Telegram Group (100K+) Join Now

छोटे भाई को कुसंगति से बचने व पढ़ाई पर विशेष ध्यान देने के लिए पत्र?

छोटे भाई को कुसंगति से बचने व पढ़ाई पर विशेष ध्यान देने के लिए पत्र (Chote Bhai Ko Kusangati Se Bachne v Padhai Par Vishesh Dhayan Dene Ke Liye Patra) :- छोटे भाई को गलत संगति छोड़ने के लिए और पढ़ाई में ध्यान लगाते हुए अपने भविष्य को बनाने हेतु पत्र लिखें। कुसंगति में पढ़ने से छोटे भाई को निकालने के लिए पत्र लिखें।

छोटे भाई को कुसंगति से बचने व पढ़ाई पर विशेष ध्यान देने के लिए पत्र

छोटे भाई को कुसंगति से बचने व पढ़ाई पर विशेष ध्यान देने के लिए पत्र

यह भी पढ़े – छात्रावास में रहने के आनन्द का वर्णन करते हुए सखी/मित्र को पत्र विद्यालय, छात्रावास

S-301 सदर बाजार
झाँसी
दिनांक –
प्रिय अशोक,
शुभाशीर्वाद ।

बहुत दिनों से तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला और मैं भी कार्य-व्यस्त होने से तुम्हें पत्र न लिख सका। कल अचानक तुम्हारे मित्र अक्षय से भेंट हो गई। उससे विदित हुआ है कि आजकल तुम उससे इसलिए रुष्ट हो क्योंकि उसने तुम्हें बुरे लड़कों के साथ न खेलने का परामर्श दिया था। अक्षय ने तो अपनी सच्ची मित्रता का ही परिचय दिया है। मैं भी तुम्हारा बड़ा भाई होने के नाते तुम्हें सम्मति दूँगा कि तुम कुसंगति को त्याग दो।

प्रियवर! तुम्हारा जन्म एक ऊँचे कुल में हुआ है। अतः तुम्हें ऐसा कोई काम न करना चाहिए, जिससे अपने कुल का अपमान हो। तुम्हें अपने कार्यों और कथनों से सदा कुल का मान बढ़ाना चाहिए। तुम कुल के साथ ही देश की भी धरोहर हो। मैं चाहता हूँ कि तुम अपने चरित्र का इस प्रकार निर्माण करो, जिससे भविष्य में देश के कर्णाधार बन सको। अपने आपको सत्पथ पर अग्रसर करने के लिए बुरे और दुर्विनीत सहपाठियों का साथ तुरन्त छोड़ दो।

अक्षय जैसे अपने मित्रों के साथ रहकर अपने चरित्र का निर्माण करो। कुसंगति में पड़ा व्यक्ति कभी महान् नहीं बन सकता। कुसंगति व्यक्ति का ऐसा शत्रु है जो उसे नष्ट करके ही छोड़ती है। वह एक भयंकर ज्वर है, जो शरीर और आत्मा का विनाश कर देता है। बुरे का फल बुरा ही होता है। कोयले की दलाली में मुँह काला ही होता है। “हानि कुसंगति सुसंगति लाहू।” तुमने रहीम जी का निम्न पद तो पढ़ा ही होगा कि-

“कदली सीप भुजंग मुख स्वाति एक गुन तीन ।
जैसी संगति बैठिए तैसोई फल दीन।।”

कुसंगति में पड़ा व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता। कुसंगति पैरों में बँधी चक्की के समान व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोकती है। अतः इससे दूर ही रहना चाहिए।

मैं तुम्हें महान् देखना चाहता हूँ-यह मैं कई बार तुम्हें समझा चुका हूँ। तुम्हारा ध्येय होना चाहिए – विद्याध्ययन, चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व का विकास। आशा है, तुम मेरी बात को अन्यथा न समझोगे और कुसंगति को त्याग कर अभी से ही अच्छे साथियों का साथ करोगे। इससे तुम्हारा भविष्य उज्जवल बनेगा। यदि किसी वस्तु की आवश्यकता हो तो तुरन्त लिखना।

पूज्य माता जी व तुम्हारी भाभी भी तुम्हें आशीर्वाद देती है।

शुभेच्छु
कमलेश

यह भी पढ़े – छोटे भाई को पत्र स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए? स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए छोटे भाई को पत्र?

Subscribe with Google News:

Telegram Group (100K+) Join Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *