Karwa Chauth 2023: करवा चौथ का महत्व? करवा चौथ का व्रत क्यों रखा जाता है?

Karwa Chauth 2023: करवा चौथ का महत्व, करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत बड़े श्रद्धा भाव से रखती हैं अखंड सौभाग्यवती के लिए सुहागिन महिलाएं इस दिन चंद्रमा की पूजा करके अपने पति के सामने इस व्रत को तोड़ती हैं करवा चौथ व्रत मैं भगवान शिव की माता पार्वती की श्री गणेश जी और भगवान कार्तिकेय जी की पूजा अर्चना की जाती है क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ व्रत की शुरुआत कब से हुई।

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ का महत्व
Karva Chauth Ka Mahatva

2023 में करवा चौथ कब है

शुभ मुहूर्तसमय
1 नवंबर 2023प्रारंभ रात 1 बजकर 59 मिनट
2 नवंबर 2023सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक

इस वर्ष 2023 में करवा चौथ के व्रत का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर 2023 भारत में रात 1 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा और 2 नवंबर 2023 को व्रत का समापन सुबह सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक होगा।

करवा चौथ व्रत की कथा

करवा चौथ व्रत कार्तिक मास की चतुर्थी के दिन महिलाएं इस व्रत को रखती हैं। इस व्रत को कार्तिक मास की चतुर्थी में रखने की वजह से इसे करवा चौथ का नाम दिया। इस व्रत को रखने की शुरुआत कहां से हुई इसकी एक पौराणिक कथा भी है।

इस कथा के अनुसार इसमें यह बताया गया है एक द्विज नामक ब्राह्मण थे। उनके 7 पुत्र व एक कन्या वीरावती थी। ऐसा बताया गया है कि वीरावती अपने मायके मैं पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा था। यह व्रत निर्जला होने की वजह से वीरावती बहुत परेशान हो गई।

उनको भूख प्यास लगने लगी उनके भाई ने उनकी पीड़ा देखकर उनसे रहा नहीं गया तब उन्होंने गांव के बाहर एक वट वृक्ष पर लालटेन जला दी और उन्होंने अपनी बहन को बताया कि चंद्रमा निकल आया है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत को तोड़े। जैसे ही वीरावती ने अर्घ्य देकर भोजन करने के लिए बैठी।

जैसे ही उन्होंने पहला निवाला मुंह में लिया उस पहले निवाले में उनके मुंह में बाल निकला। जैसे ही उन्होंने अपने मुंह में दूसरा निवाला रखा तब उन्हें छींक आ गई और जैसे ही उन्होंने तीसरा निवाला अपने मुंह में रखा तब वैसे ही ससुराल पक्ष से उनको बुलावा आ गया।

वीरावती अपने ससुराल जैसे ही पहुंची उन्हें अपने पति की मृत्यु की खबर मिली अपने मृत पति को देखकर वीरावती रोने लगी यह देखकर इंद्राणी उनके पास आए और उनको 12 माह की चौथ व करवा चौथ का व्रत करने के लिए कहा।

वीरावती ने पूरी श्रद्धा-भक्ति से करवा चौथ का व्रत रखा। करवा चौथ को पूरी भक्ति भाव से करने की वजह से उनको फल के रूप में उनके पति के प्राण वापस मिल गए। यही वजह है की पुरातन काल से ही सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती आ रही है।

करवा चौथ वृत्त का इतिहास

पुराणों के अनुसार जब देवताओं और दानवों में युद्ध छिड़ गया और दानव देवताओं पर भारी पड़ने लगे तब यह देख कर उनकी पत्नियां विचलित हो गई यह देखकर उन्होंने ब्रह्मा जी के सम्मुख सारी दास्तां सुनाई। ब्रह्मा जी ने उनकी यह दास्तां सुनकर उनको इस संकट से उबारने के लिए करवा चौथ का व्रत पूरी श्रद्धा-भक्ति से करने को कहा।

यदि आप इस व्रत को पूरी भक्ति और श्रद्धा से करती हैं तो देवताओं की जीत निश्चित होगी। ब्रह्मा देव के इन वचनों को सुनकर देवताओं की पत्नियों ने ब्रह्मा जी से इस व्रत को करने की इच्छा जताई और देवियों ने इस व्रत को बड़ी श्रद्धा-भक्ति से स्वीकार किया और रखा।

ब्रह्मा देव के कहने के अनुसार उन्होंने कातिक मास की चतुर्थी के दिन इस व्रत को रखा और अपने पति की लंबी आयु की कामना की। देवताओं की पत्नियों के द्वारा रखे गए इस व्रत को भगवान ने स्वीकार किया और इस युद्ध में देवताओं की जीत हुई।

देवताओं की जीत की खबर सुनते ही उनकी पत्नियों ने अपना करवा चौथ का व्रत खोला और खाना खाया। जब उन्होंने अपना व्रत खोला तब आसमान में भी चंद्रमा निकल आया था ऐसा माना जाता है तभी से करवा चौथ व्रत की परंपरा की शुरुआत हुई।

करवा चौथ में मेहंदी का महत्व

मेहंदी को सुहागिनों के सौभाग्य की निशानी माना जाता है। भारतवर्ष में ऐसा माना जाता है कि यदि लड़की के हाथ में मेहंदी कितनी गहरी रचेगी उसे अपने पति व ससुराल पक्ष से अधिक प्रेम मिलेगा। और कुछ लोग यह भी मानते हैं कि यदि मेहंदी गहरी रचती है तो उसके पति की आयु उतनी ही लंबी और स्वास्थ्य उतना ही अच्छा होता है। करवा चौथ के दिन महिलाएं अपने हाथ में मेहंदी लगाते हैं।

करवा चौथ में करवा का पूजन

करवा चौथ के दिन धातु के करवा का पूजन श्रेष्ठ माना जाता है। यदि आपके पास धातु का करवा उपलब्ध नहीं है तो आप मिट्टी के करवा की पूजा का भी विधान है।

करवा चौथ में पूजा के लिए मंत्र

मंत्रभगवान के नाम
ॐ शिवायै नमःमाता पार्वती जी
ॐ नमः शिवायभगवान शिव जी
ॐ षण्मुखाय नमःस्वामी कार्तिकेय जी
ॐ गणेशाय नमः भगवान गणेश जी
ॐ सोमाय नमःचंद्रमा का पूजन करें

इन मंत्रों से करवा चौथ में भगवान का पूजन करें और इस व्रत में करवा चौथ व्रत की कथा है पढ़ने का आवाज सुनने का विधान है।

करवा चौथ में चंद्रमा को अर्घ्य

करवा चौथ के दिन जब चंद्रमा आकाश में दिखाई दे जाता है तब सभी विवाहित महिलाएं जिन्होंने करवा चौथ का व्रत रखा है वह चंद्रमा को देखती हैं और चंद्रमा को देखते-देखते अपने सारी रस्में पूरी करती है।

पूजा करते-करते वह मन में अपने पति की लंबी उम्र और हर मोड़ पर अपने पति का साथ देने के लिए वचन लेती है। करवा चौथ के दिन भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश भगवान और कार्तिकेय जी की पूजा करने का भी विधान है ऐसा माना जाता है कि इन सभी की पूजा करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद के रूप में जीवन में हमें सुख प्रदान करती हैं।

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