दो मछलियों को खाने के लिए बटवारे की कहानी:- मीलान में संत आम्ब्रोजो का उत्सव चल रहा था। आस-पास के गांवों से अनगिनत लोग अपने कुल देवता के समारोह में सम्मिलित होने शहर आए हुए थे। शहर के सारे होटल, कॉफी घर, सराय आदि खचाखच भरे हुए थे और सभी का धंधा जोर-शोर से चल रहा था।
दो मछलियों की खाने के लिए बटवारे की कहानी

रात के दो बज चुके थे, पर सूर्य होटल का लम्बा-चौड़ा डाइनिंग हॉल अभी तक भरा हुआ था। कुछ लोग खा रहे थे, कुछ पी रहे थे और कुछ नाच-गाकर मौज-मस्ती कर रहे थे।
अचानक दो अपरिचित व्यक्ति हॉल में घुसे और संयोग से एक ही मेज के पास बैठ गए। खाना मंगाने के लिए बेयरा का इंतजार करते हुए दोनों ने एक-दूसरे को देखा, नमस्कार किया, बातचीत की… और धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हो गई। आखिरकार बेयरा आया और झुक कर दोनों को सलाम कर बोला, “कहिए क्या लाऊं? मुर्गा, भुना बकरा या कबाब ?”
“नहीं, नहीं, यह सब कुछ नहीं चाहिए,” उनमें से एक ने जवाब दिया, “मैं शाकाहारी हूं, गोश्त नहीं खाता। मेरे लिए तो बस एक ताजी मछली ले आओ।’
“डाक्टर ने मना कर रखा है, इसीलिए मैं भी गोश्त नहीं खाता” दूसरा बोला, “मेरे ” लिए भी मछली ही ले आओ।’
” क्षमा करें” बेयरा बोला, “आप लोग काफी देर से आए हैं, इसलिए मछली खत्म हो गई है। अब हमारे पास बस एक बड़ी और एक छोटी दो सोल मछलियां बच गई हैं। उनके बराबर-बराबर दो हिस्से करना मेरे लिए बड़ा मुश्किल है। ‘
“कोई बात नहीं,” दोनों एक साथ बोले, “तुम दोनों मछलियां ले आओ। उनका बंटवारा हम दोनों मिल कर आपस में कर लेंगे। “
बेयरा रसोईघर से दोनों मछलियां ले आया और मेज पर परोस दीं।
“पहले आप लीजिए, ” एक बोला।
“नहीं, नहीं पहले आप लीजिए,” दूसरा बोला।
“अरे भाई तकल्लुफ क्यों करते हैं.” पहला बोला।
“तकल्लुफ तो आप कर रहे हैं, पहले आप लें न” दूसरे ने अनुरोध किया। दोनों में से कोई भी पहल नहीं करना चाहता था। बहुत देर तक पहले आप, पहले आप करने क बाद उनमें से एक ने अपनी प्लेट आगे खींची और उसमें बड़ी वाली मछली रख लो ।
दूसरे को ऐसी उम्मीद न थी। वह छोटी मछली मिलने से खुश न था और अपने साथी के ऊपर उसे मन ही मन बड़ा गुस्सा आ रहा था।
पर जो आदमी बड़ी मछली ले चुका था, वह एकदम शांत था और हंस कर बोला, “आपको मुझसे कुछ शिकायत है, भाई साहब! शायद आप मुझसे नाराज हो गए हैं, पर आप ही बताइए कि अगर आप पहले लेते तो कौन सी मछली लेते। ” “छोटी वाली और कौन-सी,” उसने तपाक से उत्तर दिया।
“तो फिर अब आपको क्या दुख है। मैंने भी तो आपके लिए छोटी वाली ही छोड़ी है। आप जो करते वही तो मैंने किया है, फिर गुस्सा किस बात का है?”
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