कश्मीर पर निबंध? कश्मीर की सैर पर निबंध?

कश्मीर पर निबंध (Kashmir Par Nibandh), सैर का अपना अनूठा आनन्द है। यदि सैर रमणीक प्रदेश की हो, तो फिर कहना ही क्या। हम चार मित्रों ने ग्रीष्मावकाश में किसी ठण्डे स्थान की सैर करने का विचार किया। हमने पढ़ा था-“कश्मीर पृथ्वी का स्वर्ग है।” हमने कश्मीर की सैर करने का ही निश्चय कर लिया। हमने इस प्रस्ताव को अपने-अपने माता-पिता के सामने रखा। उन्होंने सहर्ष स्वीकृति देते हुए हमें खर्च के लिए आवश्यक धनराशि भी दे दी।

कश्मीर पर निबंध

कश्मीर-पर-निबंध

यात्रा का आरम्भ

हमने कश्मीर भ्रमण के योग्य आवश्यक सामग्री एकत्रित की, फिर जम्मू के लिए अपना रिजर्वेशन कराया। ट्रेन में हमें किसी भी प्रकार असुविधा नहीं हुई। जन्मू से हमने बस द्वारा श्रीनगर के लिए प्रस्थान कियर। नागिन सी बल खाती हुई सड़कों से होते हुए बस कश्मीर में प्रवेश करने लगी।

बर्फ से ढकी हुई पहाड़ों की चोटियों पर जब सूर्य की किरणें पड़ती थीं, तब ऐसा प्रतीत होता था, मानो चाँदी के पहाड़ों पर प्रकृति सोना बिखेर रही हो। झरते हुए झरने ऐसे प्रतीत होते थे, मानो चाँदी पिघलकर गिर रही हो। आकाश में उड़ते हुए बादलों और सतरंगी इन्द्रधनुष की शोभा को देखकर मन-मयूर नाचने लगता था।

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मार्ग के दृश्य

मार्ग में हमने चश्मा ‘वेरीनाम’ देखा। इसके बाद एशिया की सबसे बड़ी गुफा ‘बनिहाल सुरंग’ भी देखी। कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के आने की सूचना सड़क के दोनों ओर खड़े प्रकृति के पहरेदार देवदार के वृक्ष दे रहे थे। झेलम नदी श्रीनगर को दो भागों में बाँटती हुई इठलाती हुई-सी बह रही थी। नगर के दोनों भागों को मिलाने के लिए सात पुल बनाये गये हैं।

ठहरने का प्रबन्ध

हम लोगों ने होटल में न ठहरकर ‘हाउस बोट’ में ठहरने का निश्चय किया। झेलम नदी में चलते-फिरते इन मकानों में सब प्रकार की सुविधा उपलब्ध थी।

श्रीनगर की सैर

हमने एक शिकारा किराये पर लिया। हमें एक गाइड भी मिल गया। अब हम सैर करने के लिए निकले। सबसे पहले हम बूलर झील देखने के लिए गये। यह यहाँ की झीलों में सबसे बड़ी झील है। फिर हमने गंगरवल झील को देखा। इसे लोग गंगा का उद्गम स्थल मानते हैं।

‘डल झील’ अत्यन्त चित्ताकर्षक है। इस झील के किनारे पर हरी पर्वत, जगद्गुरु शंकराचार्य का मन्दिर, शालीमार बाग, निशात बाग, चश्मा शाही और नेहरू पार्क हैं। झील में हजारों कमल, तैरने वाले बाग, सजे-सजाये शिकारे और शिकारों को चलाने वाले माझियों के गीत इसकी शोभा में चार चाँद लगा देते हैं।

खेती की चोरी

कश्मीर में केसर की खेती होती है। बहुत से पट्टे एक जगह बाँधकर नदी के किनारे से बाँध दिये जाते हैं। इन्हीं पट्टों पर केसर की खेती होती है। चोर इन पट्टों को खोलकर चुरा ले जाते हैं।

परिश्रमशीलता

कश्मीरी स्त्री-पुरुष बड़े परिश्रमी हैं। ये लोग धान के लहराते हुए खेतों में बड़े परिश्रम से काम करते हैं। परिश्रमी कश्मीरी अपनी हस्त-कला के लिए भी प्रसिद्ध हैं। शालों, नमदों, गद्दों और गलीचों पर जो चित्र बनाये जाते हैं, वे कला के अच्छे नमूने कहे जा सकते हैं। टोकरियों का काम भी कला का अच्छा नमूना माना जाता है।

लकड़ी पर की गई नक्काशी तो बहुत प्रशंसनीय होती है। फलों का देश-कश्मीर अपने फलों के लिए सारे विश्व में प्रसिद्ध है। यहाँ के सेब, नाशपाती, चेरी, अखरोट, बादाम और खूबानी दूर-दूर तक जाती हैं।

उपसंहार

आज कश्मीर के प्राचीन रूप में बहुत परिवर्तन आ गया है। अब उग्रवादियों द्वारा की जाने वाली हत्या, अपहरण तथा अत्याचारों के कारण यात्री कश्मीर जाने में डरते हैं। फलस्वरूप कश्मीर का व्यापार चौपट-सा हो गया है। यात्रियों से होने वाली आमदनी बहुत घट गयी है। भारत सरकार को चाहिए कि वह अतिशीघ्र कश्मीर की ओर ध्यान देकर इसकी दशा सुधारने के लिए पूरा प्रयत्न करे।