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गलघोटू बीमारी क्या है? गलघोटू बीमारी के लक्षण और उपचार क्या है?

गलघोटू बीमारी क्या है, गलघोटू बीमारी कार्नीबेक्टीरिअम डिस्थीरी (Klebs-loffler bacillus) द्वारा उत्पन्न एक तीव्र संक्रमणकारी रोग है जो प्राय: गले एवं टांसिल्स का संक्रमण कर एक भूरी श्वेत (Greyish-white) झिल्ली निर्मित करता है। इस संक्रमण में प्रबत बाह्य विष (Exotoxins) उत्पन्न होते हैं जो तीव्र विषरक्तता उत्पन्न करते है।

गलघोटू बीमारी क्या है (Galghotu Bimari Kya Hai)

गलघोटू बीमारी क्या है

गलघोटू बीमारी कैसे फैलती है

बिंदुक संक्रमण (Droplet infection) द्वारा संक्रमित व्यक्ति के स्रावों एवं उत्सर्जन से संक्रमण का प्रसार होता है।

गलघोटू के प्रकार (Types of Diphtheira)

  1. टांसिलर या फॉसियल डिफ्थीरिआ (Tonsillar or faucial diphtheria)
  2. स्वर यंत्र या लेरिजिअल डिफ्थीरिआ (Laryngeal diphtheria)
  3. नासा या नेज़ल डिफ्थीरिआ (Nasal diphtheria)

गलघोटू बीमारी के लक्षण

  1. तीव्र आरंभ-ज्वर, बैचेनी, सिरदर्द एवं क्षुधानाश (Anorexia) के साथ
  2. चेतना पा संवेदनशीलता (Sensorium) प्रभावित
  3. रक्त संचारी तंत्र की विफलता (Circulatory collapse)

गलगुटिकीय टांसिलर डिफ्धीरिआ (Tonsillar Diphtheria)

  1. गलद्वार (Fauces) की सूजन एवं लालपन
  2. भूरी- श्वेत छद्म झिल्ली (Greyish white pseudo membrane) की उपस्थिति
  3. ग्रीवा क्षेत्र की लसिका गंथियों का प्रदाह (Inflammation of cervical lymph glands)
  4. तीव्र ज्वर
  5. गला खराब होना (Sore throat). निगरण कष्ट (Dysphagia) एवं बैठी हुई आवाज (Muffled voice)

स्वरयंत्रीय या तेरिंजिअल डिम्पीरिआ (Laryngeal diphtheria)

  1. भर्राई हुई आवाज़ (Hoarse voice)
  2. स्वरयंत्र के ऊपर झिल्ली की उपस्थिति
  3. शोरपुक्त, कष्टपूर्ण एवं श्रमसाध्य श्वसन
  4. श्वासावरोध (Respiratory obstruction)
  5. श्वसनीय विफलता (Respiratory failure)

गलघोटू की जटिलताएँ (Complications)

  1. हृदपेशीशोथ (Myocarditis)
  2. तालू पक्षाघात (Palatal paralysis)
  3. सामान्य बहुतंत्रिका शोध (General polyneuritis)
  4. अल्पमूत्रता (Oliguria) एवं प्रोटीन मूत्रता (Proteinuria)

गलघोटू से निदान (Diagnosis)

गले या नाक के साव को स्वैब में लेकर उसका संवर्धन करने पर डिफ्थीरिआ के कारक जीवाणुओं की उपस्थिति से निदान सुनिश्चित किया जा सकता है झिल्ली की उपस्थिति भी नैदानिक होती है।

गलघोटू का उपचार (Treatment)

  1. एन्टी डिफ्थीरिआ सीरम, परीक्षण खुराक के पश्चात व्याधि की गंभीरता के अनुरूप 20,000 से 100,000 इकाई तक की खुराक में 0.1 मि.ली. या 1:10 के तनुकरण (Dilution) में नार्मल सैलाइन में।
  2. प्रोकेन पेनिसिलिन या इरिथ्रोमाइसिन आदि एन्टिबायोटिक औषधियों 5-7 दिन तक।

गलघोटू मरीज की देखभाल

  1. 2-4 सप्ताह तक पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विश्राम प्रदान करें।
  2. 2-2 घंटे से प्राणमूलक चिन्हों को देखें।
  3. स्वरयंत्र के डिफ्थीरिआ में श्वासावरोध (Respiratory obstruction) का विशेष ध्यान रखें।
  4. यदि श्वास नली छेदन या ट्रेकियोस्टॉमि की गई हो तो उसकी उपयुक्त देखभाल करना अत्यंत आवश्यक है।
  5. एंटीसेप्टिक माउथवाश या गारगल से मुख की आरोग्यकारी देखभाल करें।
  6. मरीज़ की स्थिति अनुसार आहार दें. मृदु अथवा तरल आहार कम मात्रा में बार-बार देना बेहतर होता है. ज्वर होने पर द्रवों की मात्रा बढ़ा दें. विषरक्तता (Toxemia) की स्थिति में अन्त:शिरीय मार्ग से तरल दिये जा सकते हैं।

नियंत्रण एवं रोग निरोधक उपाय

  1. डी.पी.टी. (DPT) के टीके नियमित रूप से निर्धारित कार्यक्रमानुसार लगवाना. (सभी बच्चों को)।
  2. संक्रमित बच्चे का 3 सप्ताह के लिए विसम्पर्कन (Isolation)।
  3. सम्पर्क में आए व्यक्तियों को 2000 इकाई एन्टिडिफ्थेरिक सीरम एन्टिबायोटिक औषधिया देना।

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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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