धरती के लगभग 70% हिस्से पर पानी ही पानी है जिसमें मीठा पानी और खारा पानी दोनों ही शामिल है। पर क्या आप जानते हैं कि हिन्द महासागर और अटलांटिक महासागर के पानी का रंग अलग-अलग क्यों है और इन दोनों महासागरों का पानी आपस में मिलता क्यों नहीं है। हिंद महासागर का नाम हिंदुस्तान से जुड़े होने के कारण हे रखा गया था। दुनिया का सबसे बड़ा महासागर प्रशांत महासागर है।
हिन्द महासागर और अटलांटिक महासागर के पानी का रंग अलग-अलग क्यों है

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प्रकाश के परावर्तन का नियम
वैज्ञानिकों ने बताया है कि सूर्य के प्रकाश में 7 रंग होते हैं। जब सूर्य की किरणें या सूर्य का प्रकाश इनके ऊपर पड़ता है तो सूर्य के प्रकाश में उपस्थित सातों रंग में से जिस रंग को वह अवशोषित कर लेता है उसका रंग वैसा ही दिखाई देता है। प्रकाश के परावर्तन के नियम के कारण ही प्रशांत महासागर का रंग नीला और अटलांटिक महासागर के पानी का रंग हरा दिखाई देता है।
अटलांटिक महासागर के पानी का रंग हरा क्यों है
वैज्ञानिकों के अनुसार अटलांटिक महासागर में हरि पेड़ पौधे बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं और जब यह पौधे नष्ट होते हैं तो इनके अंदर से एक पीले रंग का पदार्थ पानी में मिल जाता है और जब सूर्य का प्रकाश इसके पानी के ऊपर पड़ता है तो पानी में उपस्थित पीला और नीला रंग आपस में परावर्तित हो जाते हैं और इन दोनों रंगों के मिश्रण की वजह से इसके पानी का रंग हमें हरा दिखाई देने लगता है।
आमतौर पर जब हम पीले और नीले रंग को आपस में मिलाते हैं तो यह हमें हरा रंग प्रदान करता है सूर्य के प्रकाश में उपस्थित हरा रंग समुद्र के पानी के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है इसी कारण से हमें अटलांटिक महासागर का पानी हरे रंग का दिखाई देता है।
हिंद महासागर का पानी नीला क्यों दिखाई देता है
आमतौर पर पानी सूर्य के प्रकाश में से नीले रंग को ही अवशोषित करता है प्रशांत महासागर में पीले रंग का पदार्थ नहीं पाया जाता है जिसकी वजह से जब सूर्य की किरणें प्रशांत महासागर के पानी के ऊपर पढ़ती हैं तो प्रकाश में उपस्थित नीला रंग अवशोषित कर लिया जाता है जिसके कारण हमें प्रशांत महासागर के पानी का रंग नीला दिखाई देता है।
अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर का पानी आपस में मिलता क्यों नहीं
वैज्ञानिकों के अनुसार हिंद महासागर और अटलांटिक महासागर का पानी ना मिलने की एक बड़ी वजह बताई गई है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन दोनों महासागरों का पानी नहीं मिलने की वजह मीठे और खारे पानी का घनत्व, तापमान और लवणता अलग-अलग पाई जाती है जिसकी वजह से इन दोनों महासागरों का पानी आपस में कभी भी मिश्रित नहीं होता यानी कि एक दूसरे में नहीं घुल सकता।
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