मित्र की माता जी के आकस्मिक निधन पर संवेदना प्रकट करते हुए पत्र (Mitra ki Mata ji ke Nidhan par Samvedna Patra) :- अपने प्रिय मित्र की माता जी का आकस्मिक निधन होने पर संवेदना प्रकट के लिए पत्र लिखें। अपने प्रिय मित्र की माता जी का स्वर्गवास का समाचार मिलने के बाद अपने मित्र को संवेदना प्रकट करने के लिए पत्र।
मित्र की माता जी के आकस्मिक निधन पर संवेदना प्रकट करते हुए पत्र

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S-301 सदर बाजार
झाँसी
प्रिय अशोक,
नमस्कार।
दिनांक –
अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। पत्र में तुम्हारी पूज्य माता जी के स्वर्गवास का शोक समाचार पढ़कर हृदय को भारी आघात पहुँचा। जब तुम छोटे ही थे, तभी तुम्हारे पिताजी की मृत्यु हो गई थी। तब तुम्हारी माताजी पर ही समस्त परिवार के पालन-पोषण का भार आ पड़ा था। अनेक कष्ट सहन करके भी उन्होंने तुम्हारे अध्ययन को जारी रखा। मैं स्वप्न में भी नहीं विचार कर सकता था कि तुम्हारे सिर से उनकी स्नेह-छाया इतनी जल्दी उठ जायेगी।
मित्रवर; काल का चक्र बड़ा बलवान् है। विधि के विधान को कोई रोग नहीं सकता। जन्म और मरण ईश्वर के हाथ में हैं-
“हामि लाभ जीवन-मरण यश-अपयश विधि हाथ।”
विपत्ति में धैर्य ही व्यक्ति का सबसे बड़ा सहायक होता है। “धीरास्तरन्ति विपदं न तु दीन चिसाः।” अतः तुम धैर्य का आश्रय लेकर अपने आगे का कार्यक्रम जारी रखो। प्रभु से प्रार्थना है कि वह तुम्हें असीम धैर्य दे और इस विपत्ति को सहने की शक्ति प्रदान करें तथा स्वर्गीय माता जी की आत्मा को शान्ति दे।
अब छोटे भाई बहनों का समस्त भार भी तुम्हारे कन्धों पर है। अतः तुम्हें धैर्य की और सूझबूझ की ही अधिक आवश्यकता है। उसी से “तुम को पार कर सकोगे। संकट सागर मेरे योग्य कोई सेवा हो तो लिखने में संकोच ने करना।
तुम्हारा स्नेही मित्र कमलेश
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