दुर्गा मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं? नौ देवियों के नाम और उनकी पूजा के लिए मंत्र?

दुर्गा मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं: मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना भिन्न-भिन्न प्रकार से बड़े प्रेम भक्ति भाव से की जाती है नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है इसमें माता दुर्गा के नौ रूपों की भिन्न प्रकार से आराधना की जाती है। इस बार की चैत्र नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ होकर 24 अक्टूबर 2023 को समाप्त होंगी। दुर्गा के नौ रूप कौन कौन से हैं, दुर्गा माता के कितने अवतार है, मां दुर्गा का नया रूप कौन सा है, आज कौन सी देवी की पूजा है 2023 के बारे में जानेंगे

दुर्गा मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं

दुर्गा मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं
Maa Durga Ke No Rup Kaun Kaun Se Hai

पहली नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र प्रतिपदा में आरंभ होता है और यह चैत्र नवरात्रि के नाम से आयोजित किया जाता है और 9 दिन तक माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है इसी प्रकार दूसरी बार अश्विन के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि मैं मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना बड़े भक्ति भाव से की जाती है। इन दोनों नवरात्रि पर्वों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं मां दुर्गा के नौ रूपों के नाम और उनकी पूजा के लिए मंत्र इस प्रकार हैं।

Maa Durga Ke 9 Rup

S. No.मां दुर्गा के नाममंत्र
1.शैलपुत्रीॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।
2.ब्रह्मचारिणीॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।
3.चंद्रघंटाॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।
4.कुष्मांडाॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।
5.स्कंदमाताॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:।
6.कात्यायनीॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:।
7.कालरात्रिॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।
8.महागौरीॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।
9.सिद्धिदात्रीॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:।

1. प्रथम स्वरूप ‘शैलपुत्री

दुर्गा मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं
शैलपुत्री

इस बार नवरात्रि का पर्व 22 मार्च 2023 से प्रारंभ होगा और इस दिन भक्तगण घटस्थापना के द्वारा माता दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा अर्चना करते हैं सेल का क्या अर्थ है सेल का अर्थ है हिमालय और पर्वत माता दुर्गा ने हिमालय के यहां जन्म लिया था इस वजह से इन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है भगवान शंकर की पत्नी माता पार्वती के रूप में भी जाना जाता है माता शैलपुत्री की पूजा के लिए मंत्र।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।

2. दूसरा रूप ‘ब्रह्मचारिणी’

दुर्गा मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं
ब्रह्मचारिणी

माता दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन किए जाने का विधान बताया गया है ऐसा बताया गया है कि पार्वती जी को भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की क्योंकि उनकी तपस्या हजारों वर्ष तक चली इस कारण वश उन्हें तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी के नाम से भी जाना जाता है माता ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए मंत्र।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।

3. तीसरा रूप मां ‘चंद्रघंटा’

दुर्गा मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं
चंद्रघंटा

दुर्गा माता के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा देवी की पूजा अर्चना बड़े प्रेम भक्ति भाव से नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है माता दुर्गा के इस स्वरुप में इनके मस्तक पर अर्ध चंद्रमा इनके मस्तक पर विराजमान है इनके स्वरूप में माता दुर्गा के 10 हाथ हैं और इनके दसों हाथों में शस्त्र सुसज्जित हैं माता के इस स्वरूप की पूजा करने पर एक अलग प्रकार की शांति मिलती है। पूजा अर्चना के लिए मंत्र-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।

4. चौथा रूप ‘कूष्मांडा’

दुर्गा मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं
कूष्मांडा

माता कुष्मांडा की पूजा अर्चना नवरात्रि पर्व के चौथे दिन बड़े प्रेम भक्ति भाव से की जाती हैं ऐसा माना जाता है कि जब सृष्टि की उत्पत्ति से पहले चारों तरफ अंधकार फैला हुआ था तब माता दुर्गा ने इस अंडर यानी ब्रह्मांड की रचना की इसी कारण वश इन्हें कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। माता कुष्मांडा की पूजा के लिए मंत्र।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।

5. पांचवां रूप ‘मां स्कंदमाता’

दुर्गा मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं
स्कंदमाता

स्कंदमाता जोकि दुर्गा माता की पाँचमे स्वरूप की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है ऐसा माना जाता है की इनके पुत्र कार्तिकेय 6 मुख वाले षडानन का नाम है स्कंद जोकि कार्तिकेय जी का दूसरा नाम है उनकी माता होने के कारण उनका नाम स्कंदमाता पड़ा। माता दुर्गा के इस स्वरुप में उनके 4 भुजाएं हैं स्कंदमाता की पूजा के लिए मंत्र।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:।

6. छठा रूप ‘मां कात्यायनी’

दुर्गा मां के नौ रूप कौन-कौन से हैं
कात्यायनी

माता दुर्गा के छठवे स्वरूप कात्यायनी की पूजा अर्चना नवरात्रि के छठे दिन की जाती हैं ऐसा माना गया है कि माता के इस स्वरूप की पूजा करने पर आपको धर्म अर्थ काम और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती हैं। इन्होंने कातिक गोत्र के महेश्वरी कात्यायन के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया था इस वजह से इनका नाम कात्यायनी पड़ गया। माता कात्यायनी की पूजा के लिए मंत्र।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:।

7. सातवां रूप ‘मां कालरात्रि’

मां कालरात्रि
कालरात्रि

माता दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा अर्चना नवरात्रि पर्व के सातवें दिन बड़े भक्ति भाव से किए जाने का विधान है। माता दुर्गा के इस स्वरुप को तमाम असुर शक्तियों का विनाशक माना जाता है माता के इस रूप में माता के तीन नेत्र हैं बताया गया है। इनकी चार भुजाएं हैं और चारों भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र सुसज्जित हैं। माता कालरात्रि की पूजा के लिए मंत्र-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।

8. आठवां रूप ‘मां महागौरी’

मां महागौरी
महागौरी

दुर्गा माता के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन बड़ी भक्ति भाव से किए जाने का विधान है। इनके नाम से ही यह स्पष्ट होता है कि गौरी सफेद स्वरूप वाली इनके वस्त्र सफेद रंग के होते हैं इनका वाहन बैल बताया गया है। माता के इस स्वरूप में माता की चार भुजाएं हैं। माता महागौरी की पूजा का मंत्र।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।

9. नौवां रूप ‘मां सिद्धिदात्री’

मां सिद्धिदात्री
सिद्धिदात्री

माता दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना नवरात्रि पर्व के नौवें दिन बड़ी प्रेम भक्ति से किए जाने का विधान है। आपको इनके नाम से ही स्पष्ट हो रहा होगा की सिद्धियों की देवी। इसका मतलब यह है कि दुर्गा जी के इस स्वरूप को सिद्धियों वाली देवी माना गया है माता के इस स्वरूप का वाहन सिंह बताया गया है इसमें माता की चारभुजा के बारे में बताया गया है। माता सिद्धिदात्री की पूजा के लिए मंत्र।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:।

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