हमारा राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध हिंदी में? हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध?

हमारा राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध, प्रत्येक देश अथवा प्रत्येक पार्टी का एक ध्वज है। देश के नेताओं ने इस प्रकार का तिरंगा ध्वज देश के लिए स्वीकार किया जिसमें तीन रंग हैं और बीच में अशोक का चक्र है। यह ध्वज हमारे देश की शान है और हमारे देश का प्राण है।

हमारा राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध

हमारा राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध
Hamara Rashtriya Dhwaj Par Nibandh

इसका फहराते रहना उसका जीवन और झुक जाना उसकी मृत्यु मानी जाती है। जब महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश की जनता ने स्वतन्त्रता का युद्ध आरम्भ किया तब एक ऐसे ध्वज की आवश्यकता प्रतीत हुई जो सारे देश के लिए मान्य हो।

यह भी पढ़े – हमारा देश पर निबंध? हमारा देश भारत पर निबंध?

परिचय

हमारा ध्वज तीन पट्टियों का बना हुआ है। ये सभी पट्टियाँ समान हैं। सबसे ऊपर की पट्टी केसरिया रंग की है। बीच की पट्टी सफेद है। सबसे नीचे की पट्टी हरी है। तीन रंगों की पट्टियों से बने होने के कारण यह तिरंगा कहा जाता है। बीच में चक्र बना है जो सम्राट अशोक के धर्मचक्र का प्रतीक है।

झण्डे में सबसे ऊपर जो केसरिया रंग है वह त्याग और बलिदान का प्रतीक है। राजपूत जब देख लेते थे कि अब शत्रु पर विजय पाना कठिन है तब वे सब प्रकार की मोह-ममता का त्याग कर केसरिया पहनकर और जान को हथेली पर रखकर युद्धभूमि में कूद पड़ते थे और विजय प्राप्त करते थे। सफेद रंग सादगी, सच्चाई, ईमानदारी और सहनशीलता का प्रतीक है। हरा रंग देश की हरियाली अर्थात् खुशहाली का प्रतीक है।

ये तीनों रंग मिलकर देशवासियों को बताते हैं कि देश की स्वतन्त्रता, उसकी रक्षा और उज्ज्वल भविष्य के लिए देशवासियों को त्याग, बलिदान, ईमानदारी, सादगी और सहनशीलता के गुण अपनाने चाहिए। इन्हीं गुणों के रहने पर देश का भविष्य उज्ज्वल होगा। सन् 1947 में देश के स्वतन्त्र होने पर चर्खे के स्थान पर अशोक का धर्मचक्र रखा गया। इस चक्र के साथ का ध्वज राष्ट्रध्वज स्वीकार किया गया और चरखे से युक्त झण्डा कांग्रेस पार्टी का झण्डा माना गया।

झण्डे का महत्व और उसके लिए बलिदान

झण्डे को लेकर और ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊँचा रहे हमारा’ ‘इसकी शान न जाने पाये चाहे जान भले ही जाये’ गाते हुए देश के बच्चे से बूढ़े तक प्रभातफेरी निकालते थे और आजादी का अलख जगाते थे।

जब-जब आजादी के महत्व को बताने के लिए सभाएँ हुआ करती थीं तब-तब सबसे पहले झंडागान हुआ करता था। कितने ही वीर झण्डा फहराते हुए अंग्रेजी शासन की गोलियों के शिकार हो गये थे। अंग्रेजी शासन के लोग बालकों से झण्डा छीनते, किन्तु वे झण्डा न देकर अपने प्राण दे देते थे।

उपसंहार

राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश का प्राण है। अतः हमें प्राण देकर भी इसके सम्मान की रक्षा करनी चाहिए। इसके फहराने के भी कुछ नियम हैं। स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त) और गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी) के दिनों पर झंडा हर जगह फहराया जा सकता है। फहराते हुए व उतारते हुए इसे पृथ्वी पर गिरने नहीं देना चाहिए अर्थात् इसके सम्मान का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए।

झण्डा देश का प्रतीक है। झण्डे की रक्षा करने का अभिप्राय है देश की रक्षा करना। यदि हम चाहते हैं कि हमारे देश की स्वतन्त्रता पर किसी प्रकार की आँच न आये तो हमें उन लोगों के त्याग तपस्या और बलिदान का अनुकरण करना चाहिए जिन्होंने झण्डे की रक्षा के लिए हँसते-हँसते अपने प्राण दे दिये थे।