जमानत का मतलब क्या होता है? अपराध कितने प्रकार के होते है?

भारत में यदि किसी व्यक्ति ने अपराध किया है तो उसे जमानत का मतलब क्या होता है (Jamanat Ka Matlab Kya Hota Hai) जानना चाहिए, किसी भी व्यक्ति के द्वारा किसी भी दूसरे व्यक्ति या किसी वस्तु के लिए मुंहजवानी या फिर रुपए देकर जमानत ली जाती है या फिर हम साधारण शब्दों में कहें तो एक ऐसी रकम जो किसी व्यक्ति अपराध एक व्यक्ति के लिए जमानत के रूप में किसी अधिकारी या व्यक्ति के पास जमा कर दी जाती है उसे जमानत कहते हैं।

जमानत का मतलब क्या होता है

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क्या होता है जमानत का मतलब

जमानत शब्द अरबी से लिया गया है कभी-कभी अनजाने में किसी भी व्यक्ति से कभी भी कोई अपराध हो सकता है या फिर किसी भी व्यक्ति को रंजिश के तहत झूठे केस में फसाकर उस व्यक्ति को अपराधी बना देते हैं और पुलिस उस व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर लेती हैं।

हमारे संविधान में एक कानून बनाया गया है जिसमें उस व्यक्ति को जमानत लेने का अधिकार दिया गया है जमानत लेते समय हमें एक बात का ध्यान रखना है की अपराध दो तरह के होते हैं।

  1. जमानती अपराध
  2. गैर जमानती अपराध

जमानती अपराध

भारतीय संविधान के दंड संहिता (CRPC) सीआरपीसी मैं इन सब के लिए एक पूरी सूची बनाई गई है में वह मामले आते हैं जिनमें किसी भी अपराधी को 3 साल या फिर उससे कम की सजा हो सकती है कुछ अपराध ऐसे हैं जिन मामलों में थाने से ही आपको जमानत आसानी से मिल जाती है जैसे कि (CRPC) सीआरपीसी की धारा 169 के तहत इस धारा के अनुसार आपको थाने से ही जमानत मिल सकती है।

कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनमें आप को जमानत कोर्ट में मिल जाते हैं जैसे कि (CRPC) सीआरपीसी की धारा 436 के अनुसार आपको कोर्ट के द्वारा जमानत दे दी जाती है। ऐसे अपराध जिनमें आपको आसानी से जमानत मिल सकती है वह इस प्रकार हैं मारपीट, धमकी देना, लापरवाही से हुई मौत, लापरवाही से गाड़ी चलाना इन सब मामलों में आपको आसानी से जमानत मिल सकती है।

गैर जमानती अपराध

इसके अनुसार जब कोई व्यक्ति संगीन जुर्म करता है तो उसके मामले मजिस्ट्रेट के सामने लाए जाते हैं और मजिस्ट्रेट बड़ी संगीता से उस मामले की जांच करता है यदि उसको ऐसा लगता है कि इस मामले मैं उस व्यक्ति को फांसी या फिर उम्र कैद हो सकती है तो उस व्यक्ति को जमानत नहीं दी जाती है।

गैर जमानती अपराध इस प्रकार हैं :- रेप, अपरहण, लूट, डकैती, हत्या, हत्या की साजिश, हत्या की कोशिश, गैर इरादतन हत्या, फिरौती जैसे मामले आते हैं। ऐसे केसों में जमानत मिलने की संभावना बहुत कम होती है यदि आपका केस स्पेशल कोर्ट में चल रहा है तब आप उसमें अपने बिल के लिए अर्जी लगा सकते हैं।

और स्पेशल कोर्ट उसको स्वीकार भी कर सकता है यदि स्पेशल कोर्ट को लगता है कि उस व्यक्ति को उम्र कैद या फांसी की सजा हो सकती है तब उस केस में सीआरपीसी की धारा 437 के अपवाद का सहारा लेकर जमानत की अर्जी लगा सकते हैं और और अपराध में कई बार जमानत मिल सकती है। आपको बता दें कि इस तरह की याचिका सिर्फ महिला या शारीरिक या मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति अर्जी लगा सकता है और इस केस पर बेल या जमानत देना कोर्ट के ऊपर निर्भर करता है।

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