दशहरा पर निबंध हिंदी में? विजयदशमी पर निबंध?

दशहरा पर निबंध, विजयदशमी (दशहरा) हमारा राष्ट्रीय पर्व है। यह शक्ति का पर्व है। शक्ति प्रत्येक देश के लिए आवश्यक है। शक्तिशाली देश ही सुखपूर्वक रह सकते हैं। शक्तिशाली वीर पुरुष ही अपने तथा अपने देश के स्वाभिमान की रक्षा कर सकते हैं।

दशहरा पर निबंध (Dussehra Par Nibandh)

दशहरा पर निबंध

दशहरा मनाने का समय

प्राचीन काल में आज जैसी सड़कें नहीं थीं, आने-जाने के साधन भी आज जैसे नहीं थे। अतः साधु-संन्यासी किसी एक जगह रहकर चौमासा (बरसात) बिताते थे। राजा-महाराजा भी अपनी विजय यात्राओं को रोक देते थे। वर्षा के कारण उत्पन्न दोष जब शान्त हो जाते थे, तब साधु-सन्त अपना भ्रमण आरम्भ करते थे और राजा-महाराजा विजय यात्रा का आरम्भ करते थे।

शरद ऋतु के आ जाने पर राजा लोग शक्ति की देवी की उपासना करते थे तथा अस्त्र-शस्त्र का अभ्यास करते थे। नौ दिन तक अभ्यास कर लेने के पश्चात् आश्विन शुक्ला दसवीं के दिन वे शक्तिशाली राम की प्रार्थना करके अपनी विजय यात्रा आरम्भ करते थे।

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दशहरा मनाने का कारण

इस पर्व का सम्बन्ध भगवान् राम से भी जुड़ा हुआ है। भगवान् राम ने इसी दिन रावण का वध करके विभीषण को लंका के राज्य का अभिषेक किया था तथा सीता को रावण के अत्याचारों से मुक्ति मिली थी। रावण के अत्याचारों से पीड़ित ऋषि-मुनि, साधु-संन्यासियों को ही मुक्ति नहीं मिली थी, अपितु सभी पीड़ित मानव-समाज अत्याचार, अनाचार से मुक्त हो गया था।

इस पर्व का सम्बन्ध शक्ति की देवी महिषासुरमर्दिनी दुर्गा से भी है। महिषासुर नामक राक्षस के अत्याचारों से जब देवता बहुत दुःखी हो गये, तब वे विष्णु भगवान् के पास गये और भगवान् से अपने कष्टों को कहा। उस समय भगवान् शंकर और ब्रह्मा भी वहाँ विराजमान थे।

महिषासुर के अत्याचारों को सुनकर इन तीनों को क्रोध आया और एक ऐसी शक्तिशालिनी देवी की उत्पत्ति हुई, जिसने नौ दिन तक संघर्ष करके दसवें दिन महिषासुर सहित सभी राक्षसों का वध कर दिया।

दशहरा मनाने का तरीका

नवरात्रि के आरम्भ होने के पहले से ही प्रायः सभी नगरों में रामलीला का आरम्भ हो जाता है। राम-रावण द्वारा किये गये कार्यों की सुन्दर झाँकियाँ दिखाई जाती हैं। राम-लक्ष्मण के साथ-साथ, वानर, भालुओं की सेना के कामों को देखकर लोगों में उत्साह पैदा होता है।

दुर्गा पूजा

बंगाल प्रान्त में इस उत्सव को दुर्गा पूजा’ के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रों के नौ दिन नव दुर्गाओं के पर्व के नाम से समस्त हिन्दुओं में प्रख्यात हैं। अतः भारत के प्रायः सभी हिन्दू परिवारों में नौ दिनों तक दुर्गा पूजा • होती है तथा अष्टमी तथा नवमी को कुमारी (कन्या) का पूजन होता है। बंगाल में इसका विशेष महत्व है।

प्रत्येक बंगाली अष्टमी के दिन दुर्गा पूजन करता है और नवमी को दुर्गा के सामने भैंसे की भेंट चढ़ाई जाती है। यह प्रथा दुर्गाजी के द्वारा महिषासुर, शुम्भ-निशुम्भ और चण्ड-मुण्ड राक्षसों के वध का स्मरण कराती है। दशमी को दुर्गा की मूर्तियों का नदी, तालाब या सागर में विजर्सन कर दिया जाता है।

उपसंहार

राम की रावण पर विजय अधर्म पर धर्म की विजय, पाप पर पुण्य की विजय और अत्याचार पर सदाचार की विजय है। आज अत्याचारी, भ्रष्टाचारी, तस्करी तथा बलात्कारी रूपी रावण बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। सभी समर्थ पुरुषों को चाहिए कि वे इन रावणों का विनाश कर सीता रूपी सम्पत्ति की रक्षा करें और देशवासियों को अत्याचारों से बचायें।