गांधी जयंती पर निबंध: हमारे राष्ट्रीय पर्वों में गांधी जयन्ती का प्रमुख स्थान है। यह राष्ट्रीय त्योहार महात्मा गांधी के जन्मदिवस 2 अक्टूबर की शुभ स्मृति में मनाया जाता है। गांधी जयंती सरल शब्दों में क्या है, 2 अक्टूबर को गांधी जयंती क्यों मनाया जाता है, गांधी जयंती पर 10 लाइन, गांधी जयंती का महत्व क्या है।
गांधी जयंती पर निबंध

आपने हिंसा और पशुबल को परास्त करने के लिए जिस अहिंसात्मक शस्त्र का प्रयोग किया, वह वास्तव में आज ही क्या युग-युग तक अक्षुण्ण और अमर रहेगा। स्पष्ट है कि इसी शस्त्र से कभी भी सूरज न डूबने वाला साम्राज्य भी नतमस्तक हो गया।
मानवता की राह
महान् व्यक्तियों का उद्देश्य भटकी मानवता को राह दिखाना, उसकी सुख-सुविधा के लिए साधन जुटाना तथा दुःखी हृदयों को सांत्वना प्रदान करना होता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वे अपना जीवन तक बलिदान कर देते हैं। ऐसे महान् व्यक्ति कभी मरते नहीं।
उनके दिव्य सन्देश की मशाल सदैव जलती रहती है, जो अच्छे मार्ग पर चलने को प्रेरित करती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गणना ऐसी ही विभूतियों में की जाती है। उन्होंने जीवन भर घोर तपस्या करके जो ज्ञान संचित किया था, उसे पाकर भारत ही नहीं अपितु सारा विश्व धन्य हो गया।
आज विज्ञान की बढ़ती हुई शक्ति और उसके भयानक शस्त्रों, आग उगलती हुई तोपों, आतंकवाद के भयानक वातावरण में विश्व गांधीवाद का आश्रय लेकर ही शान्ति प्राप्त कर सकता है। सत्य और अहिंसा की शीतल किरणें विश्व पर मँडराती भीषण युद्ध की अग्नि को शान्त कर सकती हैं।
2 अक्टूबर राष्ट्रीय पर्व
महात्मा गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर को हुआ था, जिनकी पुण्य स्मृति में हम यह जन्मदिन मनाया करते हैं। आज जो 2 अक्टूबर का स्वरूप हमारे राष्ट्र के समक्ष उपस्थित हुआ है यह महात्मा गांधी के समय नहीं ‘था। यह तो ठीक है कि महान् पुरुषों का मूल्यांकन उनके निधन के उपरान्त किया जाता है।
महात्मा गांधीजी का जो मूल्यांकन किया जा रहा है, वह अपने आपमें अद्भुत है। हम देखते हैं कि महात्मा गांधी का जन्मदिन महोत्सव 2 अक्टूबर देखते-देखते ही एक महान राष्ट्रीय पर्व का रूप धारण करके हमारी सम्पूर्ण राष्ट्रीय विचारधारा को दिनोंदिन प्रवाहित कर रहा है। इससे इसका राष्ट्रीय महत्व निर्विवाद रूप से स्पष्ट है।
जयन्ती का उल्लास
2 अक्टूबर के दिन सम्पूर्ण देश का वातावरण खिल उठता है। सुबह से प्रभात फेरियाँ गांधीजी के गीत गाते हुए निकलती हैं
रघुपति राघव राजा राम,
पतित पावन सीताराम।
सीताराम जय सीताराम,
सबको सन्मति दे भगवान् ईश्वर अल्ला तेरे ही नाम।
दिन चढ़ते ही विविध प्रकार के सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन आरम्भ हो जाता है। चारों ओर महात्मा गांधी की जय, महात्मा गांधी अमर रहें आदि नारों से पूरा वातावरण गूंज उठता है। आकाश ध्वनित हो उठता है।
महात्मा गांधी की याद में उनके जीवन की घटना से सम्बन्धित तथ्यों को हम विभिन्न प्रकार की सभाओं, गोष्ठियों, कवि सम्मेलनों और विचार संगठनों द्वारा दोहराने लगते हैं।
शिक्षण संस्थाएँ
2 अक्टूबर के दिन स्कूल-कॉलेज सहित विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में अनेक प्रकार की प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं, जो महात्मा गांधी के जीवन से सम्बन्धित होती हैं। इसी अवसर पर नाटक, गाने-बजाने और नृत्य का भी आयोजन होता है।
महात्मा गांधीजी के जीवन से सम्बन्धित वस्तुओं को विभिन्न प्रकार से प्रदर्शित किया जाता है। महात्मा गांधी से सम्बन्धित मेलों का आयोजन संस्थाएँ करती हैं। कुछ शिक्षण संस्थाओं में महात्मा गांधी के जीवन के चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है।
इसमें भाग लेने वाले प्रतियोगियों को पुरस्कृत भी किया जाता है। शिक्षण संस्थाओं की सभाओं में स्वतन्त्रता सेनानी या गांधीवादी किसी व्यक्ति को आमन्त्रित करके सम्मानित किया जाता है। इस दिन सभी शिक्षण संस्थाओं में अध्ययन-अध्यापन बन्द रहता है।
सार्वजनिक अवकाश
2 अक्टूबर को सार्वजनिक संस्थान भी इस अवसर पर अपना अवकाश मानकर महात्मा गांधी के कार्यों को याद करके उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित किया करते हैं। इस दिन प्रायः सम्पूर्ण समाज उमंग और उल्लास से भरकर अपनी स्वतन्त्रता को व्यक्त करते हैं।
जगह-जगह मेलों का आयोजन होता है। जहाँ-तहाँ गांधीजी की मूर्ति के ऊपर चढ़ी हुई मालाएँ भी मन को आकर्षित कर लेती हैं।
उपसंहार
2 अक्टूबर के शुभ दिन को गांधी जयन्ती के रूप में मनाकर ऐसा •प्रयास करना चाहिए कि हम गांधीजी के सत्कर्मों और आदर्शों पर चलें। वैसे तो इसका उदाहरण हमारे राजनेता बड़े अच्छे रूप में जनता के सामने रखते हैं।
प्रत्येक नेता आपकी समाधि पर जाकर आपके दिखाये आदर्शों पर चलकर राम-राज्य लाने का संकल्प करता है। ये नेता इस संकल्प को अगर याद रखें तो वास्तव में राम-राज्य में आ जायेगा।
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