क्रिकेट मैच पर निबंध (Cricket Match Par Nibandh), विश्व में हर युग में खेलों का प्रचलन रहा है। प्राचीन काल में खेलों को बच्चों तथा किशोरों का काम समझा जाता था, अब यह धारणा परिवर्तित हो चुकी है। आज हर आयु का व्यक्ति खेलों में रुचि लेता है। विश्व में अनेक खेल प्रचलित हैं। क्रिकेट इनमें सबसे अधिक लोकप्रिय खेल है।
क्रिकेट मैच पर निबंध (Cricket Match Par Nibandh)

क्रिकेट का परिचय
क्रिकेट के खेल के लिए दो बल्लों, एक गेंद और छः विकिटों की आवश्यकता होती है। क्रिकेट की कठोर गेंद से बल्लेबाजों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रकार के दस्ताने, पैड आदि वस्तुएँ प्रयोग की जाती हैं। इसकी प्रत्येक टीम में ग्यारह खिलाड़ी होते हैं तथा प्रत्येक टीम का एक कप्तान होता है। जब क्रिकेट मैच होता है तो अम्पायरों की आवश्यकता पड़ती है। अम्पायर का काम निर्णायक जैसा है।
आँखों देखा मैच
क्रिकेट मैच देखना तो मुझको अच्छा लगता है, परन्तु क्रिकेट खेलने से मैं बहुत डरता हूँ। क्रिकेट की पत्थर जैसी कठोर गेंद कब हड्डी पसली तोड़ दे, यह सोचकर ही मैं क्रिकेट खेल में भाग नहीं लेता। हाँ, अवसर मिलने पर मैं मैच देखने अवश्य जाता हूँ।
अब तो दूरदर्शन पर क्रिकेट मैच का प्रसारण होता ही रहता है और लोग अपना काम छोड़कर टी. वी. सैट से चिपके रहते हैं। इस प्रकार राष्ट्रीय समय की कितनी हानि होती है, यह कोई नहीं देखता। वर्तमान में तो ‘मैच फिक्सिंग’ ने इस खेल पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है। मेरी दृष्टि में दूरदर्शन पर इसका प्रसारण रोक देना चाहिए।
आरम्भ
उस दिन हमारे विद्यालय के मैदान में हमारे विद्यालय के विरुद्ध • लालबहादुर शास्त्री इण्टर कॉलेज की टीम थी। दोनों विद्यालयों के छात्र मैदान में उपस्थित थे। शिक्षकगण भी उनके साथ थे। पहले दोनों टीमों के कप्तान आगे बढ़े तथा उन्होंने आपस में हाथ मिलाया।
टॉस हमारे विद्यालय की टीम ने जीता और • बल्लेबाजी करने का निश्चय किया। मैच शुरू हुआ। राजेश ने पूरा एक शतक बनाया। खिलाड़ियों ने दृढ़ता और उत्साह से खेल खेला और हमारी टीम ने 280 रन बनाये।
अब लालबहादुर शास्त्री इण्टर कॉलेज की टीम मैदान में उतरी। खेल प्रारम्भ हुआ। ओपनिंग महेन्द्र और सुरेश ने की। हमारी टीम के गेंदबाज उनको आउट करने का पूरा प्रयास करते रहे, परन्तु उनकी कुछ चल नहीं रही थी। स्कोर तेजी से बढ़ रहा था।
अन्त
अचानक जादू-सा हुआ। गेंद तेजी से विकेट की ओर बढ़ी। महेन्द्र ने उसे पीटने के लिए बल्ला उठाया किन्तु गेंद विकेट में जा लगी। महेन्द्र अवाक् रह गया। वह समझ ही न सका, यह कैसे हो गया।
इसके बाद एक-एक करके खिलाड़ी आते गये और अपनी टीम की रन-संख्या में वृद्धि करते गये। जब अन्तिम खिलाड़ी आउट हुआ तो उनकी रन संख्या कुल 200 थी। मैच समाप्त हो चुका था और हमारी टीम विजेता घोषित हो चुकी थी।
उपसंहार
मैच की समाप्ति पर खिलाड़ियों को क्षेत्र के विधायक महोदय ने पुरस्कार प्रदान किये। विजयी टीम का पुरस्कार हमारे विद्यालय की टीम को मिला। ‘मैन ऑफ द मैच’ का पुरस्कार राजेश को प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त सभी को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किये गये। अन्त में अतिथियों और खिलाड़ियों को जलपान कराया गया। इस प्रकार पूरा दिन हर्षोल्लास के साथ व्यतीत हुआ।
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