गैस्ट्रोएन्टराइटिस क्या है, कारण, लक्षण और योग द्वारा उपचार

गैस्ट्रोएन्टराइटिस क्या है, कारण, लक्षण और योग द्वारा उपचार के बारे में जानेंगे। यह रोग अचानक ही प्रकट होता है। इसका मुख्य कारण भोजन में असावधानी या विषाक्त आहार सेवन कर लेना है। यह (Gastroenteritis Kya Hai) कोई गम्भीर रोग नहीं है। यह तो केवल यह संकेत देता है कि भोजन में गड़बड़ी अवश्य हुई है। इस रोग में व्यक्ति के पेट में दर्द और ऐंठन होती है। बुखार आ सकता है तथा उल्टी की संभावना रहती है। दस्त होने लगते हैं तथा भूख की कमी आ जाती है।

गैस्ट्रोएन्टराइटिस क्या है, कारण, लक्षण और योग द्वारा उपचार

गैस्ट्रोएन्टराइटिस क्या है

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गैस्ट्रोएन्टराइटिस क्या है

रोगी उक्त लक्षण प्रकट होने पर भोजन लेना बन्द कर दे और पूर्ण विश्राम करें। बच्चों में यह रोग अधिकांशत: भूख से ज्यादा खा लेने पर तथा विपरीताहार से हो जाता है। अतः सजगता वांछित है।

सामान्य उपचार

एक बात इस रोग में ध्यान रखना चाहिये कि किसी प्रकार की दवा खाकर बुखार एवं दस्तों को रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिये क्योंकि विषाक्त तत्वों के शरीर में बने रहने से अन्य परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं। अतः इनका दस्त के माध्यम से निकल जाना ही हितकर है। दवाओं की बजाय रोगी को उपवास रखना चाहिये। इससे बुखार एवं दस्त स्वयं नियंत्रित हो जायेंगे।

कभी-कभी अधिक उल्टी एवं दस्त होने से शरीर का पानी निकल जाता जिससे शरीर में निर्जलीकरण (डीहाइड्रेशन) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यदि रोगी की दशा गम्भीर लगे तो तुरन्त ही चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिये। संक्रमण के कारण हैजा या टायफाइड भी हो सकता है। इससे रोगी की स्थिति गिरती जाती है। ऐसे समय में शक्तिशाली दवाऐं रोगी का उपयुक्त उपचार कर सकती हैं क्योंकि चिकित्सक अपने अनुभव के आधार पर उक्त दोनों स्थितियों में भेद कर सकता है।

योग द्वारा उपचार

गैस्टो एन्टराइटिक्स के कारण आये सामान्य ज्वर को ठीक करने के लिए रोगी को उपवास करना चाहिये तथा किसी शान्त स्थान में सम्पूर्ण विश्राम करना चाहिये। उपवास के दौरान उबला हुआ शुद्ध पानी का सेवन अधिक करना चाहिये। पानी के साथ ग्लूकोज, नमक, नीबू या लवण घोल (Electrolytes) भी लिये जा सकते हैं।

बुखार के लगातार बने रहने पर या दस्त की स्थिति में पतला उबाला हुआ मीठा बाल भी प्रयोग किया जा सकता है। जब बुखार उतर जाये तब फल या सब्जी का रस या पतला सूप, खिचड़ी खाकर उपवास तोड़ा जा सकता है। सामान्यतः ज्वर एवं तीव्र रोगों की स्थिति में हठयोग की षट्क्रियायें नहीं करनी चाहिये और शरीर को स्वतः त्याज्य पदार्थों का निष्कासन करने देना चाहिये। पेट दर्द तथा ऐंठन को दूर करने के लिए मत्स्य क्रीड़ासन एवं शशांकासन करना उपयोगी है। अनुलोम-विलोम तथा मृत्युंजय मंत्र का जप प्रतिदिन करना चाहिये।

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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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