आज हम मिठाइयों पर निर्भर रहने लगे हैं पर गुड़ का उपयोग कैसे होता है। गुड़ में कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके बारे ने नहीं जानते, मुंह मीठा करने के लिए, खुशी बांटने के लिए, हलवाई द्वारा बनी कीमती मिठाइयों के खाने-खिलाने का रिवाज प्रचलित है। कभी यह काम गुड़ ही कर दिया करता था। गुड़ सस्ता और गुणकारी भी होता है । मगर आज हम गुड़ को पिछड़े हुए लोगों के सेवन की वस्तु समझते हैं।
पढ़े-लिखे तथा समाज में अच्छी प्रकार प्रतिष्ठित लोगों के लिए तो गुड़ ‘कल’ की बात है। उनके ‘आज’ में इसकी कोई उपयोगिता नहीं है। आज हमने गुड़ को भी याद किया है तथा इसे थोड़ी मात्रा में अवश्य खाने की सिफारिश भी कर रहे हैं। जिन्हें मीठा खाने को इनकार है, उन्हें तो न मिठाई खानी है और न ही गुड़।
गुड़ का उपयोग कैसे होता है

जापान में गन्ने की खेती
जापान के एक भिक्षु थामसा की बात सुनाते हैं। वह जंगल से गुजर रहा था। एक ऊंचे मोटे वृक्ष पर किसी कारण कुपित हो गया। उसे शाप दे डाला। इस भिक्षु की बात सच होने लगी। वृक्ष का शरीर दुबला-पतला होने लगा। कद घटने लगा। वह बहुत गिड़गिड़ाया। थर-थर कांपता हुआ भिक्षु के सामने झुक गया। भिक्षु को तरस आया। बोला- ‘चिन्ता न करो। तुम्हारे शरीर का सारा रस ज्यों-का-त्यों बना रहेगा। इस दुबले-पतले शरीर में समा जाएगा। लोग तुझे चाव से तोड़ेंगे। चूसेंगे। गुणगान करेंगे तुम्हारी खेती की जाएगी।’ और यह वृक्ष बना ईख का पौधा। गन्ना गुड़ का स्रोत।
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यूनान में गन्ने की खेती
यूनान में एक लोककथा को गन्ने की खेती से जोड़ा जाता है। वहां है एक ‘टेलस्मि नंगल’ का क्षेत्र एक आदिवासी का घोड़ा गुम हो गया। बहुत ढूंढा न मिला। ढूंढते ढूंढते जंगलों में भटकने लगा। वह एक रात प्यास से छटपटाने लगा। पानी न मिला। उसे एक दुबला-पतला पौधा नजर आया। इस पर बैठी मधुमक्खियां रस चूस रही थीं। उसने इस पौधे को तोड़ा। इससे रस गिरने लगा। उसने मुंह लगा, इसे चूसना शुरू कर दिया। वह इस पेड़ के कुछ पौधे लेकर गांव लौटा। इसके टुकड़े कर लोगों में बांटा। जो टुकड़े फेंक दिए, उससे पौधे उग आए। इसी से वहां ईख की खेती होने लगी। यही गन्ना है जिसकी घर-घर में खेती होने लगी।
गुड़ से जुड़े रोचक तथ्य
आम धारणा है कि गन्ने की खेती सबसे पहले भारत में शुरू हुई थी। इसे वैदिक काल के समय से जोड़ा जाता है। फिर भी जिस गन्ने से गुड़ बनता है, उसे अन्य देशों में कब, कैसे खेती के रूप में शुरू किया, इस पर भी थोड़ा प्रकाश डालते हैं। बात ईसा से 800 वर्ष पहले की है। वेबोलियन के इतिहास में इसका जिक मिलता है। ‘गायना’ आदिवासी जाति थी। उसने गन्ने की खेती बड़े शौक से की। अपने ‘गायना’ से मिलता-जुलता नाम रखा। धीरे-धीरे ‘गन्ना’ कहलाने लगा। मगर लेटिन में तो गन्ने को ‘सेकेरम् औफिसिनेरम’ के नाम से जाना जाता था।
ईसा से 338 वर्ष पूर्व ! भारत में गन्ने की खेती खूब होती थी। सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया हुआ था। उसने गन्ने के खेत देखे। लोगों को चाव से गन्ना चूसते देखा। जश्न मनाते देखा। वह चकित रह गया। उसने भी यह ‘छड़’ मंगवा कर चूसने की इच्छा जाहिर की। उसे बड़ा मजा आया। जब वह यूनान वापस गया तो गन्नों को साथ ले गया। इसकी खेती भी की।
गुड़ के पोषक तत्व
100 ग्राम गुड़ में | 280 यूनिट विटामिन ‘ए’ |
प्रोटीन | 0.4 भाग |
फास्फोरस | 0.4 भाग |
चिकनाई | 0.1 भाग |
घातव लवण | 0.6 भाग |
कैल्शियम | 0.08 भाग |
(8) शर्करा | 65 भाग |
गुड़ के उपयोग
- हिन्दूधर्म में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान गुड़ के बिना पूरा नहीं किया जा सकता।
- आयुर्वेद में तो गुड़ एक मुख्य आवश्यकता मानी जाती है। अनेक दवाइयां गुड़ की सहायता से बनती हैं।
- गुड़ को अधिक-से-अधिक एक वर्ष तक रखकर सीधा खाने के योग्य माना जाता है।
- गुड़ के प्रयोग से अधिक मूत्र आने का रोग ठीक हो जाता है। क्योंकि यह गर्म तासीर रखता है।
- वात रोग से छुटकारा पाने के लिए भी गुड़ लाभकारी होता है।
