चंद्र ग्रहण लगना एक प्राकृतिक घटना है जो निरंतर चलती रहती है। वर्ष 2023 का पहला चंद्रग्रहण 5 मई 2023 को लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण 2023, 5 मई शाम 8:45 मिनट से शुरू होकर रात 1:02 तक रहेगा। इस चंद्रग्रहण की समय अवधि लगभग 4:17 मिनट की होगी। चंद्र ग्रहण कैसे लगता है (Chandra Grahan Kaise Lagta Hai), चंद्र ग्रहण कब और कैसे लगता है, चंद्र ग्रहण कब होता है, चंद्र ग्रहण कैसे होता है, चंद्र ग्रहण क्यों लगता है, चंद्र ग्रहण कैसे पड़ता है, चंद्र ग्रहण की घटना कब होती है।
चंद्र ग्रहण कैसे लगता है (Chandra Grahan Kaise Lagta Hai)

हमने अक्सर चंद्र ग्रहण के बारे में सुना है और कई बार ऐसे मौके भी आए होंगे जब हमने चंद्रग्रहण देखा होगा। तब भी हमारे मन में यह प्रश्न उठता है कि चंद्र ग्रहण लगता कैसे हैं। चंद्र ग्रहण के बारे में हिंदू धर्म में काफी बताया गया है।
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Chandra Grahan 2023 Time
चंद्र ग्रहण दिन | 5 मई 2023 |
चंद्र ग्रहण शुरू | 8:45 PM |
चंद्र ग्रहण खत्म | 1:02 AM |
पुरानी मान्यता के अनुसार चंद्र ग्रहण
पुरानी मान्यताओं के अनुसार एक बार चंद्रमा ने गणेश जी का उपहास कर दिया चंद्रमा को अपने रूप का घमंड बहुत अधिक था चंद्रमा के इस उपहास से गणेश जी को बहुत बुरा लगा और उन्हें क्रोध आ गया क्रोध आने की वजह से उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे डाला जिसमें गणेश जी ने चंद्रमा की लाली छीन ली और चंद्रमा आकाश में हमेशा के लिए छुप गया। चंद्रमा को अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्होंने गणेश जी से क्षमा याचना की।
क्षमा याचना सुनकर गणेश जी ने चंद्रमा को कहा की मैं अपना सर आप वापस तो नहीं ले सकता हूं परंतु इसका प्रभाव कम कर सकता हूं उन्होंने चंद्रमा को वरदान दिया कि महीने के प्रत्येक दिन तुम्हारी लालिमा बढ़ेगी और पूर्णिमा के दिन आप आकाश में पूर्ण रुप से दिखाई देंगे और पृथ्वी पर आपकी लालिमा दिखाई देगी और उस दिन लोग आपकी पूजा करेंगे और महीने के 1 दिन आप आकाश में नहीं दिखाई दोगे।
वैज्ञानिक के अनुसार चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण का क्या कारण है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और चंद्रमा पर पड़ने वाला सूर्य का प्रकाश पृथ्वी रोक लेती है। इस वजह से चंद्रमा पर रोशनी नहीं पड़ती यह तीनों इस समय एक सीधी रेखा में होते है। इसी वजह से चंद्र ग्रहण होने का।
चंद्र ग्रहण प्रति 10 वर्ष में 15 बार हो सकता है और प्रत्येक वर्ष में अधिकतम 3 बार और न्यूनतम 0 बार हो सकता है इसका एक सबसे बड़ा कारण यह है की चंद्रमा की कक्षा अंडाकार होने की वजह से चंद्र ग्रहण बहुत कम परिस्थिति में होता है एक पूर्ण चंद्र ग्रहण पी के लिए पूर्ण सन रेखा बन्ना बहुत ही जरूरी है।
अपूर्ण सन रेखा कई वर्षों में एक बार बनती है प्रत्येक चंद्रग्रहण की घटना पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है जब पूर्ण चंद्र ग्रहण की घटना घटित होती है तो इसको होने में 2 घंटे का समय लगता है चार अरब वर्ष पहले चंद्रमा का निर्माण हुआ और यह पृथ्वी से लगभग 1.6 इंच या 4 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की गति से पृथ्वी से दूर होता जा रहा है।
चंद्रग्रहण कितने प्रकार के होते हैं?
- पूर्ण चंद्र ग्रहण
- आंशिक चंद्रग्रहण
- उप छाया चंद्रग्रहण
1. पूर्ण चंद्र ग्रहण
पूर्ण चंद्र ग्रहण की घटना कई वर्षों में एक बार घटित होती है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और चंद्रमा पर पड़ने वाला प्रकाश पृथ्वी द्वारा पूरी तरीके से ढक लिया जाता है। जिसको हम पूर्ण चंद्रग्रहण कहते हैं। चंद्र ग्रहण के दिन चंद्रमा पूरी तरीके से लाल दिखाई देता है। जिसे हम ब्लड मून भी कहते हैं।
2. आंशिक चंद्रग्रहण
जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया आंशिक रूप से पढ़ती है तब उसको हम आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं।
3. उप छाया चंद्र ग्रहण
इस प्रकार के चंद्रग्रहण में पृथ्वी की बाहरी सतह की छाया केवल चंद्रमा पर पड़ती है जिसकी वजह से हम उसको अनूप छाया चंद्रग्रहण कहते हैं।
FAQ
Ans : चंद्रग्रहण 3 प्रकार के होते हैं।
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