जनसंख्या वृद्धि पर निबंध: रात्रि का अन्धकार करोड़ों तारों से नहीं एक चन्द्रमा से दूर होता है। सौ मूर्ख पुत्रों से एक गुणवान् पुत्र श्रेष्ठ होता है। किसी देश अथवा परिवार में जनसंख्या का अत्यधिक बढ़ जाना दुःखदाई होता है। अधिक सन्तान वाला परिवार दुःख उठाता है, उसी प्रकार असीमित जनसंख्या देश के विकास में बाधक होती है।
जनसंख्या वृद्धि पर निबंध

जनसंख्या विस्फोट
आजकल विश्व के अधिकांश देश जनसंख्या विस्फोट की समस्या से ग्रस्त हैं। एशियाई देश इससे कुछ अधिक ही पीड़ित हैं। हमारा देश भारत भी उनमें से एक है। विस्फोट किसी वस्तु के अधिक दबाव के कारण तेजी से भीषण आवाज के साथ फटने को कहते हैं।
विस्फोट से भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है किन्तु यह ऊर्जा निर्माण नहीं विनाश ही करती है। जब जनसंख्या अनियंत्रित दर से बढ़ती जाती है और देश में अनेक समस्याओं को जन्म देती है। तो उसको जनसंख्या विस्फोट कहते हैं।
प्रत्येक देश के साधन सीमित होते हैं। यदि उस देश के निवासियों की संख्या इस स्तर तक बढ़ जाये कि वे साधन उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में अपर्याप्त हों तो इसको जनसंख्या विस्फोट कहते हैं।
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जनसंख्या वृद्धि के कारण
जनसंख्या वृद्धि आज के विश्व की प्रमुख समस्या है। यह धीरे-धीरे भीषण रूप लेती जा रही है। जनसंख्या की इस वृद्धि के अनेक कारण हैं। वैज्ञानिकों ने इस शताब्दी में अनेक भीषण महामारियों पर नियंत्रण कर लिया है। प्राचीन काल में इनके कारण विशाल संख्या में लोग मृत्यु के ग्रास बन जाते थे।
अब इन बीमारियों का इलाज तथा रोकथाम के उपाय कर लिए गये हैं। बाल मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा चुका है। देश की औसत आयु में वृद्धि हुई है। महिलाओं की औसत आयु बढ़ने का प्रभाव उनके प्रजनन काल पर पड़ा है। अब वे अधिक संतान पैदा कर सकती हैं। इस तरह स्वास्थ्य की बेहतर सुविधायें जनसंख्या वृद्धि का कारण हैं।
मनुष्य स्वयं इसको नियन्त्रित करता है। विज्ञान ने प्रकृति के नियंत्रण को पहले ही नियंत्रित कर लिया है। मनुष्य स्वयं कुछ महत्वपूर्ण कारणों से जनसंख्या को बढ़ने से रोक नहीं पा रहा है। भारत जैसे अल्पशिक्षित देशों में अन्धविश्वास भी इस वृद्धि को प्रभावित करते हैं।
संतान को ईश्वर की देन माना जाता है। परिवार नियोजन के कृत्रिम साधनों का प्रयोग पाप समझा जाता है। निर्धन परिवारों में छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय काम पर लगा दिया जाता है और वे एक-दो रुपया प्रतिदिन कमाकर परिवार की मदद करते हैं। इस प्रकार के अन्य अनेक कारण जनसंख्या वृद्धि के लिए उत्तरदायी हैं।
जनसंख्या वृद्धि की समस्यायें
बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण हमारे देश तथा विश्व के समक्ष अनेक कठिन समस्यायें उत्पन्न हो गई हैं। तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए भोजन जुटाना कठिन होता जा रहा है। कृषि में अन्न का उत्पादन उस तीव्र गति से नहीं बढ़ता जिससे मनुष्यों की संख्या बढ़ती है।
इसके साथ ही पहनने को वस्त्र, रहने को स्वच्छ हवादार मकान, चिकित्सा सुविधायें, शिक्षा की व्यवस्था आदि की समस्यायें भी उत्पन्न होती हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या के अनुपात में इनको जुटाने के लिए सरकार के पास धन ही नहीं होता।
प्रतिदिन विशाल संख्या में जनसंख्या में जुड़ने वाले हाथों के लिए काम तलाश करना भी कठिन होता है, फलतः बेकारी बढ़ती है और निर्धनता को बढ़ावा देती है। बेकारी के कारण युवकों में हीनता उत्पन्न होती है। उनमें अपराध-भावना को प्रोत्साहन मिलता है। इस तरह जनसंख्या बढ़ने से अनेक समस्यायें उत्पन्न होती हैं।
समाधान
जनसंख्या को बढ़ने से रोकने का एक समाधान मनुष्य के अपने हाथ में है। संयम का उपदेश तो हर धर्म में दिया गया है किन्तु यह पर्याप्त नहीं है। दूसरा समाधान है जनसंख्या को बढ़ने से रोकने वाले कृत्रिम उपाय। विज्ञान ने ऐसे अनेक उपकरण तथा दवायें विकसित की हैं, जो परिवार को नियंत्रित रखने में सहायक हैं।
इनकी सहायता ली जा सकती है। किन्तु कुछ लोग इसको धर्म विरुद्ध कहकर उनका विरोध करते हैं। प्रत्येक धर्म के ठेकेदार को अपने अनुयायियों की संख्या कम होने का भय लगता है। वे इन साधनों को अधर्म कहकर लोगों को निरुत्साहित करते हैं। उनका धार्मिक शासन अशिक्षित, दीन, दुर्बल तथा निर्धन लोगों पर ही अधिक चलता है।
प्रजातंत्र में संख्या
बल महत्वपूर्ण होता है अतः प्रत्येक धर्म, जाति, वर्ग के लोग अपनी संख्या बढ़ाना चाहते हैं। जाति के नाम पर आरक्षण भी जनसंख्या को बढ़ाता है। आरक्षण के जातिगत विचार तथा जनसंख्या नियंत्रण की सरकारी नीतियों में अन्तर्विरोध है। आरक्षण को जाति के आधार पर बन्द कर दिया जाना चाहिए।
उपसंहार
भारत में प्रतिवर्ष एक आस्ट्रेलिया देश जितनी जनसंख्या पैदा होती है। इससे इसके संसाधनों पर भीषण दबाव बढ़ता जा रहा है। इसको नियंत्रित करना आवश्यक है। सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए अब तक प्रोत्साहन और पुरस्कार की नीति पर चलती रही है। यह नीति असफल हो चुकी है। अब हतोत्साहन तथा दण्ड की नीति को अपनाने की आवश्यकता है।