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दिवाली का शुभ मुहूर्त कब है? धनतेरस, लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा और भैया दूज कब है?

दिवाली का शुभ मुहूर्त कब है 2023: दीपावली त्यौहार की शुरुआत कार्तिक द्वादशी की गोवत्स द्वादशी से शुरू होकर भैया दूज पर जाकर समाप्त होती है दीपावली जब से आरंभ होती है और जब तक समाप्त होती है। दिवाली कब है? दीपावली का पर्व 24 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार को मनाई जाएगी।

दिवाली का शुभ मुहूर्त कब है

दीपावली-शुभ-मुहूर्त-कब-है
दिवाली शुभ मुहूर्त

Diwali Ka Shubh Muhurat Kab Hai 2023

इन सबके बीच में लगातार 5 दिन की पूजा 5 तरह से की जाती है और यदि यह पूजा सही समय पर की जाए तो पूजा करने वाले को उस पूजा का उचित फल मिलता है दीपावली का त्यौहार हर वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन ही मनाया जाता है।

दीपावली शुभ मुहूर्त

पूजासमय
लक्ष्मी पूजा मुहूर्तसायंकाल – 06:54 Pm से 08:16 Pm बजे तक
अवधि : 1 घंटा 21 मिनट तक
प्रदोष कालसायंकाल 17:43 से 20:16 बजे तक
वृषभ कालसायंकाल 18:54 से 20:50 बजे तक

ईष्ट साधना तथा तांत्रिक पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल

पूजा समय
लक्ष्मी पूजा मुहूर्तरात्रि – 11:38 से 12:30 बजे तक
अवधि : 0 घंटा 52 मिनट तक
महानिशिता कालरात्रि 11:38 से 12:30 बजे तक
सिंह कालरात्रि 12:42 से 02:59 बजे तक

दीपावली शुभ चौघड़िया मुहूर्त

मुहूर्त समय
प्रातःकाल का मुहूर्त (शुभ)06:34 से 07:57 बजे तक
प्रातः का मुहूर्त (चल, लाभ, अमृत)10:42 से 02 :49 बजे तक
सायंकाल का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चल)04 :11 से 08:49 बजे तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ)12 :04 से 01 :42 बजे तक

गोवत्स द्वादशी तिथि

एकादशी21 अक्टूबर 2022

गोवत्स द्वादशी की कहानी :- एक पौराणिक कथा के अनुसार यह बताया गया है कि भारत में सुवर्णपुर नामक एक नगर हुआ करता था यहां पर देवरानी नाम के एक राजा राज्य करते थे उनकी दो रानियां थी एक का नाम था सीता और दूसरे का नाम था गीता।

राजा के पास एक भैंस, एक गाय और उसका बछड़ा था रानी सीता भैंस को ज्यादा पसंद करती थी तो था वह उससे सखी के समान रखा करती थी। राजा की दूसरी पत्नी गीता गाय से बहुत प्रेम करती थी गाय को अपनी सखी के समान समझती थी और उसके बछड़े को पुत्र के समान समझती थी।

यह देखकर भैंस अंदर ही अंदर ईशा करने लगी उसने रानी सीता को कहा की रानी गीता मुझसे बहुत ज्यादा ईशा करती हैं सीता को यह बात ठीक ना लगी उसने भैंस को कहा कि मैं सब कुछ ठीक कर दूंगी। सीता ने गाय के बछड़े को काटकर गेहूं की राशि में दबा दिया। इस घटना का किसी को कुछ भी पता नहीं चला।

जब राजा भोजन करने बैठे तब रक्त और मांस की वर्षा होने लगी महल के चारों तरफ रक्त और मांस दिखाई देने लगा एक आकाशवाणी हुई उस आकाशवाणी में यह बोला गया कि आप की रानी सीता ने गाय के बछड़े को मारकर गेहूं की राशि में दबा दिया है।

उन्होंने यह घोर पाप किया है कल गोवत्स द्वादशी है आप उस दिन ना ही गाय का दूध का सेवन करेंगे और ना ही कटे फल खाएंगे इस दिन आप गाय तथा गाय के बछड़े की पूजा करेंगे तो आप की रानी के सारे पाप कट जाएंगे और आपके पास जो भैंस है उसको नगर से बाहर निकाल दीजिए तभी से गोवत्स द्वादशी के दिन गाय और बछड़े की पूजा की जाने लगी।

धनतेरस पूजा कब है

द्वादशी22 अक्टूबर 2022
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पुराणों में बताया गया है कि इस दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है इन्हें देवताओं का चिकित्सक भी कहा जाता हैइसे धन त्रयोदशी या धनवंतरी त्रयोदशी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि धनत्रयोदशी पर पूजा करने से भगवान धन्वंतरी प्रसन्न होते हैं जिससे मानव जाति और उसके स्वास्थ्य के कल्याण को बनाए रखें।

काली चौदस कब है

त्रयोदशी23 अक्टूबर 2022
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काली चौदस, हनुमान पूजा :- काली चौदस के दिन काली माता की पूजा की जाती है इस दिन काली माता की पूजा बड़े विधि विधान से रात में की जाती है भक्तगण माता को चढ़ावे के रूप में फूल मछली मांस चावल और मिठाई चढ़ाते हैं और इस दिन कहीं कहीं पर माता काली को पशुओं की बलि भी दी जाती है।

ऐसा माना गया है की काली चौदस की दिन काली माता को बलि दी जाती है जिस वजह से शैतानी ताकत बहुत ही ज्यादा सक्रिय होती हैं तो ऐसे में भगवान हनुमान जी की पूजा करने का भी पर चैनल चला आता रहा है जो बुरी शक्तियों से हमारी रक्षा करते हैं

दीपावली कब है 2022

अमावस्या24 अक्टूबर 2022, सोमवार
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नरक चतुर्दशी, दीपावली लक्ष्मी पूजा :- हम सब भली भांति जानते हैं कि दीपावली का त्यौहार कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है जिससे हमारे पास धन और समृद्धि बनी रहे।

भक्तगण माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अपने अपने घरों में दीपावली के दिन दीपों को प्रज्वलित करते हैं और पूरे घर में रोशनी फैलाते हैं माता लक्ष्मी से अपने परिवार के सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।

गोवर्धन पूजा कब है

प्रतिपदा25 अक्टूबर 2022
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पुरानी कथाओं के अनुसार यह बताया गया है की कृष्ण जी ने ब्रज वासियों को भगवान गोवर्धन की पूजा करने की बात कही थी उन्होंने यह बताया था कि गोवर्धन पर्वत हमें खाने के लिए बहुत सारी वस्तुएं देते हैं और हमारे जितने भी जानवर हैं ।

वह सब गोवर्धन पर्वत पर जाकर अपनी भूख को शांत करते हैं इसलिए हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए यह सब सुनकर इंद्रदेव नाराज हो गए और उन्होंने अपने प्रकोप से बहुत ज्यादा तबाही मचाई परंतु भगवान कृष्ण ने ने अपनी एक छोटी सी उंगली पर एक विशाल पर्वत को उठा कर हजारों लोगों पशुओं की जान की रक्षा की तब से गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाने लगी।

क्या आप जानते हैं कि गोवर्धन पर्वत की ऊंचाई दिन प्रतिदिन क्यों घटते जा रहे हैं गोवर्धन पर्वत की ऊंचाई क्यों घट रही है इसके लिए आपको नीचे वीडियो शेयर किया है।

भैया दूज कब है

द्वितीया26 अक्टूबर 2022

भैया दूज, यम द्वितीया :- भैया दूज या भाई टीका एक हिंदू भाई-बहन का त्योहार है।

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