गंगा नदी तंत्र का संक्षिप्त वर्णन (Ganga Nadi Tantra Ka Sanchipt Varnan) जानेंगे, अपनी द्रोणी और सांस्कृतिक महत्त्व दोनों के दृष्टिकोणों से गंगा भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। गंगा नदी का उद्गम स्थल है उत्तरांचल राज्य के उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से 3,900 मीटर की ऊँचाई से निकलती है। गंगा नदी (Ganga Nadi Tantra in Hindi) भागीरथी के नाम से जानी जाती है। यह मध्य व लघु हिमालय श्रेणियों को काट कर तंग महाखड्डों से होकर गुजरती है। देवप्रयाग में भागीरथी. अलकनंदा से मिलती है और इसके बाद गंगा कहलाती है। अलकनंदा नदी का स्रोत बद्रीनाथ के ऊपर सतोपथ हिमनद है।
गंगा नदी तंत्र का संक्षिप्त वर्णन

Ganga Nadi Tantra Ka Sanchipt Varnan
ये अलकनंदा, धौली और विष्णु गंगा धाराओं से मिलकर बनती है, जो जोशीमठ या विष्णुप्रयाग में मिलती है। अलकनंदा की अन्य सहायक नदी पिंडार है, जो इससे कर्ण प्रयाग में मिलती है, जबकि मंदाकिनी या काली गंगा इससे रूद्रप्रयाग में मिलती है।
गंगा नदी हरिद्वार में मैदान में प्रवेश करती है। यहाँ से यह पहले दक्षिण की ओर, फिर दक्षिण-पूर्व की ओर और फिर पूर्व की ओर बहती है। अंत में, यह दक्षिणमुखी होकर दो जलवितरिकाओं (धाराओं) भागीरथी और हुगली में विभाजित हो जाती है।
यह भी पढ़े – ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र क्या है? ब्रह्मपुत्र नदी की लम्बाई कितनी है भारत में?
इस नदी की लंबाई 2.525 किलोमीटर है। यह उत्तरांचल में 110 किलोमीटर, उत्तरप्रदेश में 1.450 किलोमीटर, बिहार में 445 किलोमीटर और पश्चिम बंगाल में 520 किलोमीटर मार्ग तय करती है। गंगा द्रोणी केवल भारत में लगभग 8.6 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। यह भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है, जिससे उत्तर में हिमालय से निकलने वाली बारहमासी व अनित्यवाही नदियाँ और दक्षिण में प्रायद्वीप से निकलने अनित्यवाही नदियाँ शामिल हैं।
गंगा नदी की सहायक नदियां
S.No | नदियों के नाम |
---|---|
1. | यमुना नदी |
2. | सोन नदी |
3. | घाघरा नदी |
4. | कोसी नदी |
5. | चंबल नदी |
6. | अलकनंदा नदी |
7. | गंडक नदी |
8. | गोमती |
सोन प्रमुख सहायक नदी
सोन इसके दाहिने किनारे पर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदी है। बाँये तट पर मिलने वाली महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी व महानंदा हैं। सागर द्वीप के निकट यह नदी अंततः बंगाल की खाड़ी में जा मिलती है।
यमुना प्रमुख सहायक नदी
यमुना, गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लंबी सहायक नदी है। इसका स्रोत यमुनोत्री हिमनद है, जो हिमालय में बंदरपूँछ श्रेणी की पश्चिमी ढाल पर 6.316 मीटर ऊँचाई पर स्थित है। प्रयाग (इलाहाबाद) में इसका गंगा से संगम होता है।
प्रायद्वीप पठार से निकलने वाली चंबल, सिंध, बेतवा व केन इसके दाहिने तट पर मिलती हैं। जबकि हिंडन, रिंद, सेंगर, वरुणा आदि नदियाँ इसके बाँये तट पर मिलती हैं। इसका अधिकांश जल सिंचाई उद्देश्यों के लिए पश्चिमी और पूर्वी यमुना नहरों तथा आगरा नहर में आता है।