- पुराना गुड़ भी अनेक रोगों के निवारण तथा दवाइयों के लिए उपयुक्त माना गया है।
- कुछ विद्वानों का कहना है कि नए गुड़ को नहीं, बल्कि पुराने गुड़ का ही सेवन करना अच्छा है। वे मानते हैं कि नया गुड़ कफ में वृद्धि करता है। पेट में कीड़े भी पैदा करता है। ऐसे में सुझाव दिया जाता है कि थोड़ी-सी मात्रा खाने से इससे हानि नहीं होगी।
- गुड़ खाने से वक्ष की पीड़ा घटती है।
- श्वास, खांसी में लाभ होता है।
- पेट को साफ रखने में सहायक होता है।
- खाना खाने के पश्चात्, थोड़ी-सी मात्रा में गुड़ खा लेने से पाचनशक्ति में वृद्धि होती है।
- बच्चों के लिए गुड़ एक टॉनिक का काम करता है।
- यौवन को कायम रखता है
- गुड़ मनुष्य को दीर्घजीवी बनाता है।
- बच्चों की दूध की कमी को पूरा करता है।
- हृदय रोगों से छुटकारा दिलाता है।
- ग्लूकोज महंगा है। गुड़ सस्ता । मगर दोनों का लाभ एक जैसा समझें।
- गुड़ से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
अन्य उपयोग
- कब्ज दूर करने से, इधर-उधर हाथ मारने की बजाय, गुड़ खाकर पेट साफ कर सकते हैं।
- गुड़ खुजली में भी लाभदायक होता है।
- अधिक कफ बनने की शिकायत हो तो अदरख और गुड़ मिलाकर खाएं।
- पित्त में हरड़ के साथ गुड़ खाएं।
- बात की शिकायत होने पर गुड़ और सोंठ मिलाकर खाएं।
- अनीमिया के रोगी प्रतिदिन गुड़ खाया करें।
- प्रतिदिन गुड़ खाने से चेहरे की बीमारियां दूर होती हैं।
- बुढ़ापा देर से आएगा।
- यह रक्त को शुद्ध करता है।
- दमा का रोगी गुड़ और सरसों प्रतिदिन मिलाकर खाए। लाभ देगा।
सावधानी – मधुमेह का रोगी कभी गुड़ न खाए। नहीं तो उसे लाभ के स्थान पर हानि होगी
गुड़ के अभिन्न अंग
आयुर्वेद ज्ञाता गुड़ में शरीर के लिए निम्न लाभकारी तत्त्वों का होना बताते हैं। डॉक्टर लोग तथा शोधकर्ता भी इससे इनकार नहीं करते।
- गुड़ में कार्बोहाईड्रेट, खनिज पदार्थ, वसा, जल, प्रोटीन, फास्फोरस, कैल्शियम, विटामिन, लोहा उपलब्ध है। इसमें कैलोरी की मात्रा काफी होती है।
- बच्चों को चीनी खाने से मना कर, गुड़ खाने की आदत डालनी चाहिए। इससे उनके दांतों में कैल्शियम की कमी पूरी होगी। विटामिन ‘ए’, लोहा, विटामिन बी, बहुत मात्रा में प्राप्त होता है।
औषधि के रूप में
- बच्चों के पेट में कीड़े होना, एक आम शिकायत है। यदि पलाश के बीज मिलाकर पुराने गुड़ के साथ खिलाया या पिलाया जाए, तो उनके कीड़े मर कर मल के साथ निकल जाते हैं।
- जिन्हें कफ की शिकायत रहती है, उन्हें गुड़ में अदरख का रस मिलाकर देने से लाभ होगा।
- पित्त की बीमारियों में भी गुड़ का प्रयोग लाभदायक होता है। हरड़ और गुड़ मिलाकर खाने से फायदा पहुंचता है।
- कुछ लोग वायु से पीड़ित रहते हैं। उनको अधिक वायु के होने या पेट में रुके रहने से परेशानी होती है। सोंठ और गुड़ मिलाकर खाने से रोग दूर होगा।
विद्वान् मानते हैं कि गुड़ त्रिदोषनाशक है। कफ, पित्त और बात, तीनों के लिए गुड़ को लाभकारी माना गया है।
आयुर्वेद के अनुसार
आयुर्वेद के ज्ञाता ही नहीं पश्चिमी चिकित्सक भी गुड़ को चीनी से अधिक लाभकारी मानने लगे हैं। अतः अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए, रोग निवारण के लिए, पाचनशक्ति को बढ़ाने तथा खाया पिया हजम करने के लिए मिठाइयों से दूर रहकर थोड़ी-सी मात्रा में गुड़ प्रतिदिन खाना हितकर है। यह मुंह का स्वाद ठीक करता है तथा भोजन पचाने में सहायक होता है।
अब गुड़ का प्रचार, प्रसार, प्रयोग कम होता जा रहा है। चीनी की ओर लोगों का ध्यान ज्यादा जा रहा है। मगर जितने औषधीय, पौष्टिक, पाचन वाले गुण इस गुड़ में हैं, चीनी में नहीं बल्कि जहां पर चीनी नुकसान करती है, स्वास्थ्य का हास करती है, वहीं गुड़ हमें शक्ति देता है और शरीर को लाभ पहुंचाता है।
गुड़ से अनेक रोगों का इलाज की बात ऊपर की गई है। यदि हम इन बातों को समझकर, इनमें विश्वास कर, इनके अनुसार चलें तो हमारे शरीर के बेहिसाब फायदे हो सकते हैं।
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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।