मुक्केबाजी के नियम, रिंग अथवा अखाड़ा, मुक्केबाजी की पूरी जानकारी

मुक्केबाजी के नियम, रिंग अथवा अखाड़ा, मुक्केबाजी की पूरी जानकारी यहाँ पर देखे। यह खेल है तो बहुत पुराना परन्तु आज का इसका रूप नया ही है। इसमें दो मुक्केबाज (Boxing Rules in Hindi) सीमित समय के लिए अपने दस्ताने और हाथ इस्तेमाल करके एक-दूसरे से भिड़ते है। शरीर के ऊपरी भागों के कुछ विशेष भागों पर ही मुक्कों से प्रहार किया जा सकता है। विरोधी मुक्केबाज को नाक आउट करने वाला, मुकाबले से हट जाने पर मजबूर कर देने वाला अथवा अंकों के आधार पर जीतने वाला खिलाड़ी जीत जाता है।

मुक्केबाजी के नियम

मुक्केबाजी के नियम
Boxing Rules in Hindi

मुक्केबाजी के नियम

रिंग अथवा अखाड़ा

मुकाबले ऐसे मंच पर होते हैं जिसकी सीमा पर तीन रस्सियों के घेरे होते है। यद्यपि चार रस्सियों के घेरे वाले अखाड़ों में भी मुकाबले हो सकते है। ‘रबर’ अथवा फैट’ के ऊपर कैनवेस डालकर फर्श तैयार किया जाता है। मुक्केबाजी के लिए अखाड़ा 20 फुट का वर्गाकार होता है। रिंग मैदान से 3 या 4 फुट ऊँचाई पर होती है। रस्सियो से परे भी एक फुट का स्थान रखना जरूरी होता है।

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दस्ताने

8 औस के दस्ताने (ग्लव) 67 किलो वजन तक के खिलाड़ी इस्तेमाल करते हैं। वेल्टर वेट के वजनो में 6 औंस के हैवी वेट वर्ग (67 किलो से अधिक) 10 औस के दस्ताने पहने होते हैं । दस्ताने प्रायोजक देते है।

अन्य उपकरण तथा सामान

पेशेवर या अमेच्यर मुक्केबाजों के अन्य उपकरण हैं-

  1. गमशील्ड,
  2. दस्ताने,
  3. टेप,
  4. प्रोटेक्टर्स,
  5. बूट टेप मुक्केबाजों को दोनों हाथों पर आठ फुट चार इंच तक लम्बी टेप लगाने की इजाजत होती है। वह पौने दो इंच लम्बी सूखी मुलायम पट्टी अथवा साढ़े छह फुट लम्बी पट्टी व पौने दो इंच वाली सूखी वेल्पेषु सूखी पट्टी बाँध सकता है? पेशेवर मुक्केबाजो को हर हाथ पर 18 फुट 2 इंच तक मुलायम पट्टी अथवा 9 फुट (मिडल वेट के नीचे) अथवा 11 फुट 1 इंच जिंक आक्साइड की पट्टी पहनने की इजाजत होती है। टेप अंगुली की गाँठ (नकल्स) पर लगने की इजाजत नहीं होती।

पोशाक

अमेच्यर तो निकर और बनियान पहनते है। पेशेवर मुक्केबाज केवल निकर ही। बूट भी पहने जाते हैं

अधिकारी

मुक्केबाजी मुकाबलों के लिए निम्नलिखित अधिकारी होते हैं-

  1. रैफरी जो मुकाबले के समय नियंत्रण करता है,
  2. पाँच या तीन जज जो अंक देते हैं,
  3. टाइमकीपर,
  4. हर मुक्केबाज के लिए एक-एक अधिकृत सहयोगी रहता है जिसे (सेकंड) कहा जाता है (पेशेवर मुकाबलों में तो तीन ‘सेकंड’ रखने की इजाजत होती है)।