उन राज्यों के नाम जो यमुना नदी द्वारा अपवाहित हैं।
चंबल नदी मध्य प्रदेश के मालवा पठार में महु के निकट निकलती है और उत्तरमुखी होकर एक महाखड्ड से बहती हुई राजस्थान में कोटा पहुँचती है, जहाँ इस पर गांधीसागर बाँध बनाया गया है। कोटा से यह बूँदी, सवाई माधोपुर और धौलपुर होती हुई यमुना नदी में मिल जाती है।
चंबल अपनी उत्खात् भूमि वाली भू-आकृति के लिए प्रसिद्ध है, जिसे चंबल खड्ड (Ravine) कहा जाता है। गंडक नदी दो धाराओं कालीगंडक और त्रिशूलगंगा के मिलने से बनती है। यह नेपाल हिमालय में धौलागिरी व माऊंट एवरेस्ट के बीच निकलती है और मध्य नेपाल को अपवाहित करती है। बिहार के चंपारन जिले में यह गंगा मैदान में प्रवेश करती है और पटना के निकट सोनपुर में गंगा नदी में जा मिलती है।
घाघरा प्रमुख सहायक नदी
घाघरा नदी मापचाचुँगों हिमनद से निकलती है तथा तिला, सेती व बेरी नामक सहायक नदियों का जलग्रहण करने के उपरांत यह शीशापानी में एक गहरे महाखड्ड का निर्माण करते हुए पर्वत से बाहर निकलती है। शारदा नदी (काली या काली गंगा) इससे मैदान में मिलती है और अंततः छपरा में यह गंगा नदी में विलीन हो जाती है।
कोसी प्रमुख सहायक नदी
कोसी एक पूर्ववर्ती नदी है जिसका स्रोत तिब्बत में माऊंट एवरेस्ट के उत्तर में है, जहाँ से इसकी मुख्य धारा अरुण निकलती है। नेपाल में, मध्य हिमालय को पार करने के बाद इसमें पश्चिम से सोन, कोसी और पूर्व से तमुर कोसी मिलती है। अरुण नदी से मिलकर यह सप्तकोसी बनाती है।
रामगंगा नदी गैरसेन के निकट गढ़वाल की पहाड़ियों से निकलने वाली अपेक्षाकृत छोटी नदी है। शिवालिक को पार करने के बाद यह अपना मार्ग दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बनाती है और उत्तर प्रदेश में नजीबाबाद के निकट मैदान में प्रवेश करती है। अंत में कन्नौज के निकट यह गंगा नदी में मिल जाती है।
छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर दामोदर नदी बहती है और भ्रंश घाटी से होती हुई हुगली नदी में गिरती है। बराकर इसकी एक मुख्य सहायक नदी है। कभी बंगाल का शोक (Sorrow of Bengal) कही जाने वाली इस नदी को दामोदर घाटी कार्पोरेशन नामक एक बहुद्देशीय परियोजना ने वश में कर लिया है।
शारदा या सरयू नदी का उद्गम नेपाल हिमालय में मिलान हिमनद में है, जहाँ इसे गौरीगंगा के नाम से जाना जाता है। यह भारत-नेपाल सीमा के साथ बहती हुई, जहाँ इसे काली या चाइक कहा जाता है, घाघरा नदी में मिल जाती है।गंगा नदी की एक अन्य महत्त्वपूर्ण सहायक नदी महानंदा है, जो दार्जिलिंग पहाड़ियों से निकलती है। यह नदी पश्चिमी बंगाल में गंगा के बाएँ तट पर मिलने वाली अंतिम सहायक नदी है।
गंगा के दक्षिण तट पर सोन एक बड़ी सहायक नदी है, जो अमरकंटक पठार से निकलती है। पठार के उत्तरी किनारे पर जलप्रपातों की श्रृंखला बनाती हुई यह नदी पटना से पश्चिम में आरा के पास गंगा नदी में विलीन हो जाती है।
यह भी पढ़े – सिंधु नदी तंत्र क्या है? सिंधु नदी की सहायक नदियां कौन है?