गणतंत्र दिवस पर निबंध? गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है?

गणतंत्र दिवस पर निबंध: हमारे देश में 26 जनवरी का दिन एक यादगार दिवस (Republic Day essay in Hindi) के रूप में मनाया जाता है। 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया और हमारा देश पूर्ण गणतंत्र घोषित (26 जनवरी पर निबंध) किया गया तभी से यह दिन गणतंत्र दिवस के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है।

गणतंत्र दिवस पर निबंध

गणतंत्र दिवस पर निबंध
Gantantra Diwas Par Nibandh

यह हमारा महान् राष्ट्रीय पर्व है। स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए भारत के अनेक वीर सपूतों ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। वे हँसते-हँसते स्वाधीनता की बलिवेदी पर न्यौछावर हो गये। इन्हीं बलिदानी वीरों के त्याग से हमारा स्वाधीनता का सुनहरा स्वप्न साकार हुआ। इसीलिए इस पुनीत तिथि को हम भारतवासी बड़ी धूम-धाम से राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं।

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गणतन्त्र दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

आज से आठ दशक पूर्व रावी नदी के तट पर लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग की गई। इसी स्वतन्त्रता की माँग के समर्थन में 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस पर निबंध), 1930 को सम्पूर्ण भारत में राष्ट्रीय ध्वज की संरक्षणता में जुलूस निकाले गये और प्रतिज्ञा की गई कि जब तक हम पूर्ण स्वतन्त्रता न प्राप्त कर लेंगे तब तक हमारा स्वतन्त्रता आन्दोलन चलता रहेगा। उसी समय से 26 जनवरी हमारे लिए राष्ट्रीय पर्व का रूप धारण कर चुकी थी।

26 जनवरी ही क्यों

नवीन संविधान के अनुसार 26 जनवरी को ही गणतन्त्र दिवस रखने का एक ऐतिहासिक कारण है। स्वाधीनता संग्राम के दिनों 26 जनवरी सन् 1929 को लाहौर में रानी नदी के तट पर काँग्रेस अधिवेशन में पंडित नेहरू की अध्यक्षता में पूर्ण स्वतन्त्रता का प्रस्ताव पारित हुआ था। तब प्रत्येक भारतीय ने यह प्रण कर लिया था कि शीघ्रातिशीघ्र हम पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त करके रहेंगे। उसो दिन से छब्बीस जनवरी का दिन हमारे लिए राष्ट्रीय पर्व बन चुका था। तब प्रतिवर्ष इस दिन भारत फेरियां निकलती थीं, ध्वज अभिवादन होता था और राष्ट्रीय गीत गाये जाते थे। ‘स्वाधीनता दिवस’ की उसी ऐतिहासिक घटना और भावना को सुरक्षित रखने के लिए ही जन-नायकों ने 26 जनवरी को ही गणतंत्र दिवस का श्रेय दिया।

आशा और स्फूर्ति का संचारक

गणतन्त्र दिवस का यह उत्सव पूर्णतया राष्ट्रीय पर्व है। भारत के सभी नागरिक जाति, पंथ और धर्म के भेद भाव से ऊपर उठकर भारत के राष्ट्रीय जन होने के नाते इस पर्व को उत्साहपूर्वक मनाते हैं। 26 जनवरी को देश के प्रत्येक कोने में उल्लास और हर्ष छा जाता है। प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं, सभी सरकारी तथा निजी स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराये जाते हैं, लोग उनका अभिवादन करते हैं और राष्ट्रीय गीत गाते हैं। सभी नागरिक दीपावली की भाँति अपने-अपने घरों, दुकानों और कार्यालयों को रंग-बिरंगे बिजली के लट्ट्टुओं और झंडियों से सुसज्जित करते हैं।

गणतन्त्र दिवस के कार्यक्रम

26 जनवरी के दिन सारे भारत में उल्लास और उमंग के साथ नाना प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। गणतंत्र दिवस का मुख्य उत्सव भारत की राजधानी दिल्ली में होता है। राष्ट्रपति की भव्य सवारी एक विशाल जुलूस के साथ निकलती है।

तोपों की गूंज से इस महान् दिवस का स्वागत किया जाता है। जुलूस में जल, थल और वायु सेना के सैनिक पूरी सजधज से भाग लेते हैं। विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों की झाँकी प्रदर्शित की जाती है। यह झाँकी भारत की सैन्य शक्ति का परिचय देती है।

फिर तरह-तरह की सजी हुई झाँकियाँ निकलती हैं। इनमें भारत के विभिन्न प्रदेशों के सांस्कृतिक जीवन, वहाँ की कला और प्रगति के बढ़ते चरणों की झलक मिलती है। वायुसेना के विमान आकाश में कलाबाजियों खाते हैं और जुलूस पर पुष्प वर्षा करते हैं।

राष्ट्रपति भवन से चला हुआ यह जुलूस लाल किले पर जाकर समाप्त होता है। रात्रि में राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और केन्द्रीय सचिवालय दीपमाला से झिलमिला उठते हैं।