रैफरी

पेशेवर मुक्केबाजी में कई जगह अंक केवल रैफरी द्वारा दिये जाते हैं; अन्य जगहों पर रैफरी के साथ जज भी अंक देते है। रैफरी भी तीन में से एक जज के रूप में काम करता है । रिंग अथवा अखाड़े में मुक्केबाज की हिफाजत की जिम्मेदारी रैफरी पर होती है। वहीं जरूरत होने पर चेतावनियाँ भी देता है। वह रिंग के कोनों पर नियंत्रण रखता है, और गिनती करता है। ठीक समझता है तो मुकाबले को बंद करने का भी वह आदेश देता है।

सेकंड अथवा सहयोगी

रैफरी के आदेश पर सेकंड अथवा सहयोगी तुरन्त ही रिंग से हट जाना चाहिए। राउंड चल रहा हो तो उन्हें प्रशिक्षण नहीं देना चाहिए। चोट लगे अथवा कटे स्थलों पर मरहम लगाने के लिए कुछ उपकरण रखने की उनको अनुमति होती है।

स्कोरिंग

मुकाबले का फैसला अंकों अथवा नाक आउट आधार पर (दस तक की गिनती इसमें की जाती है) हो सकता है। मुक्केबाज यदि मुकाबला करने के काबिल न रहा हो अथवा किसी नियम- उल्लंघन पर डिसक्वालिफाई हो तो भी मुकाबला खत्म हो जाता है।

राउंड विजेता के अंक

हर राउंड में विजेता को कुछ निश्चित अंक मिलते है। अमेच्यर । मुक्केबाजी में राउंड विजेता को आम तौर पर बीस अंक दिये जाते हैं। दूसरे मुक्केबाज जिस हिसाब से प्रहार अथवा मुक्के खाता है उसी अनुपात में कम अंक पाता है। अमेच्यर मुक्केबाजी में मुकाबला अनिर्णीत नहीं रहता।

अगर दोनों के अंक बराबर रहते हैं तो विजेता उसे घोषित किया जाता है जिसने आक्रमण ज्यादा किया हो यदि फिर भी मुकाबला बराबर ही ठहरता है तो उस मुक्केबाज को विजेता घोषित किया जाता है जिसकी शैली बेहतर होती है। अगर फिर भी दोनों बराबर रहते हैं तो बेहतर रक्षण शैली वाला मुक्केबाज विजेता ठहरता है यही सिद्धांत पेशेवर मुक्केबाजी में भी लागू होते है।

अंक निर्धारण

प्रेट ब्रिटेन में एक राउंड के लिए अधिकतम अंक पाँच होते हैं। अंक आक्रमण, रक्षण के लिए पहल और अच्छी शैली पर दिये जाते है। इसके बाद भी स्कोर बराबर रहे तो मुकाबले को अनिर्णीत घोषित कर दिया जाता है।

स्कोरिंग प्रहार अंगुलियों की गाँठ से किया जाना चाहिए अर्थात् बंद ग्लव के उस भाग से जहाँ पर अंगुलियों की गाँठ हो । मुक्के के इस भाग से लक्ष्य क्षेत्र (टारगेट एरिया) पर प्रहार पड़ने पर ही मुक्केबाज को अंक मिलते है।

राउंड

मुक्केबाजी में तीन-तीन मिनट के तीन राउंड होते है वैसे कई मुकाबलों में तीन-तीन मिनट के दो अथवा तीन मिनट का एक राउंड भी खेला जाता है। पेशेवर मुकाबलों के लिए तीन- तीन मिनट के 15 राउंड होते हैं। आरंभिक छँटनी मुकाबलों में 15 की बजाय बारह राउंड होते हैं। कई बार दो-दो मिनट के छह अथवा तीन-तीन मिनट के दस चक्करों में मुकाबले होते है सभी मुकाबलों में राउंड के बीच एक मिनट का विश्राम काल होता है।

