गले के कैंसर के क्या लक्षण है: गले का कैंसर की बीमारी गले में स्थित ‘स्वर यंत्र’ से संबंधित है। स्वर यंत्र की रचना दो तार या उपस्थितयों से होती है, जिनके आपस में मिलने से ही आवाज या ध्वनि की उत्पत्ति होती है। जब स्वर यंत्र की उपस्थि पर मांस बढ़ जाता है, तब यह मर्ज हो जाता है।
गले के कैंसर के क्या लक्षण है

गले के कैंसर के कारण
बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू व मदिरा सेवन के कारण स्वर यंत्र में सूजन आ जाती है। यदि यह सूजन लगातार कई दिनों तक बनी रहे, तो गले के कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
गले के कैंसर के लक्षण
इस तरह के कैंसर में मरीज की आवाज में परिवर्तन हो सकता है। माँस के बढ़ने के कारण सांस लेने में तकलीफ पैदा हो जाती है। मरीज के गले में गिल्टी भी हो सकती है। यदि 50 की उम्र के बाद एक माह से ज्यादा समय तक आवाज बदली रहे, तब शीघ्र ही चिकित्सक से गले की जांच करायें।
गले के कैंसर के उपचार
रेडियोथेरेपी (बिजली से सिकाई) और आपरेशन के जरिए गले के कैंसर का उपचार किया जाता है। रेडियोथेरेपी से कैंसरग्रस्त कोशिकओं को नष्ट कर दिया जाता है, पर इस उपचार विधि में कैंसर के पुनः उत्पन्न होने की आशंका बरकरार रहती है। वहीं आपरेशन के तहत स्वर यंत्र का पूर्ण विच्छेदन कर दिया जाता है।
इस तरह के आपरेशन के बाद मरीज की कुदरती आवाज चली जाती है और उसके गले में एक स्थायी छिद्र बन जाता है। इसके विपरीत आपरेशन के जरिये स्वर यंत्र के आंशिक विच्छेदन की विधि कहीं ज्यादा कारगर व अत्याधुनिक है। इस विधि के तहत स्वर यंत्र का केवल केसरग्रस्त भाग ही निकाला जाता है।
इस कारण मरीज आपरेशन के बाद अपनी कुदरती आवाज नहीं खोता, वह सही तरह से भोजन कर सकता है और उसके गले में स्थायी छिद्र भी नहीं बनता।
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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।