डॉ. शंकर दयाल शर्मा का जीवन परिचय? डॉ. शंकर दयाल शर्मा पर निबंध?

डॉ. शंकर दयाल शर्मा का जीवन परिचय: डॉ. शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त, 1918 को भोपाल में हुआ था। उनके पिता का नाम खुशीलाल शर्मा था एवं उनकी माता का नाम सुभद्रा शर्मा था। भारत के नौवें राष्ट्रपति पद को सुशोभित करने वाले डॉ. शंकरदयाल शर्मा प्रकांड विद्वान, अनुभवी राजनेता, कानून के अच्छे ज्ञाता और सादा जीवन उच्च विचार की साक्षात् मूर्ति थे।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा का जीवन परिचय

डॉ. शंकर दयाल शर्मा का जीवन परिचय? डॉ. शंकर दयाल शर्मा पर निबंध?
Dr. Shankar Dayal Sharma Ka Jeevan Parichay

Dr. Shankar Dayal Sharma Biography in Hindi

जन्म19 अगस्त, 1918
जन्म स्थानभोपाल, मध्यप्रदेश
पिता का नामखुशीलाल शर्मा
माता का नामसुभद्रा शर्मा
राष्ट्रपतिसन् 1992
निधन27 दिसम्बर, 1999

जन्म और शिक्षा

डॉ. शंकरदयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त, 1918 को भोपाल में हुआ था। उनकी शिक्षा सेन्ट जोंस कॉलेज आगरा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और लखनऊ में हुई। वे अंग्रेजी, हिन्दी और संस्कृत में एम. ए. थे। उच्च शिक्षा के लिए वे ज्यूरिख, पेरिस और लन्दन गये। वहाँ उन्होंने फोर्ट विलियम कॉलेज कैम्ब्रिज, हार्वर्ड लॉ स्कूल ज्यूरिख, पेरिस और लन्दन विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की।

उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज में कानून का अध्यापन किया। कैम्ब्रिज में रहते हुए वे टैगोर सोसायटी के कोषाध्यक्ष रहे और कैम्ब्रिज मजलिस से भी जुड़े। इसी दौरान लिंकन्स इन से उन्होंने बार एट लॉ की उपाधि प्राप्त की तथा हार्वर्ड लॉ स्कूल के फैलो भी बनाए गये।

डॉ. शंकरदयाल शर्मा को लखनऊ विश्वविद्यालय ने समाज सेवा के लिए चक्रवर्ती स्वर्ण पदक से और विक्रम, भोपाल तथा आगरा विश्वविद्यालयों ने कानून की मानद उपाधियों से सम्मानित किया था।

राजनैतिक जीवन

डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करके राजनीति में विधिवत् प्रवेश किया। इससे पहले वे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग ले चुके थे। शीघ्र ही वे भोपाल रियासत के मुख्यमंत्री बनाए गये तथा चार साल तक इस पद पर रहे।

इस रियासत का मध्य प्रदेश में सन् 1956 में विलय हो गया, जिसमें उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। लगन और मेहनत के साथ पार्टी, समाज तथा राष्ट्र के लिए कार्य करते हुए डॉ. शंकरदयाल शर्मा कांग्रेस की कार्यसमिति के सदस्य, उसके महासचिव तथा अध्यक्ष भी रहे। उन्हें इन्दिरा गांधी सरकार में केन्द्रीय मंत्री तथा आन्ध्र प्रदेश का राज्यपाल भी बनाया गया।

पंजाब से उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाकर भेजा गया, किन्तु कुछ ही दिनों में वे उपराष्ट्रपति चुन लिए गये। डॉ. शंकरदयाल शर्मा को सन् 1992 में देश का नौवाँ राष्ट्रपति चुना गया। इनके राष्ट्रपति-काल में देश की अनेक विषम समस्याओं का समाधान हुआ।

वैयक्तिक गुण

अपने विश्वविद्यालयी जीवन में डॉ. शंकरदयाल शर्मा एक अच्छे खिलाड़ी भी रहे। दौड़, कूद, नौकायन और तैराकी में उन्हें विशेष दक्षता प्राप्त थी। लखनऊ विश्वविद्यालय में वे लगातार तीन वर्ष तक तैराकी के चैम्पियन भी रहे।

खेल-कूद के अलावा डॉ. शंकरदयाल शर्मा की लेखन में भी विशेष रुचि थी। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं जो मुख्यतः कानून और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों पर हैं। भारत- सोवियत सम्बन्ध उनका प्रिय विषय था। डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने सरकार में विभिन्न पदों पर रहते हुए देश-विदेश की यात्रा की।

उन्हें दुनिया के सभी प्रमुख देशों में अपने देश के प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य के रूप में जाने का अवसर मिला। डॉ. शंकरदयाल शर्मा एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हुए, जिनके साथ चार प्रधानमंत्रियों ने कार्य किया। वे थे- राजीव गांधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्रशेखर और पी. बी. नरसिंह राव।

उपसंहार

डॉ. शंकरदयाल शर्मा का 27 दिसम्बर, 1999 की रात को एस्कार्ट अस्पताल में हृदयाघात से निधन हो गया। उनके निधन पर सरकार ने सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की। डॉ. शंकरदयाल शर्मा के निधन पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमण्डल के सदस्यों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं व देश के अन्य बुद्धिजीवियों ने शोक व्यक्त किया। 28 दिसम्बर को शांतिवन में उनके पार्थिव शरीर की अन्त्येष्टि वैदिक रीति से की गयी।

राष्ट्र उनकी सेवाओं के लिए उन्हें सदैव याद रखेगा। साहित्य-जगत उनकी साहित्य सेवा को कभी भुला नहीं सकेगा। साहित्य समाज का दर्पण होता है, जिसमें तत्कालीन समाज की झाँकी स्पष्ट देखी जा सकती है। इस दर्पण में डॉ. शंकरदयाल शर्मा सदैव दिखाई देते रहेंगे।

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