काली खांसी बीमारी क्या है: काली खांसी को कुकर खांसी (Whooping Cough or Pertussis) के नाम से भी जाना जाता है। काली खांसी (Kali Khansi Bimari Kya Hai) बोर्डटेला परट्यूसिस नामक जीवाणु के संक्रमण द्वारा उत्पन्न रोग है जो बिंदुक संक्रमण (Droplet infection) द्वारा फैलता है।
काली खांसी बीमारी क्या है

काली खांसी बीमारी कैसे फैलती है (Incubation Period)
यह बीमारी लगभग 7-14 दिन में उत्पन्न होती है। छोटे शिशु विशेष रूप से प्रभावित होते हैं। इसमें एक विशेष प्रकार की खांसी (काली खांसी बीमारी क्या है) के दौरे पड़ते हैं जिनमें अंत में एक विचित्र प्रकार की कर्कश ध्वनि या कूकर ध्वनि (Whoop) सुनाई देती है। कभी-कभी इसमें उल्टी भी हो जाती है।
काली खांसी बीमारी अवस्थाये
काली खांसी रोग की 3 अवस्थाओं में विकसित होता है –
- सावावस्था (Catarrhal stage) जिसमें निम्न लक्षण एवं चिन्ह उपस्थित होते हैं
- खांसी एवं ज्वर
- सर्दी (Coryza)
- कुकर ध्वनियुक्त खांसी (Cough with whoop)
- नासासाव (Nasal secretion)
2. प्रवेगी अवस्था (Paroxysmal phase)
- विस्फोटक खांसी के दौरे (Paroxysmal sxplosive cuugh)
- अन्तः श्वसन के समय कुकर ध्वनि एवं खों खों की आवाज़
- अश्वसन (Apnoeic) या देहनीलता (Cyanosis) के दौरे
- वमन
- खांसी के पश्चात् पसीना आना
- नेत्र श्लेष्मला के भीतर रक्तस्राव (Subconjunctival haemorrhage) एवं पलकों की सूजन (Puffiness of the eyelids)
3. रोगमुक्ति की अवस्था (Convalescent phase) जिसमें निम्न विशेषताएँ
- खांसी के दौरे संख्या एवं तीव्रता में निरन्तर घटते जाते हैं
- भूख खुलने लगती है
- सामान्य स्थिति में सुधार दिखाई पड़ने लगता है
- 2-4 सप्ताह तक यह अवस्था चलती है
काली खांसी से निदान
स्वरयंत्र से लिये गये स्वैब के फ्लोरेसेन्ट एन्टिबॉडी स्टेनिंग द्वारा निश्चयात्मक निदान किया जाता है
काली खांसी की जटिलताएं (Complications)
- वातिल वक्ष (Pneumothorax)
- फुप्फुसपात (Bronchiectasis)
- आक्षेप (Convulsions)
- हर्निआ (वर्म) (Hernia)
- मलाशय का स्थानभ्रंश (Prolapse of rectum)
- एन्सेफेलाइटिस (Encephalitis)
- अन्तः कपातीय रक्तसाद (Intracranial haemorrhage)
काली खांसी मरीज की देखभाल
- ज्वर समाप्त होने तक पूर्ण विश्राम
- शामक कफरोधी एवं ऐंठनरोधी औषधियां
- संक्रमण के उपचारार्थ एन्टिबायोटिक औषधियां
- बच्चे का विसम्पर्कन
- फीनोबारबिटोन के समान हल्की शामक पा तन्द्राकारी औषधियों का उपयोग
- बच्चे का ठंड एवं तेज हवाओं से बचाव एवं उसे गर्मी प्रदान करना
- छोटे-छोटे आहार बार-बार (उल्टी के कारण)
- बलगम को पतला करने के लिए पर्याप्त मात्रा में गरम तरल पेय पीने को दिया जाना चाहिए
- आक्षेप (Convulsion) के दौरान बच्चे का सिर नीचे की ओर (Head low) झुका कर रखना एवं यह ध्यान रखना कि उसकी जीभ आदि चोटग्रस्त न हो जाए अत्यंत आवश्यक है.
- नासा छिद्रों (nostris) को सावमुक्त (Exudate free) रखना
नियंत्रण एवं रोग निरोधक उपाय
- DPT टीके द्वारा सक्रिय टीकाकरण
- गामाग्लोब्यूलिन निष्क्रिय टीकाकरण (Passive immunization)
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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।