ग्रीष्म ऋतु पर निबंध, संसार परिवर्तनशील है। कभी धूप है तो कभी छाया है। कभी दुःख है और कभी सुख है, कभी बसन्त है तो कभी ग्रीष्म है। ग्रीष्म ऋतु का समय ज्येष्ठ और आषाढ़ ये दो महीने होते हैं। इन दो महीनों में बहुत तेज गर्मी पड़ती है। नर-नारी ही नहीं पशु-पक्षी तक तेज गर्मी से व्याकुल हो जाते हैं। सूर्य की किरणें बहुत तेज हो जाती हैं। वायु धीरे-धीरे गर्म होकर लू का रूप धारण कर लेती है।
ग्रीष्म ऋतु पर निबंध (Grishma Ritu Par Nibandh)

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ग्रीष्म ऋतु का समय
लू के लगने से लोग मरने लगते हैं। छोटे कुएँ, पोखर, तलैया, तालाब तथा नदियाँ तक सूख जाते हैं। पानी नीचे चला जाता है। राजस्थान इत्यादि सूखे प्रान्तों में बहुत बुरी दशा हो जाती है। प्रकृति का रूप क्रोधपूर्ण दिखाई देने लगता है। राजस्थान के बीकानेर इत्यादि स्थानों पर रेत एक जगह से उड़कर दूसरी जगह टीले से बना देता है।
गर्मी की तेजी के कारण स्कूल
कॉलेजों की छुट्टियाँ हो जाती है। नगर में बच्चे पार्कों, बाग-बगीचों में खेल खेलते हैं किन्तु अधिक से अधिक आठ बजे तक। गर्मी के दिनों में दिन बड़े होते हैं। रातें छोटी होती हैं। लोग खाना खाने के बाद सोना चाहते हैं। जब सोने से ऊब जाते हैं तब ताश, शतरंज इत्यादि खेल खेलकर समय बिताते हैं।
धनी लोग गर्मी से घबड़ाकर पहाड़ों पर चले जाते हैं अथवा कश्मीर या अन्य ठण्डे स्थानों में चले जाते हैं किन्तु दफ्तर के बाबू बिजली के पंखों में या कूलरों में बेमन से काम करते हैं किन्तु सबसे अधिक कष्ट उन लोगों को होता है जो मजदूरी कर जीवन बिताते हैं। ऐसी ही एक महिला के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए निराला ने कहा था महाकवि निराला ने कहा था-
“वह तोड़ती पत्थर इलाहाबाद के पथ पर।”
कभी-कभी गर्मी की रातें बहुत गर्म रहती हैं। वायु गर्म चलती है। कभी-कभी वह बिल्कुल बन्द हो जाती है। अतः रात्रियाँ चैन से नहीं करती हैं। ग्रीष्म ऋतु का सबसे बड़ा लाभ यह है कि सूर्य की गर्मी से फसल पकती है। यदि गर्मी न पड़े तो फसल न पके। अन्न के बिना लोग भूखों मर जायें। ग्रीष्म से दूसरा बड़ा लाभ यह है कि ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपनी तेज किरणों से जल खींचता है।
यदि ग्रीष्म ऋतु में तेज गर्मी न पड़े तो सूर्य की किरणें जल खींचने में असमर्थ हो जायें। बादल न बनें और वर्षा न हो। वर्षा न होने से अन्न पैदा न हो। अन्न पैदा न होने से लोग भूखों मर जायें। तेज गर्मी से जीवों को कष्ट अवश्य होता है किन्तु ग्रीष्म ऋतु जीवन देने वाली है। अतः हमें इसका स्वागत करना चाहिए। इसे कोसना नहीं चाहिए।
फलों का राजा आम इसी ऋतु में आता है। ककड़ी, खीरा, लीची, खूबानी, फालसे, खरबूजे, तरबूजे इत्यादि फल वर्षा ऋतु में आते हैं। इनके खाने में यह ध्यान रखा जाय कि ये ताजे ही खाये जायें, अधिक मात्रा में न खाये जायें। ये गले सड़े न हों। गले सड़े या अधिक फलों के खाने से हैजा होने का डर रहता है।
उपसंहार
ग्रीष्म ऋतु में पानी खूब पीना चाहिए। पानी की कमी होने पर लू लगने का डर रहता है। जहाँ तक हो सके धूप में न निकला जाय। कानों पर कपड़ा बाँधे रखा जाय। लू लगने पर आम का पना पिया जाय। प्याज का अर्क पिया जाय और भी जो इलाज ठीक हो किया जाय। डॉक्टर की सलाह ली जाय।