फुटबॉल मैच पर निबंध? मेरा प्रिय खेल फुटबॉल पर निबंध?

फुटबॉल मैच पर निबंध (Football Match Par Nibandh), देशी-विदेशी जितने भी खेल हैं, फुटबाल का खेल उन सबमें अच्छा है। इस खेल में पूरी शक्ति का प्रयोग करना पड़ता है। ऐसा करने से शरीर का पूरा-पूरा व्यायाम हो जाता है। खेल व्यायाम और मनोरंजन के अच्छे साधन हैं। खेल आपस के सहयोग से खेले जाते हैं अतः खेलों के द्वारा हम परस्पर मिलकर काम करने की शिक्षा लेते हैं।

फुटबॉल मैच पर निबंध

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खेल का आयोजन

गतमास के अन्तिम रविवार को मोहन बागान और दुर्गा स्टील फैक्टरी के खिलाड़ियों के बीच फुटबाल मैच का खेलना निश्चित हुआ। मैच के आरम्भ होने के पहले ही दोनों ओर के समर्थक मैदान के दोनों ओर अपने-अपने साथियों के साथ बैठ गये। दोनों ही टीमें तगड़ी और विख्यात थीं अतः मैच का आनन्द लेने के लिए दर्शक बहुत बड़ी संख्या में इकट्ठे हो गये थे।

मैच का आरम्भ

ठीक चार बजे दोनों टीम मैदान में उतर आई। दोनों टीमें अलग-अलग रंगों की वर्दी पहने हुई थीं। टीमों के मैदान में आते ही दोनों ओर खड़े और बैठे हुए दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से वातावरण को गुंजायमान कर दिया। अब रैफरी महोदय भी मैदान में आ गये। दोनों टीमों के कप्तानों ने अपने खिलाड़ियों का संक्षिप्त परिचय मुख्य अतिथि से कराया।

रैफरी ने टॉस फेंका। मोहन बागान की टीम टॉस हार गई। अतः सीटी बजते ही खेल का आरम्भ हुआ। दुर्गा स्टील फैक्टरी के कप्तान ने किक मारकर गेंद को अपने साथी की ओर सरका दिया। उसने दूसरे साथी की ओर उसे पास करना चाहा किन्तु गेंद दूसरी टीम के खिलाड़ी ने छीन ली।

गेंद छिनने से यह खिलाड़ी निराश नहीं हुआ बल्कि दुगने उत्साह से गेंद लेने का प्रयत्न करने लगा। वह खिलाड़ी भी कम नहीं था। उसने गेंद को आगे बढ़ाने की पूरी-पूरी कोशिश की। इस छीना-छपटी में पहला खिलाड़ी गिर गया।

कप्तान ने दौड़कर उसे उठाया तथा हाथ मिलाया और क्षमा माँगी। लोगों ने इस काम की प्रशंसा की। दोनों टीमें शक्तिशाली थीं। दोनों ओर के खिलाड़ियों ने जान की बाजी लगा दी थी। दोनों टीमें गोल करना चाहती थीं। जब कोई खिलाड़ी गेंद को लेकर गोल की ओर बढ़ता तो दूसरी टीम के समर्थक तालियों की गड़गड़ाहट से मैदान को गुंजायमान कर देते थे।

दोनों टीमें लगातार परिश्रम करती रहीं किन्तु कोई गोल नहीं पर पायीं। मध्यान्तर-पाँच मिनट का मध्यान्तर हुआ। दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने स्वल्पाहार किया। दोनों ओर के कप्तानों ने अपने-अपने खिलाड़ियों को शिक्षाएँ दीं, जिससे उनकी टीम जीत जाये।

मध्यान्तर के बाद खेल में तेजी आई। दोनों के खिलाड़ी पूरी शक्ति के साथ खेलने लगे। मोहन बागान के खिलाड़ी तगड़े पड़ने लगे। अन्त में मोहन बागान ने गोल कर दिया। दर्शकों ने तालियाँ बजाकर उस टीम को बधाई दी। खेल 6 बजे समाप्त हो गया।

उपसंहार

मुख्य अतिथि ने दोनों टीमों के अनुशासन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा खेल में जीत-हार तो समय की बात है। आज कोई जीतता है और कल कोई हारता है। खेल का महत्व है कि खिलाड़ी ईमानदारी से खेलें और प्रेम से खेलें। इसके बाद मुख्य अतिथि ने कप्तान को शील्ड प्रदान की और खिलाड़ियों को कप दिये। इस प्रकार खेल समाप्त हो गया।

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