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डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय? डॉ. भीमराव अम्बेडकर पर निबंध?

डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय: डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश स्थित महू छावनी में हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी था। एवं उनकी माता का नाम भीमाबाई था। जब समाज में ऊँच-नीच का भाव आ जाता है, छुआछूत का रोग फैल जाता है, दलितों पर अत्याचार होने लगते हैं, तब ऐसा महामानव भारत माता की कोख से जन्म लेता है जो इन सभी बुराइयों को दूर कर देता है। दलितों के मसीहा महामानव बाबा साहब का बचपन का नाम भीम सकपाल था।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय

डॉ.-भीमराव-अम्बेडकर-का-जीवन-परिचय
Dr. Bhimrao Ambedkar Ka Jeevan Parichay

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Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi

जन्म14 अप्रैल, 1891
जन्म स्थानमध्य प्रदेश स्थित महू छावनी
पिता का नामरामजी
माता का नामभीमाबाई
मृत्यु6 दिसंबर, 1956

आपके पिता का नाम रामजी और माता का नाम भीमाबाई था। आप अपने माता-पिता की चौदहवीं सन्तान थे। जब आप सात वर्ष के ही थे, तभी आपकी .माताजी का स्वर्गवास हो गया था। आपके पिता ब्रिटिश रेजिमेंट के सूबेदार मेजर थे।

समाज में उस समय जो ऊँच-नीच और छुआछूत की संकीर्णता फैली हुई थी, उसे देखकर उनके पिता उन्हें उच्च शिक्षा देना चाहते थे। बालक भीम सकपाल को विद्यार्थी जीवन से ही छुआछूत के कटु अनुभव होने लगे थे। एक बार की बात है। कि बालक भीम सकपाल भयंकर वर्षा से बचने के लिए एक मकान के बरामदे में खड़ा था।

सवर्ण मकान मालिक को जब बालक की जाति का पता चला तो उसने उसे बस्ते सहित बरसात के कीचड़ सने पानी में धकेल दिया। बालक भीम को इस प्रकार के अनेक अपमान सहने पड़े। उस समय अशिक्षा के कारण हमारे समाज में जातिगत भेदभाव बहुत था।

शिक्षा

आपकी शिक्षा का आरम्भ सतारा के राजकीय वर्नाक्युलर स्कूल में हुआ। फिर आपने सतारा में एलफिंस्टन हाईस्कूल में प्रवेश लिया। यहाँ से आपने सन् 1908 में हाईस्कूल परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद ही 16 अप्रैल, 1909 में रमाबाई के साथ आपका विवाह हो गया।

महाराजा बड़ौदा की सहायता से आपने सन् 1913 में बी. ए. परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1913 में आपने कोलम्बिया विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र में प्रवेश लिया। सन् 1915 में आपने राजनीति तथा समाजशास्त्र में एम. ए. की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर लीं। सन् 1917 में आपने पी-एच. डी. की उपाधि प्राप्त कर ली।

नौकरी

विदेश से लौटने पर आप बड़ौदा में सैन्य सचिव के पद पर नियुक्त हुए। बड़ौदा छोड़कर आप बम्बई (मुंबई) में अर्थशास्त्र और राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर हो गये।

रचनाएँ

आपकी प्रथम रचना ‘स्माल होल्डिंग्स’ है। फिर आपने ‘कास्ट इन इण्डिया’ नामक पुस्तक लिखी। कुछ समय बाद आप अध्ययन के लिए इंग्लैंड गये और वहाँ से आपने डी. लिट. की उपाधि प्राप्त की।

वकालत का आरम्भ

आपने बम्बई हाईकोर्ट में वकालत करना आरम्भ कर दिया। वकालत करते हुए आप अछूतोद्धार में लग गये। इसी बीच आप वायसराय की कौंसिल के सदस्य मनोनीत कर दिये गये।

विधिमन्त्री

भारत के स्वतन्त्र होने पर आप विधिमन्त्री नियुक्त किये गये। 29 अगस्त, 1947 को भारत का विधान बनाने के लिए समिति गठित की गयी। डॉक्टर अम्बेडकर उसके अध्यक्ष चुने गये। फरवरी, 1948 तक संविधान समिति ने संविधान का प्रारूप तैयार करके संविधान सभा के अध्यक्ष डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के सामने प्रस्तुत कर दिया।

मिलिन्द महाविद्यालय

सन् 1950 में डॉक्टर साहब ने मिलिन्द महाविद्यालय की स्थापना की। सन् 1950 में श्रीलंका में होने वाले वर्ल्ड बुद्धिस्ट सम्मेलन में डॉक्टर साहब ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। जुलाई 1951 को डॉक्टर साहब ने भारतीय बौद्ध महासंघ की स्थापना की।

मन्त्री पद का त्याग

हिन्दू कोड बिल के पास न होने पर आपने मन्त्री पद का त्याग कर दिया। सन् 1952 में आप राज्यसभा के सदस्य चुने गये।

बौद्धसभा की स्थापना

सन् 1955 में डॉक्टर साहब ने भारतीय बौद्धसभा की स्थापना की तथा 14 अक्टूबर, 1956 को विधिपूर्वक बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। 5 दिसम्बर, 1956 को उन्होंने ‘दि बौद्ध एण्ड हिज धाम’ पुस्तक पूरी की।

उपसंहार

5 दिसम्बर, 1956 को कानून के महापंडित ने निर्वाण प्राप्त किया और इनकी मृत्यु 6 दिसंबर, 1956 को हुई थी। 6 दिसम्बर को उनके इकलौते पुत्र यशवन्त राव ने उनका अन्तिम संस्कार किया।

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