मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है:- मकर संक्रांति का त्यौहार हर वर्ष जनवरी माह की 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है भारतवर्ष में विभिन्न धर्म के लोग रहते हैं परंतु यह पर्व हिंदू धर्म के लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं इस दिन तिल और गुड़ से बनी चीजें को ग्रहण करते हैं। भारत देश में अनेकों त्योहार मनाए जाते हैं परंतु कुछ ऐसे त्यौहार भी हैं जिनका पौराणिक रूप और वैज्ञानिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण होता है। मकर संक्रांति के दिन लोग पतंगबाजी का भी लुफ्त उठाते हैं।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है

मकर संक्रांति के अन्य नाम
जगह के नाम | मकर संक्रांति के नाम |
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उत्तर प्रदेश | खिचड़ी पर्व |
गुजरात | उत्तरायण पर्व |
आंध्रप्रदेश | संक्रांति |
तमिलनाडु | पोंगल पर्व |
पश्चिम बंगाल | गंगा सागर मेला |
असम | भोगली बिहू |
राजस्थान | उत्तरायण पर्व |
बांग्लादेश | पौष संक्रान्ति |
नेपाल | माघी संक्रान्ति, खिचड़ी संक्रान्ति |
थाईलैण्ड | सोंगकरन |
लाओस | पि मा लाओ |
म्यांमार | थिंयान |
कम्बोडिया | मोहा संगक्रान |
श्रीलंका | पोंगल, उझवर तिरुनल |
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मकर संक्रांति की धार्मिक मान्यता
ऐसा माना जाता है की महाराज सागर के पुत्रों को मुक्ति दिलाने के लिए भागीरथ जी ने देवी गंगा को पृथ्वी पर आने पर विवश कर दिया। मकर संक्रांति के दिन भागीरथी की तक केबल पर भगवान विष्णु के अंगूठे से गंगा माता पृथ्वी पर भागीरथी जी के पीछे चलकर उनके आश्रम से होते हुए सागर में मिल गई थी इस वजह से तभी से बंगाल में गंगासागर के पास कपिल मुनि के आश्रम के पास एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसे हम गंगासागर मेले के नाम से भी जानते हैं।
मकर संक्रांति की वैज्ञानिक मान्यता
वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य का इस दिन उत्तरायण होता है। इस दिन के बाद से सूर दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर मुड़ जाता है सूर्य का इस दिन मकर राशि में प्रवेश होता है। इससे पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में झुक जाता है इस वजह से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है दक्षिणी गोलार्ध में झुकने की वजह से अंधेरा जल्दी हो जाता है जब सूर उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करता है तो दिन धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और रात धीरे-धीरे छोटी होने लगती है।
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मकर संक्रांति पूजा विधि
यह पर्व हिंदू धर्म के लोग विशेष रूप से मनाते हैं हिंदू धर्म में हर पर्व को मनाने के लिए कोई ना कोई पूजा विधि अवश्य होती है मकर संक्रांति पर्व को कैसे बनाएं उसकी पूजा विधि के बारे में नीचे दर्शाया गया है-
- मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है इसलिए आपको सबसे पहले पूर्ण काल और महा पूर्ण काल का मुहूर्त निकालना होगा और पूजा के स्थान को शुद्ध करना होगा।
- एक पूजा की थाली में काली तिल और सफेद तिल के 5 मार्च लड्डू रख ले और कुछ चढ़ावे के लिए पैसे भी थाली में रख ले।
- पूजा की थाली में चावल का आटा हल्दी सुपारी पान के पत्ते फूल अगरबत्ती और शुद्ध जल रख ले
- पूजा की थाली भगवान सूर्य को चढ़ाने के बाद सूर्य भगवान की आरती कर ले।
- सूर्य भगवान की पूजा के लिए मंत्र ‘ॐ हरं ह्रीं ह्रौं सह सूर्याय नम’ का उच्चारण 108 बार करें।
मकर संक्रांति पूजा के लाभ
- संक्रांति के दिन स्नान करके शरीर शुद्ध और आध्यात्मिक भावनाओं से भर जाता है जिससे शरीर की कार्य क्षमता बढ़ जाती हैं।
- मकर संक्रांति के दिन पूजा करते वक्त आपके शरीर में एक अलग ही ऊर्जा का संचार होता है जिससे आध्यात्मिक भावनाएं बढ़ जाती हैं।
- मकर संक्रांति के दिन से शुभ कार्य को करने से आपको आपके कार्य में सफलता की प्राप्ति होती है।
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