एक सही समय होता है यदि हम अपनी दिनचर्या में भोजन को सही समय पर नहीं लेते हैं तो हमें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसीलिए हमें भोजन किस समय पर लेना चाहिए और किस तरीके से पूजन करना चाहिए के बारे में अच्छे से पता होना आवश्यक है। भोजन शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने का साधन है। साध्य नहीं।
भोजन कब और कैसे खाएं एवं भोजन करने के नियम

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भोजन करने के नियम
- जब हारे-थके हों, तब भोजन मत करें। थोड़ा फ्रेश होकर ही भोजन करें। इसके लिए हाथ, मुंह, पैर धोना और आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मार लेना, सबसे अच्छा व सस्ता उपाय है।
- निश्चित समय पर भोजन तो करें, मगर खूब शांत मन से, चौकड़ी लगाकर, तनाव रहित होकर भोजन करें। चबा-चबाकर भोजन करना, इसको सुपाच्य बना देता है। यह शीघ्र पच सकता है। इसमें लार अधिक मिल सकती है। पेट से निकलने वाले पाचक द्रव्य भी पूरा सहयोग दे पाते हैं।
- केवल भूख लगने पर ही भोजन करें। निश्चित समय पर भोजन करें। यदि भूख न हो तो एक समय का भोजन त्याग दें।
- यदि भूख के समय भोजन न करें तो बहुत हानि होती है। उस समय जठराग्नि प्रदीप्त हो चुकी होती है। भोजन जल्दी पच जाता है। अगला भोजन करने के लिए भी शरीर तैयार किया जा सकता है।
- भूख को टालना ठीक नहीं। इससे शरीर में दुर्बलता आने लगती है।
- केवल दो मुख्य भोजन करें। एक नाश्ता भी। तीन मुख्य भोजन लेना रोगी बना सकता है। कुछ जपी-तपी तथा वृद्ध व्यक्ति एक समय ही भोजन करते हैं। वे हर प्रकार से स्वस्थ भी रहते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि वे तसल्ली से खाना ‘खा, इसे पचा भी सकते हैं।
- नाश्ता और दोपहर के भोजन में चार घंटे का अन्तर, दोनों मुख्य भोजनों में सात घंटे का अन्तर, नाश्ता तथा रात्रि भोजन में 11 घंटों का अन्तर उचित माना जाता है।
- सोने और भोजन में, तथा सम्भोग और रात्रि भोजन में कम से कम दो घंटे का अन्तर ज़रूर हो। रात के भोजन के बाद टहलना जरूरी है।
- सप्ताह में एक व्रत ज़रूर रखें। व्रत खोलने पर हल्का ही भोजन करें।
- चबा-चबाकर भोजन करने से दांतों तथा मसूड़ों को शक्ति मिलेगी।
- भूख लगने पर ही खाना खाने से यह सुगमता से पच सकता है। डकार शुद्ध आते हैं। अपान वायु कम बनती है तथा स्वयं ही निकल जाती है। भोजन विषाक्त नहीं होता। दुर्गन्ध भी पैदा नहीं करता।
- रात को भोजन सदा हल्का हो। आमतौर पर हमारा दिन भर का आहार संतुलित, सुपाच्य, नियमित, सादा, सात्विक हो। मिर्च-मसाले, तेल, घी कम से कम डालें। बासी भोजन न करें। सदा ताज़ा करें।
- किसी भी अवस्था में कब्ज़ न होने दें। खूब चबा-चबाकर खाया भोजन कब्ज नहीं करता। अतः रोग भी नहीं होते। कब्ज़ हो भी जाए तो आंवला चूर्ण आदि लेकर इसे दूर करें। देरी न करें। इन सब बातों को ध्यान में रखने से हम पूर्ण स्वस्थ रह सकते हैं।
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