श्वसन-प्रणाली के रोगों में यहाँ सामान्य जुकाम क्यों होता है (Catarrh-Cold) की चर्चा की जा रही है। चिकित्सा-विज्ञान में इसको कई नामों (Jukam Kyun Hota Hai) से जाना जाता है। यह एक अल्पकालिक रोग है जो एक मामूली से सामान्य शारीरिक गड़बड़ी के रूप में पनपता है। जब असावधानी एवं लापरवाही के कारण लम्बे समय तक खिंच जाता है तो फ्लू एवं इन्फ्लूऐंजा रोग में परिवर्तित हो जाता है। यह रोग संसर्गजनित (इन्फेक्शियस) रोग है।
जुकाम क्यों होता है (Catarrh-Cold)

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अधिकांशतः इस रोग के शिकार वे ही लोग होते हैं जिनके शरीर में रोग प्रतिरोधक जीवनी शक्ति कम होती है। सर्दी की चपेट (जुकाम क्यों होता है) में आ जाने पर जुकाम का प्रकोप एवं प्रभाव पड़ता है। जिनका शरीर स्वस्थ होता है, उनके शरीर से संचित हुए विषाक्त तत्व बाहर निकलते रहते हैं अतः वे इस रोग की चपेट में नहीं आते।
जुकाम का कारण
ज्यादा ठंडा पानी या कोल्ड ड्रिंक्स जब गर्मी में चलकर आने पर पी लेने से सर्दी जुकाम एवं खाँसी उत्पन्न हो जाती है। गरिष्ठ आहार, अम्ल प्रधान पदार्थ अधिक चाय-कॉफी एवं धूम्रपान का सेवन तथा लगातार कब्ज बने रहने से मल तरल होकर नाक के रास्ते से मुँह से कफ के रूप में बाहर निकलता है।
सर्दियों में अधिक गर्म पानी से नहाना, गर्म कपड़े लादे रहना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। क्योंकि, इसके कारण त्वचा कमजोर पड़ जाती है और उसमें सर्दी-गर्मी सहन करने की क्षमता क्षीण हो जाती है तथा जुकाम आदि विकार धर दबोचते हैं। अधिकतर आलस्य अथवा अन्य कारणों से लोग व्यायाम नहीं करते जिसके कारण रक्त संचार सुचारु रूप से न हो पाने के कारण मल शरीर में एकत्रित हो जाता है जो सर्दी-जुकाम का कारण बन जाता है।
जुकाम के लक्षण
- प्रारम्भ में नाक एवं गले में उत्तेजना या खराश होने से छींकें आती हैं। तथा खाँसी भी आ सकती है।
- सिर में भारीपन, आँखों में टीस तथा नाक से पानी बहना शुरू हो जाता है।
- त्वचा गरम एवं सूखी होना, प्यास अधिक लगना, भूख न लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।
- पेशाब का रंग गहरा हो जाता है तथा कम मात्रा में होती है। कब्ज भी हो जाता है।
- जुकाम का प्रकोप अधिक हो जाने पर पीठ एवं शरीर में दर्द होने लगता है। नाक की झिल्ली में सूजन आ जाने के कारण श्वास लेने में परेशानी होने लगती है जिसके कारण रोगी को मुँह से श्वास लेनो पड़ती है।
- नेत्रों की अश्रु ग्रन्थियों (लोक्रिमल ग्लैंड्स) में सूजन आ जाती है जिसके कारण आँसू का प्रवाह चालू हो जाता है तथा आँखों में लालिमा आ जाती है।
- मुँह का स्वाद बिगड़ जाता है। खाने की इच्छा नहीं होती है।
- गले में खराश के कारण आवाज भी बैठ जाती है तथा बोलने में कष्ट होता है।
अक्सर जब सूजन का दायरा बढ़ जाता है तब कान भी प्रभावित हो जाते हैं। फलस्वरूप कभी-कभी सुनाई भी कम देता है।
गंभीर जुकाम के प्रकार एवं दुष्प्रभाव
आवश्यक परहेज एवं उपचार करने से जुकाम ठीक हो जाता है, परन्तु रोगी की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाने से जुकाम की जटिलता बढ़ जाती है जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। जुकाम की सामान्य जटिलताएँ निम्नलिखित हैं-
