ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र क्या है? ब्रह्मपुत्र नदी की लम्बाई कितनी है भारत में?
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र क्या है (Brahmaputra Nadi Tantra Kya Hai) के बारे में जानेंगे। विश्व की सबसे बड़ी नदियों में से एक ब्रह्मपुत्र का उद्गम कैलाश पर्वत श्रेणी में मानसरोवर झील के निकट चेमायुंगडुंग (Chemayungdung) हिमनद में है। ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र की विशेषताएं क्या है।
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र क्या है (Brahmaputra Nadi Tantra Kya Hai)

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ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र क्या है
यहाँ से ब्रह्मपुत्र नदी पूर्व दिशा में अनुदैर्ध्य रूप में बहती हुई दक्षिणी तिब्बत के शुष्क व समतल मैदान में लगभग 1200 किलोमीटर की दूरी तय करती है, जहाँ इसे सांगपो (Tsangpo) के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है। ‘शोधक’।
तिब्बत के रागोंसांग्पो इसके दाहिने तट पर एक प्रमुख सहायक नदी है। मध्य हिमालय में नमचा बरवा (7.755 मीटर) के निकट एक गहरे महाखड्ड का निर्माण करती हुई यह एक प्रक्षुब्ध व तेज बहाव वाली नदी के रूप में बाहर निकलती है। हिमालय के गिरिपद में यह सिशंग या दिशंग के नाम से निकलती है।
अरुणाचल प्रदेश में सादिया कस्बे के पश्चिम में यह नदी भारत में प्रवेश करती है। दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहते हुए इसके बाएँ तट पर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ दिबांग या सिकांग और लोहित मिलती हैं और इसके बाद यह नदी ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है। असम घाटी में अपनी 750 किलोमीटर की यात्रा में ब्रह्मपुत्र में असंख्य सहायक नदियाँ आकर मिलती हैं।
इसके बाएँ तट की प्रमुख सहायक नदियाँ बूढ़ी दिहिंग, धनसरी (दक्षिण) और कालांग हैं, जबकि दाएँ तट पर मिलने वाली महत्त्वपूर्ण सहायक नदियों में सुबनसिरी, कामेग, मानस व संकोश हैं। सुबनसिरी जिसका उद्गम तिब्बत में है, एक पूर्ववर्ती नदी है।
बह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है और फिर दक्षिण दिशा में बहती है। बांग्लादेश में तिस्ता नदी इसके दाहिने किनारे पर मिलती है और इसके बाद यह जमुना कहलाती है। अंत में, यह नदी पद्मा के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है।
बह्मपुत्र नदी बाढ़, मार्ग परिवर्तन एवं तटीय अपरदन के लिए जानी जाती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इसकी अधिकतर सहायक नदियाँ बड़ी हैं और इनके जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा के कारण इनमें अत्यधिक अवसाद बहकर आ जाता है।
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