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Burj Khalifa को बनाने में करना पड़ा था इन समस्याओं का सामना, क्या थी समस्याएं

Burj Khalifa को बनाने में करना पड़ा था इन समस्याओं का सामना, बुर्ज खलीफा बनाई गई दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है इसकी ऊंचाई 2716 फिट है बादलों को चूमती हुई इमारत है। बुर्ज खलीफा को बनाने में डेढ़ मिलियन डॉलर यानेकी 114 अरब रुपयों का खर्च आया था। इतना ही नहीं यह बिल्डिंग एक इंजीनियरिंग का अच्छा कारनामा माना जाता है। इन इंजीनियर स्कोर इस बिल्डिंग को बनाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा और कैसे इन समस्याओं का समाधान निकाला गया।

बुर्ज खलीफा को बनाने में करना पड़ा था इन समस्याओं का सामना

Burj Khalifa को बनाने में करना पड़ा था इन समस्याओं का सामना
Burj Khalifa Ko Banane Me Kya Kya Samasya Aai Thi

इन समस्याओं का सामना करना पड़ा था बुर्ज खलीफा बनाने में

बुर्ज खलीफा का नाम कौन नहीं जानता। यह बनाई गई दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है। यह इमारत दुबई में स्थित है। जिसको इंजीनियरों ने बड़ी कड़ी मेहनत से बनाया क्योंकि वहां का बाहरी तापमान बहुत ज्यादा होता है। रेतीली जमीन पर दुनिया की सबसे बड़ी ऊंची बिल्डिंग खड़ा करना एक कारनामे से कम नहीं इस कारनामे को अंजाम देने के लिए दुनिया के बड़े-बड़े इंजीनियर को यहां लाया गया और इस बिल्डिंग को बनवाया गया।

चैलेंज नंबर 1

बुर्ज खलीफा को बनाने में सबसे बड़ा चैलेंज यह था कि उसको समय से बनाना बुर्ज खलीफा को बनाने के लिए सिर्फ 6 सालों का समय दिया गया था। बिल्डिंग का नक्शा बनाने में केवल 3 साल का समय ही दिया गया था यदि नक्शा बनाने में ही 3 साल का समय निकाल देते तो अगले 3 सालों में इतनी बड़ी बिल्डिंग का निर्माण होना असंभव था। इंजीनियरों ने बुर्ज खलीफा का कंस्ट्रक्शन बिना नक्शे के ही शुरू कर दिया इसलिए फरवरी 2004 में खुदाई का काम शुरू कर दिया गया और साथ-साथ डिजाइन का काम भी चलता रहा।

चैलेंज नंबर 2

जब बुर्ज खलीफा की न्यू डालनी थी तब एक बड़ी समस्या सामने खड़ी हो गई। जब बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को बनाया जाता है तब उनकी बुनियाद बड़े-बड़े पत्थरों से रखी जाती है। परंतु बुर्ज खलीफा की नीव जहां रखी जानी थी वहां पर तो रेत और कंकर थे। इस समस्या को सुलझाने के लिए साइंस के एक बेसिक रूल को अपनाया गया वह रूल था फ्रिक्शन (Friction)। इसकी न्यू 192 सॉलि़ड स्टील पाइप के ऊपर खड़ी की गई जो कि 50 मीटर अंदर जमीन के अंदर धसे हुए हैं।

चैलेंज नंबर 3

बुर्ज खलीफा के डिजाइन के लिए EMAAR कंस्ट्रक्शन कंपनी शिकागो में टॉप लेवल आर्किटेक्चर कंपनी से मुलाकात की इस आर्किटेक्चर फर्म में कई ऊंची इमारतों का निर्माण किया है जिसके लिए यह जानी जाती है। इनके सामने 160 मंजिला इमारत बनाने मैं इनको कई समस्याएं परंतु उन्होंने इस समस्याओं का समाधान में निकाल लिया उन्होंने इसका डिजाइन Buttress Structure पर आधारित था और इस स्ट्रक्चर का इस्तेमाल पहली बार बुर्ज खलीफा में किया गया।

चैलेंज नंबर 4

कंस्ट्रक्शन टीम ने इसका कंस्ट्रक्शन करना तेजी से शुरू कर दिया एक के बाद एक मंजिल बनाते चले गए परंतु बिल्डिंग जितनी ऊंची होती जा रही थी उनके सामने एक समस्या और खड़ी होती जा रही थी की बिल्डिंग बनाने में जिस कंक्रीट के मिश्रा को बिल्डिंग के ऊपर तक पहुंचाना होता है। बिल्डिंग इतनी ऊंची हो गई कि कंक्रीट का मिश्रण ऊपर जाते-जाते सूखने लगता था। इस समस्या का सिर्फ एक ही समाधान था Concrete Suction System। इस सिस्टम का प्रयोग करने के लिए बुर्ज खलीफा में मोटे मोटे पाइपों को इंस्टॉल किया गया। इन पाइप्स के जरिए बिल्डिंग के ऊपर तक इन कंक्रीट के मिश्रण को ऊपर तक पहुंचाया जाना था।