राजधानी के अतिरिक्त भारत के हर नगर और गाँव में भी यह उत्सव बड़े उत्साह से मनाया जाता है। प्रभात फेरियाँ निकलती हैं। घरों, कार्यालयों, विद्यालयों पर राष्ट्रीय झण्डा फहराया जाता है। देशभक्ति के गीतों और भाषणों का आयोजन होता है। शहीदों को याद करते हुए सभी भारतवासी देश की स्वतंत्रता की रक्षा का संकल्प लेते हैं।

महत्व

हम सभी भारतीयों के लिए 26 जनवरी का विशेष महत्व है। यह दिन हमें स्वतंत्रता के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले वीरों की याद दिलाता है। राष्ट्रपति द्वारा दिया गया सन्देश देश के नव-निर्माण में जुट जाने के लिए हममें नयी उमंग भर देता है।

दिल्ली में समारोह का रूप

भारत की राजधानी दिल्ली में इस उत्सव का विशेषज्ञ आयोजन होता है। दिल्ली का गणतन्त्र दिवस समारोह अति भव्य, आकर्षक और दर्शनीय होता है। प्रातःकाल होते ही लोग ‘इण्डिया गेट’ की ओर चल देते हैं। क्योंकि विशेष समारोह वहीं पर होता है। निश्चित समय पर राष्ट्रपति अपनी सवारी पर बैठकर विजय चौक’ पर पधारते हैं, राष्ट्रीय ध्वज का अभिवादन करते हैं और जल, थल तथा वायु सेनाओं का अभिवादन स्वीकार करते हैं। तदनन्तर राष्ट्रपति वीर सैनिकों तथा विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले जनों को अलंकरणों से विभूषित करते हैं। सेनाओं के वाद्य-वृन्द इस अवसर पर मधुर ध्वनि से जनता को मोह लेते हैं।

इसके उपरान्त जल, थल तथा वायु सेनाओं की टुकड़ियाँ नगर की प्रमुख सड़कों पर पथ संचलन करती हुई लाल किले में पहुँचती हैं। साथ ही दिल्ली के कुछ चुने हुए विद्यालयों के विद्यार्थी भी अपने कुछ मनमोहक कार्यक्रम प्रदर्शित करते हैं। युद्ध में काम आने वाले विभिन्न प्रकार के शस्त्रास्त्रों का प्रदर्शन भी इस अवसर पर होता है। इसके पीछे भारत के विभिन्न प्रांतों की झाँकियाँ चलती हैं। वायु सेना के अनेक वायुयान अपने अद्भुत कौशल का प्रदर्शन भी करते हैं।

दिल्ली में सभी प्रान्तों के साँस्कृतिक कार्यक्रम लोक नृत्यादि किये जाते हैं। इनमें हमें भारत की विभिन्नता में छुपी हुई एकता का भी ज्ञान होता है। सायंकाल सरकार की ओर से राष्ट्रपति भवन में प्रतिष्ठित नागरिकों को भोज दिया जाता है। इसी प्रकार भारत के सभी प्रदेशों में वहाँ के राज्यपाल महोदय का अभिवादन होता है तथा अपने-अपने प्रान्तों में गणतन्त्र दिवस का वर्ष हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है।

गौरव का दिन

इस दिन भारत का प्रत्येक नागरिक देश के पवित्र संविधान की मर्यादा सुरक्षित रखने के लिए जीवन का बलिदान करने की प्रतिज्ञा करता है। यह राष्ट्रीय पर्व देश के गौरव की वृद्धि करता है। इस पर्व के पीछे हमारे देश के अनेक देशभक्तों के त्याग बलिदानों का इतिहास छुपा है। भारतीय जनता के लिए यह अत्यन्त गौरव और प्रेरणा दिन है, जिसे मनाकर हम कृतकृत्य हो जाते हैं। वस्तुतः जन-गण-मन का गणतन्त्र दिवस हमारे महान् हर्ष दिन है। यह दिन हमें देश का विकास करने तथा देश के गौरव को सुरक्षित रखने देता है।

उपसंहार

गणतंत्र दिवस का पवित्र राष्ट्रीय पर्व महान् संकल्प का दिन है। इस दिन भारत के कण-कण से हमें एक ही सन्देश सुनायी देता है। यह सन्देश है- भारत की स्वतंत्रता और अखण्डता की रक्षा का।

हमारा कर्तव्य है कि इस पावन और अत्यन्त महत्वपूर्ण पर्व के शुभ अवसर पर अपने राष्ट्र के अमर शहीदों के प्रति हार्दिक श्रद्धा भावनाओं को प्रकट करते हुए उनकी नीतियों और सिद्धान्तों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेकर राष्ट्र निर्माण की दिशा में कदम उठायें। इससे हमारे राष्ट्र की स्वाधीनता निरन्तर सुदृढ़ रूप में लौह-स्तम्भ-सी अडिग और शक्तिशाली बनी रहेगी।

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