आरम्भ

रैफरी मुक्केबाजों को बुलाकर जाँचता है कि वे नियमों से भली भाँति परिचित तो हैं। फिर मुक्केबाज हाथ मिलाते हैं। पेशेवर मुकाबलों में अंतिम दौर से पहले भी मुक्केबाज हाथ मिलाते है। अमेच्यर मुक्केबाजों को परिणाम की घोषणा के बाद हाथ मिलाने होते हैं। मुकाबले के दौरान रैफरी के सभी निर्देशों का पालन मुक्केबाजों को करना होता है। एक मुक्केबाज प्रहार खाकर गिर जाए तो दूसरे मुक्केबाज को न्यूट्रल अथवा तटस्थ कोने में खड़ा रहना होता है।

रैफरी तब गणना शुरू करता है यदि गणना पूरी होने से पहले मुक्केबाज उठ खड़ा हो तो वह फिर लड़ना जारी – कर सकता है अनेक अमेच्यर मुकाबलों में आठ तक गिनना जरूरी होता है। पेशेवर मुकाबले में राउंड खत्म होने के साथ ही मुक्केबाज नाकआउट हो जाए तो गणना जारी रखी जाती है। एक मुक्केबाज यदि दूसरे का मुकाबला ही न कर पा रहा हो तो रैफरी मुकाबला रोक देता है। ऐसी हालतों में उसे तकनीकी नाकआउट माना जाता है। मुकाबला समाप्त होने पर विजेता का हाथ ऊपर उठाया जाता है ।

फाउल

लक्ष्य क्षेत्र के बाहर कुछ क्षेत्रों में मुक्का मारना नियम विरुद्ध है। ये स्थान है 1. पेटी के नीचे, 2. गरदन के पीछे, 3. गुर्दों पर, 4. पिवट अथवा उलटे हाथ के प्रहारों पर भी रोक होती है। इसी प्रकार हथेली के निचले भाग (बूट) से भी प्रहार नहीं किया जा सकता । कलाई अथवा कुहनी से मारना भी नियम विरुद्ध है। ग्लव अर्थात् दस्ताने के भीतरी भाग से लगातार प्रहार करना भी नियम विरुद्ध है। शरीर को अधिक साथ-साथ जोड़े रखना (जैसे बटिंग) भी गैरकानूनी है।

सिर का लापरवाही से इस्तेमाल, कंधे से धकेल और कुश्ती करना भी नियम विरुद्ध है लगातार कमर से नीचे झुका रहना और बैठना भी फाउल होता है। इसी तरह जब रैफरी अलग होने का आदेश दे तो ऐसा न करना भी नियमोल्लंघन है। अलग होते समय हिट करना अथवा फर्श पर पड़े विरोधी को जानबूझकर मुक्का मारना अथवा गिर रहे विरोधी को मुक्का मारना भी नियम-भंग है।

आक्रमण अथवा रक्षण के लिए रस्सियों को एक या दोनों हाथों से पकड़ना या जीतने की कोशिश न करना नियम-विरुद्ध है। ऐसी कोई हरकत जिसे रैफरी नियमानुकूल नहीं समझता है उसे नियम भंग माना जा सकता है । फाउल पर चेतावनी दी जाती है और प्रतियोगी अंक भी खोता है। यदि लगातार ही कोई प्रतियोगी दुर्व्यवहार करे तो उसे मुकाबले से बाहर भी निकाला जा सकता है। मुक्केबाजी के मुकाबले विभिन्न वजन वर्गों में होते है।

भार करवाना

मुक्केबाजी मुकाबले अलग-अलग वजन वर्ग में होते हैं। अमेच्यर खिलाड़ियों का वजन मुकाबले के दिन तक लिया जाता है। उन्होंने तब लड़ने की पोशाक पहनी होती है। पेशेवर खिलाड़ी दुपहर बाद के मुकाबलों के लिए 11 बजे और रात्रि मुकाबलों के लिए एक बजे वजन करते है।

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