चैलेंज नंबर 5

कंस्ट्रक्शन का काम तेजी से चल रहा था और 3 साल के अंदर ही 140 फ्लोर बन चुके थे और बिल्डिंग ने दुनिया की सबसे ऊंची इमारत (Burj Khalifa को बनाने में करना पड़ा था इन समस्याओं का सामना) होने का दर्जा हासिल कर लिया था। मटेरियल को पहुंचाने में जिन क्रेन का प्रयोग किया जा रहा था वह सिर्फ 120 मंजिल तक ही सामान पहुंचा सकती थी।

यह सिर्फ स्क्रीन की ही बात नहीं थी जो क्रेन ऑपरेटर इन मशीन को ऑपरेट करते थे उन्होंने इतनी ऊंचाई पर काम करने से मना कर दिया था क्योंकि इतनी ऊंचाई से काम करना बड़ा जोखिम से भरा था। इसके बाद फार्म ने पूरी दुनिया से मशीन को ऑपरेट करने वाले ऑपरेटरों को हायर करना शुरू कर दिया और दुबई में लाया गया। यह ऑपरेटर अलग-अलग के तर्क देते थे परंतु इन सभी ऑपरेटरों में एक बात सामान्य थी जो कि इनको ऊंचाई से डर नहीं लगता था।

चैलेंज नंबर 6

इस इमारत का काम समाप्त होने में केवल 2 साल ही बचे थे। बिल्डिंग के सभी फ्लोर का स्ट्रक्चर बन चुका था। इसमें अभी तक एक चीज नजर नहीं आ रही थी वह थे ग्लास पैनल जो हर मंजिल पर लगाए जाने थे। बुर्ज खलीफा में 24000 ग्लास पैनल को लगाया जाना था जब ग्लास पैनल लगाया जाने लगा तब दुबई की दिन की गर्मी में बिल्डिंग के अंदर का तापमान 80 डिग्री से ऊपर जा पहुंचता था। इस समस्या के कारण 18 महीने तक इसका काम होल्ड पर करना पड़ा। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए John Jerafa उन्होंने बताया कि इस समस्या का समाधान तो है परंतु यह बहुत ही महंगा होगा।

जॉन की सलाह को मान लिया गया उन्होंने एक ऐसा ग्लास बनाय जो सूर्य से निकलने वाली UV रोशनी को रिफ्लेक्ट कर देता था परंतु इस एक ग्लास पैनल की कीमत $2000 थी और इसी तरह की 24000 ग्लास पैनल बनाने थे इन पैनल को बनाने के लिए 3 अरब 60 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस पैनल को बनाने के लिए एक फैक्ट्री बनाई गई जिसमें सिर्फ यही ग्लास पैनल मैन्युफैक्चरर किए गए और सिर्फ 4 महीने में ही सारे के सारे ग्लास पैनल बना दिए गए।

चैलेंज नंबर 7

इस बिल्डिंग का निर्माण का कार्य लगभग समाप्त हो गया था और बुर्ज खलीफा की लॉन्च नजदीक आ रही थी इसके ऊपर एक सॉलिड स्टील का पाइप लगाया जाना था इस स्टील के पाइप की लंबाई 136 मीटर थी इतने लंबे पाइप को इतनी ऊंची बिल्डिंग पर कैसे पहुंचाया जाए यह एक बड़ी समस्या के रूप में आकर खड़ी हो गई और इसका वजन 350 टन था। इस दुनिया में ऐसी कोई क्रीम नहीं थी जो इतने बजनी पाइप को इतनी ऊंची इमारत पर आसानी से पहुंचा सके। फिर इंजीनियरों ने इस पाइप को कई ब्लॉक में बांटकर ऊपर पहुंचा कर उसको असेंबल किया और बिल्डिंग पर लगा दिया।

चैलेंज नंबर 8

इसके निर्माण के कार्य में इतना ज्यादा समय लगने के कारण इसके हर मंजिलें पर धूल रेत जमा हो गई सभी फ्लोरों पर मिट्टी मिट्टी दिखाई दे रही थी। जितने भी पैनल लगाए गए थे उन पैनलों को वर्कर को लटकाकर पॉलिश का काम करवाया जाता है और अभी भी इसका कोई समाधान नहीं निकला। बुर्ज खलीफा को बनाने के लिए लगभग 12000 वर्करों से काम लिया गया।

FAQ

Q1 : बुर्ज खलीफा का मालिक कौन है?

Ans : बुर्ज खलीफा का मालिक मोहमद अलाब्बर है।

Q2 : बुर्ज खलीफा में कितने कमरे बने हुए हैं?

Ans : बुर्ज खलीफा में 304 होटल के कमरे हैं।

Q3: बुर्ज खलीफा में कितनी मंजिल है?

Ans : बुर्ज खलीफा में 163 मंजिले है।

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