- अनुषंगी विषाणु संक्रमण (सेकंडरी वेक्टिरियल इन्फेक्शन) – इसके अन्तर्गत स्राव गाढ़े एवं पीवदार होते हैं।
- साईनोसाइटिस – शिरानली (साइनस) में सूजन एवं अवरोध उत्पन्न हो जाने के कारण पीला पीवदार श्लेष्मा का विसर्जन होता है।
- मध्यकर्ण संदूषण (मिडिल इअर इन्फेक्शन) – जब संक्रमण नासिका से कानों में पहुँच जाता है तो बुखार, बहरापन, कानों में दर्द आदि लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।
- निम्न श्वासनली का संदूषण (लोअर रेस्पाइरेटरी ट्रैक इन्फेक्शन) – श्वास नली में सूजन, शोथ (स्वेलिंग) न्यूमोनिया तथा फेफड़ों के अन्य रोग उत्पन्न हो सकते हैं ।
जुकाम में सुझाव
- गुनगुने पानी में 10-15 मिनट तक पैर रखें। घुटनों को तौलिया अथवा कम्बल से ढँक लें। इसे रात में करें।
- जुकाम, खाँसी में दूध, दही, घी आदि चिकनी चीजों कर सेवन बिल्कुल न करें, ठंडा पानी एवं कोल्ड ड्रिंक से दूर ही रहें।
- जुकाम, खाँसी में उपवास करना लाभदायक होता है। कम से कम तीन दिन तक तो उपवास ही करें। कई बार ताजा पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पीते रहें। मीठे व रसीले फल खायें।
- दवाई लेकर अन्दर के मल को बाहर निकलने से न रोकें। प्रतिदिन एनिमा लें।
- खाना खाते समय श्वास नली में यदि कुछ चला जाये और दम घोंटू खाँसी आने लगे तो नाक के नथुनों को दाब लें।
- अदरक, कालीमिर्च तथा दालचीनी का काढ़ा बनाकर पी लें और विश्राम करें।
- बाहर की ओर मुड़े हुए किनारे वाली कटोरी में गुनगुने पानी में थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर पी लें। इससे कफ बाहर निकल जायेगा एवं कपाल की शुद्धि होगी।
- अदरक का रस 10 ग्राम गर्म करके तथा 10 ग्राम शहद नित्य प्रतिदिन सेवन करें। दमे की खाँसी में अच्छा-खासा लाभ मिलेगा।
- नाक के अवरोध की अवस्था में गरम-नमकीन जल से गरारे करने से लाभ होगा।
- आहार में तरल आहार, खिचड़ी सुपाच्य भोजन एवं फल लें लेकिन शीत एवं कफ वर्धक फलों का सेवन न करें। गाजर के रस का सेवन लाभकारी होगा।
एलोपैथी उपचार एवं उसका प्रभाव
- जुकाम, ऐलोपैथिक चिकित्सक एण्टीबायोटिक, एंटासिड, एंटिएलर्जिक तथा विटामिन का सेवन कराते हैं।
- जुकाम के साथ यदि बुखार भी है तो एंटिपायरेटिक दिया जाता है।
- बदन दर्द की स्थिति में एनाल्जेसिक दिया जाता है इसके साथ विटामिन सी भी दिया जाता है।
- इन सबसे जुकाम को नियंत्रित तो किया जा सकता है पर पूर्ण स्वास्थ्य लाभ पाना कठिन है इससे शरीर में दुष्प्रभाव भी बढ़ जाते हैं।
- यौगिक उपचार से जुकाम को न केवल निराकरण लाभ प्राप्त किया जा सकता है बल्कि इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है।
जुकाम के लिए योग
यह उपचार विधि बिल्कुल निरापद है। इसका प्रयोग सभी आयु वर्ग के छोटे-बड़े कर सकते हैं ।
प्राणायाम
प्राणायाम जुकाम को ठीक करने में अत्यन्त लाभप्रद है क्योंकि इसके द्वारा अत्यधिक प्राण उपलब्ध होते हैं जो रोग को ठीक करते हैं।
- भस्त्रिका प्राणायाम
- कीशोधन प्राणायाम |
इनका नियमित अभ्यास आश्चर्यजनक लाभ प्रदान करता है।
आसन
- सूर्य नमस्कार- इस रोग का सर्वोत्तम उपाय है।
- शशांक भुजंगासन इसका आमाशय, पेट, लीवर आदि पर प्रभाव पड़ता है जो रोग सही करने में सहायक होते हैं।
- पश्चिमोत्तानासन
- कोणासन
- सुप्त वज्रासन
- शलभासन
- मत्स्यासन
- धनुरासन
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