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हुमायूँ का शासन काल? हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच युद्ध?

हुमायूँ का शासन काल , हुमायूँ का इतिहास, हुमायूँ (1530-1540 ई० तथा 1555-1556 ई०) बाबर की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र हुमायूँ 1530 ई० में मुगल सिंहासन पर बैठा। सिंहासन पर बैठते ही हुमायूँ को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

हुमायूँ का शासन काल (Humayun Ka Shasan Kal)

हुमायूँ का शासन काल

उसकी सबसे बड़ी कठिनाई उसके शत्रु थे जिनमें पश्चिम में गुजरात के शासक बहादुरशा और पूर्वी भारत का शेरशाह मुख्य थे। ये दोनों भारत में अपनी शक्ति को बढ़ा रहे थे और मुगल शासक हुमायूँ को भारत से भगाने के लिए प्रयत्नशील थे। इन्हीं के साथ हुमायूँ के सगे सम्बन्धी भी उसके लिये कठिनाई उत्पन्न रहे थे। उन्होंने प्रायः उसके शत्रुओं का ही साथ दिया।

हुमायूँ का शासन काल (Humayun Ka Shasan Kal)

बहादुरशाह गुजरात का शासक था। बहादुरशाह दिल्ली का साम्राज्य प्राप्त करना चाहता था। उसने सन् 1534 ई० में चित्तौड़ पर आक्रमण कर उसे अपने अधीन कर लिया। अत हुमायूँ एवं बहादुरशाह के बीच युद्ध की सम्भावना बढ़ने लगी। अंततः हुमायूँ एवं बहादुरशाह के मध्य युद्ध हुआ जिसमें बहादुरशाह की पराजय हुई।

हुमायूँ से बचते हुए बहादुरशाह ने पुर्तगाली द्वीप दिउ में शरण ली। हुमायूँ गुजरात विजय कर अपनी राजधानी वापस चला गया। इस मौके का लाभ उठाकर बहादुरशाह ने पुर्तगालियों की मदद से गुजरात पर पुनः अधिकार कर लिया। हुमायूँ की विजय के विरुद्ध जनविद्रोह के चलते मुगलों के हाथ से गुजरात निकल गया।

हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच युद्ध

1538 ई० में हुमायूँ ने शेरशाह से चुनार जीत लिया। तत्पश्चात् शेरशाह ने गौड (बंगाल) पर विजय प्राप्त की और बंगाल पर अधिकार कर लिया। शेरशाह के बढ़ते हुए प्रभाव से हुमायूँ सशंकित था।

हुमायूँ मुंगेर के पास गंगा को पार करके शेरशाह की ओर बढ़ा 1539 ई० में चौसा नामक स्थान पर हुमायूँ तथा शेरशाह के मध्य भीषण युद्ध हुआ। युद्ध में परास्त हुमायूँ ने किसी तरह अपनी जान बचायी।

अपनी पराजय का बदला लेने के लिए हुमायूँ ने अपनी सेना के साथ कन्नौज नामक स्थान पर शेरशाह से मुकाबला किया। इस युद्ध में हुमायूँ की पराजय हुई। शेरशाह ने आगरा तथा दिल्ली पर अपना अधिकार कर लिया तथा वह, शेरशाह सूरी के नाम से भारत का शासक बना। हुमायूँ सिन्ध होते हुए फारस चला गया।

हुमायूँ की वापसी (1555 ई0)

शेरशाह द्वारा स्थापित साम्राज्य शेरशाह की मृत्यु के बाद दिन प्रति दिन कमजोर होता गया। हुमायूँ ने दिल्ली को पुनः प्राप्त करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए। फारस के शासक की मदद से हुमायूँ ने कंधार, पंजाब, आगरा और दिल्ली पर कब्जा कर लिया।

हुमायूँ ने दिल्ली में एक मदरसा तथा ग्वालियर में तराशे हुए पत्थरों का किला बनवाया। 1556 ई० में जब वह शेर-ए-मंडल पुस्तकालय की सीढ़ियों से उतर रहा था, तभी लड़खड़ा कर गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई।

भारत में मुगल वंश की नींव बाबर ने डाली थी जिसके आधार पर मुगलों ने भारत में लगभग दो सौ. वर्षों तक शासन किया।

तुजुक-ए-बाबरी- “हिन्दुस्तान एक विचित्र देश है और हमारे इलाकों को देखते हुए एक नई दुनिया है। इसके पहाड़, दरिया, जंगल और रेगिस्तान, इसके कस्बे, इसके खेत, इसके जानवर और पौधे, इसके लोग और भाषाएँ, इसकी वर्षा और हवाएँ सबकी सब भिन्न हैं। यहाँ की खुशगवार बात यह है कि यह एक बड़ा देश है और यहाँ सोने-चाँदी का ढेर हैं।”

Q1 : हुमायूं की मृत्यु कब हुई?

Ans : हुमायूं की मृत्यु सन 1556 में हुई।

Q2 : हुमायूं की मृत्यु कैसे हुई?

Ans : वह शेर-ए-मंडल पुस्तकालय की सीढ़ियों से उतर रहा था, तभी लड़खड़ा कर गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई।

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