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डॉ. आर. वेंकटरमण का जीवन परिचय? डॉ. आर. वेंकटरमण पर निबंध?

डॉ. आर. वेंकटरमण का जीवन परिचय (Dr R Venkataraman Ka Jeevan Parichay), राष्ट्रपति डॉ. वेंकटरमण का जन्म 4 दिसम्बर, सन् 1910 को तमिलनाडु राज्य के तंजौर जिले के राजामादम नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री रामास्वामी था। आप उच्चकोटि के वकील थे।

डॉ. आर. वेंकटरमण का जीवन परिचय

डॉ. आर. वेंकटरमण का जीवन परिचय

Dr R Venkataraman Ka Jeevan Parichay

भारत के प्रजातन्त्र शासन में राष्ट्रपति का पद सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति संसद को भंग कर सकता है। देश की सुरक्षा के लिए वह कठोर-से-कठोर कदम उठा सकता है।

जन्म4 दिसम्बर, सन् 1910
जन्म स्थानतमिलनाडु राज्य के तंजौर जिले के राजामादम नामक ग्राम
पिता का नामके रामास्वामी अय्यर
राष्ट्रपति25 जुलाई, 1987
मृत्यु27 जनवरी 2009

शिक्षा

वेंकटरमण बड़े प्रतिभाशाली छात्र । आपने 23 वर्ष की आयु में ही मद्रास विश्वविद्यालय से एम. ए., एल-एल. बी. की परीक्षाएँ पास कर लीं। आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती जानकी है। आप धार्मिक स्वभाव की महिला हैं। पति-सेवा ही आपके जीवन का सर्वोत्तम लक्ष्य है। आपके तीन पुत्रियाँ हैं।

वकील के रूप में

वकील के रूप में आप सफल वकील थे। आपकी वकालत ईमानदारी की वकालत थी। इस पेशे में रहकर आपने धन और यश खूब प्राप्त किया। आप अपनी योग्यता और परिश्रमशीलता के कारण वकील संघ के सचिव चुने गये। किसान-मजदूरों के प्रति आपकी विशेष सहानुभूति थी। किसान-मजदूरों की सेवा में लगातार लगे रहने के कारण आपको इनकी यूनियनों ने नेता चुन लिया।

राजनीति में

राजनीति में आपके पिता राष्ट्रभक्त थे। पिता का प्रभाव आप पर भी पड़ा। कांग्रेस नेता कामराज आपके राजनीतिक गुरु थे। इन्हीं की प्रेरणा से आपने राजनीति में सक्रिय भाग लेना आरम्भ कर दिया।

सन् 1942 को ‘करो या मरो’ आन्दोलन में आपने जेल-यात्रा की। सन् 1957 से सन् 1967 तक आप तमिलनाडु राज्य के मन्त्रिमण्डल में मन्त्री रहे। मन्त्रिमण्डल में अनेक विभागों के आप मन्त्री रहे।

सन् 1952, 1957 और सन् 1980 में आप लोकसभा के सदस्य चुने गये। आप अपनी योग्यता के कारण सन् 1967 में योजना आयोग के सदस्य चुने गये। सन् 1980 में आपको वित्तमंत्री तथा सन् 1982 में रक्षामन्त्री बनाया गया।

24 अगस्त, सन् 1984 को आप उपराष्ट्रपति के रूप में चुने गये। इस पद पर रहकर आपने अपने कार्य का निर्वाह बड़ी योग्यता से किया। 25 जुलाई, 1987 को आपने राष्ट्रपति के पद की शपथ लेकर इस पद को सुशोभित किया। आपने अपने गरिमामय पद का सदा ध्यान रखा। आप एक योग्य राष्ट्रपति सिद्ध हुए।

राजनीति में सक्रिय भाग लेने पर भी आपने अपने धार्मिक कार्यों में बाधा नहीं आने दी। शंकराचार्य ने आपकी धार्मिक रुचि की प्रशंसा की थी। राजनीति के क्षेत्र में श्री सत्यमूर्ति का आपको आशीर्वाद मिलता रहा।

उपसंहार

टेनिस आपका प्रिय खेल था। फोटोग्राफी आपका मनोरंजन (हॉबी) था। ऐसे राष्ट्रपति के रहने से देश की उन्नति होती है। इनकी मृत्यु 27 जनवरी 2009 को हुई थी।

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