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फखरुद्दीन अली अहमद का जीवन परिचय? फखरुद्दीन अली अहमद पर निबंध?

फखरुद्दीन अली अहमद का जीवन परिचय (Fakhruddin Ali Ahmed Ka Jeevan Parichay), फखरुद्दीन अली अहमद का जन्म 13 मई, सन् 1905 को दिल्ली में हुआ था। आपके पिता का नाम कर्नल जैनुद्दीन अहमद और माता का नाम श्रीमती साकिया सुल्तान बेगम था।

फखरुद्दीन अली अहमद का जीवन परिचय

फखरुद्दीन अली अहमद का जीवन परिचय

Fakhruddin Ali Ahmed Ka Jeevan Parichay

जन्म13 मई, सन् 1905
जन्म स्थानदिल्ली
पिता का नामकर्नल जैनुद्दीन अहमद
माता का नामसाकिया सुल्तान बेगम
राष्ट्रपतिसन् 1974
मृत्यु11 फ़रवरी 1977

जन्म एवं परिचय

पाँचवें राष्ट्रपति श्री फखरुद्दीन अली अहमद का जन्म 13 मई, सन् 1905 को दिल्ली में हुआ था। भारतमाता के जिन महामहिम सपूतों ने राष्ट्रपति भवन को गौरवान्वित किया है, श्री अली अहमद उसी श्रृंखला की पाँचवीं कड़ी हैं। आपने कठिनाइयों पर सदा विजय प्राप्त की।

शिक्षा

आपने राजकीय हाईस्कूल गोंडा और राजकीय हाईस्कूल दिल्ली में शिक्षा प्राप्त की। फिर आप उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश गये। यहाँ आपने सन् 1937 में इतिहास ऑनर्स की परीक्षा पास की और सन् 1928 में आपने बैरिस्ट्री परीक्षा पास कर ली।

देशभक्ति

पं. जवाहरलाल नेहरू के सम्पर्क में आने से आपके हृदय में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई। अतः आपने अपने पिता से साफ कह दिया, “मैं अंग्रेजों की गुलामी कभी नहीं करूँगा।”

सन् 1931 में श्री फखरुद्दीन कांग्रेस के सदस्य बन गये। सन् 1935 में आप असम विधानसभा के सदस्य चुने गये। सन् 1936 में असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य चुने गये। आप असम विधानसभा के मन्त्रिमण्डल में राजस्व मन्त्री बनाये गये। सत्याग्रह में भाग लेने के कारण आप जेल में ठूंस दिये गये। सन् 1946 में आप असम में एडवोकेट जनरल बनाये गये।

सन् 1952-53 में आप कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के सदस्य चुने गये। सन् 1957 में आपने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

विदेश यात्रा

अमरीका के निमन्त्रण पर आप सन् 1964 में अमरीका गये। जापान और हांगकांग होते हुए आप स्वदेश लौट आये।

सन् 1966 में आप राज्यसभा के सदस्य चुने गये। इसी वर्ष आप शिक्षामन्त्री बना दिये गये। 20 जून, सन् 1970 को आप कृषिमंत्री बनाये गये। इन पदों पर रहकर आपने बहुत अच्छा काम किया।

उपसंहार

सन् 1974 में आप राष्ट्रपति चुने गये। अपने काल में आपने दीन-दुःखियों की बहुत सेवा की। देशसेवा का व्रत लेने वाले आप जीवन भर राष्ट्र की सेवा करते रहे। इनकी मृत्यु 11 फ़रवरी 1977 को हुई थी।

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