Telegram Group (100K+) Join Now

जल में घुलनशील विटामिन तथा उनके कार्य

जल में घुलनशील विटामिन तथा उनके कार्य के बारे में जानकारी। आप जानकर चकित होंगे कि बिना विटामिन्स के हमारा शरीर स्वस्थ नहीं रह सकता मगर ये विटामिन्स अपने आप में न तो कोई आहार हैं, न ऊष्मा का साधन, न ही ऊर्जा का स्रोत। और तो और ये शरीर में कोई निर्माण कार्य भी नहीं किया करते।

जल में घुलनशील विटामिन

जल में घुलनशील विटामिन

यह भी पढ़े – भोजन से प्राप्त में प्रोटीन के कार्य और प्रोटीन के मुख्य स्रोत के बारे में जाने

जल में घुलनशील विटामिन

  • सच्ची बात तो यह है कि विटामिन्स पूरक हैं। भोजन नहीं। ये भोजन को पचाने तथा इनसे आवश्यक तत्व प्राप्त करने में पूरी सहायता करते हैं। इसी से भोजन की सक्रियता तथा कार्यक्षमता बढ़ती है।
  • हमारे भोजन के हर खाद्य-पदार्थ में कोई न कोई विटामिन ज़रूर रहता हैं। किसी में कम तो किसी में ज्यादा।
  • पढ़ने को मिलता है कि विटामिन एक ऐसा सशक्त मिश्रण है जो प्राकृतिक खाद्य-पदार्थों में बहुत ही थोड़ा होता है, किन्तु शरीर के लिए अनिवार्य ।
  • जल में घुलनशील विटामिन्स में बी-काम्पलेक्स आता है। इसे ही बी-1, बी-2, बी-6 तथा बी-12 आदि के रूप में जाना जाता है।
  • ध्यान रहे कि हमारे शरीर पर इस विटामिन समूह का प्रभाव सबसे ज़्यादा होता है। इनकी कमी से भयानक रोग भी हो जाते हैं।
  • विटामिन्स की कमी हमारे मस्तिष्क व शरीर पर सीधा प्रभाव डालती है।

विटामिन बी-1

इसे थायामिन भी कहते हैं। इसकी कमी से पाचन क्रिया खराब हो जाती है। मांसपेशियां ढीली रहने लगती हैं। व्यक्ति का वज़न घटने लगता है। नींद ठीक प्रकार से नहीं आती। बेरी-बेरी रोग हो सकता है। याददाश्त कमज़ोर हो जाती है। यह हमें गाजर, चावल, जौ, बाजरा, मक्का, सेम, मछली, अण्डा, टमाटर, पालक, मेथी, गोभी, दूध आदि से प्राप्त हो जाता है।

विटामिन बी-3

इसकी कमी से पाचन शक्ति कमजोर, कब्ज़ होना, घबराहट रहना, तथा डायरिया का रोग हो सकते हैं। इसकी उपस्थिति खून में थक्के नहीं जमने देती। हृदय रोग होने का भय नहीं होता। यह हमें अनाजों, दूध, मांस, फलों, सब्ज़ियों से मिलता है। इसे निकोटिन एसिड भी कहते हैं।

विटामिन बी-6

इसकी कमी से मन्दाग्नि होना, त्वचा के रोग उभरना, मुंह पकना, छाले हो जाना तथा आंखों की रोशनी चले जाना भी हो सकता है। इसके भोजन में होने से रक्त में लाल कण बढ़ते हैं। मस्तिष्क सशक्त होता है। मासिक धर्म की अनियमितता नहीं रहती। यह प्रोटीन का समुचित उपयोग कराता है। इसे हम चोकर, गेहूं, दूध, केला, सीरा, जिगर, अण्डा, मछली आदि से प्राप्त कर सकते हैं। इसका रासायनिक नाम ‘पाइरी डॉक्सिन’ है। पुट्ठों को शक्ति देता है।

विटामिन बी-12

इसकी कमी होने पर धमनियों का सख्त होना, रक्त में विकार आना, आमाशय का ठीक काम न करना, शारीरिक तथा मानसिक थकावट बढ़ना आदि देखने को मिलता है। इसकी उपस्थिति वसा, प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट्स को पचाती है। यह हमें दूध, दूध से बने पदार्थों, मछली, अंडा, मांस आदि से प्राप्त होता है।

जल में घुलनशील विटामिन्स में बी-2, नायसिन तथा विटामिन सी भी आते हैं। विटामिन सी के मुख्य स्रोत खट्टे फल, आलू, पपीता, हरी मिर्च आदि हैं।

यह भी पढ़े – शरीर में वसा के कार्य और वसा के मुख्य स्रोत के बारे में जाने

अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

Subscribe with Google News:

Telegram Group (100K+) Join Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *