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मोटापा क्यों बढ़ता है, कारण, लक्षण, प्रकार, आहार, रोकथाम और दुष्परिणाम

मोटापा क्यों बढ़ता है, कारण, लक्षण, प्रकार, आहार, रोकथाम और मोटापे का दुष्परिणाम बहुत ही घातक हो सकता है। मोटापे का अर्थ है- शरीर के भार (वजन) में, अत्यधिक वृद्धि होना। शरीर के वजन में अस्वाभाविक ढंग से बढ़ोत्तरी व चर्बी का बढ़ना मोटापा (Obesity) कहलाता है। वस्तुतः मोटापा मृत्यु को समय से पहले बुलाने की तैयारी है। वैसे तो भगवान ने सबको सुन्दर बनाया है, परन्तु मनुष्य जान-बूझकर भूलें करके मोटापे का शिकार हो जाता है। मोटापा सम्पन्न वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग का रोग है।

मोटापा क्यों बढ़ता है, कारण, लक्षण, प्रकार, आहार, रोकथाम और दुष्परिणाम

मोटापा क्यों बढ़ता है

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मोटापा का प्रकार

मोटापा प्रायः दो प्रकार के लोगों को होता है-

1. पहला समूह

पहले समूह में वे लोग होते हैं जो स्वभावत: क्रोधी, लोभी और तेजी से अधिक मात्रा में खाने वाले हैं। क्योंकि भोजन का प्रयोग अपनी अपूर्ण महत्त्वाकांक्षाओं एवं इच्छाओं को पूर्ण करने के लिये करते हैं। ऐसे व्यक्तियों में उत्तेजनात्मक व्यक्तित्व की प्रधानता होती है।

2. दूसरा समूह

दूसरे समूह में वे गृहणियाँ आती हैं जो अपनी ऊब अथवा नीरसता को दूर करने का विकल्प भोजन को मानती हैं। अतः वे लगातार खाती रहती हैं। इनमें जड़ता, आलस्य तथा सुस्ती अधिक होती है। जैसे-जैसे उनका वजन बढ़ता जाता है, उनमें खिन्नता बढ़ती जाती है क्योंकि बेडौलपन उनकी सुन्दरता को बिगाड़ देता है। अपनी खिन्नता को दूर करने के लिए वे पहले से अधिक खाने लगती हैं। वस्तुतः कुण्ठाजनित निराशा ही अति आहार का कारण हैं।

वर्गीकरण

शरीर विज्ञान के आधार पर मोटापे को दो भागों में बाँटा जा सकता है-

  1. वह मोटापा जो भोजन पाचन-संस्थान की गड़बड़ी से जुड़ा है।
  2. दूसरा वह मोटापा है जो मस्तिष्क की गाँठ, संक्रमण तथा आघात से जुड़ा है। पिट्यूटरी, थायराइड, ओवरीज, पैंक्रियाज, एड्रिनल, अंतस्रावी ग्रन्थि में विकृति से मोटापा बढ़ जाता है। शरीर में जगह-जगह चर्बी की गांठ जमा होकर लाइपोमाटोसिस मोटापा पैदा करता है।

मोटापे का दुष्परिणाम

श्वास की गति बढ़ जाती है, कार्यक्षमता घट जाती है। मोटापे के कारण हृदय पर दबाव-सा बना रहता है। कोलेस्ट्रॉल नाड़ियों में जम जाता है। उन सबकी वजह से गैस, कब्ज, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, जोड़ों में दर्द, अपेण्डिस, हृदय रोग, दमा, कैंसर, गठिया, साइटिका, बेरीकॉस वेन्स, हर्निया, गाल ब्लेडर तथा गुर्दे (किडनी) की पथरी, केलिसिस्टाइटिस लोवर की वृद्धि, उदर तथा जंघा की त्वचा पर लाल, सफेद तथा बैंगनी भारियाँ हो जाती हैं जो त्वचा को कुरूप बना देती है। डायफ्राम ऊँचा उठ जाने से फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगता है अतः ब्रोंकाइटिस तथा साँस फूलने की शिकायत शुरू हो जाती है।

मोटापे का कारण

  1. कार्बोहाइड्रेट अर्थात् रोटी, चावल, आलू का अधिक मात्रा में खाना, तली-भुनी और चिकनी जैसे पूड़ी, पकौड़ी, चाट, समोसे, परांठे आदि का अधिक खाना। पाचक शक्ति से अधिक खाना, बिना भूख लगे भी बार-बार खाना आदि मोटापे (मोटापा क्यों बढ़ता है) को बढ़ाते हैं।
  2. थायराइड ग्रन्थि जो शरीर के चयापचय (मेटाबोलिज्म) में सहायक होती है, उसका ठीक प्रकार से कार्य न करना।
  3. उचित व्यायाम न करना, थोड़ा चलने एवं श्रम करने से घबड़ाना, अधिक समय तक बैठे रहने से भोजन नहीं पचता तथा चर्बी बढ़ने लगती है।
  4. सेक्स हार्मोन के असन्तुलन विशेष रूप से परिवार नियोजन सम्बन्धित शल्य कर्म या मासिक धर्म बन्द होने के बाद भी मोटापा बढ़ता है।

मोटापे के लक्षण :

  1. शरीर के सारे अंग बेडौल, थुलथुल दिखने लगते हैं।
  2. अंग-प्रत्यंग में व्यर्थ की चर्बी तथा विजातीय पदार्थों का जमाव होने लगता है।
  3. थोड़े से श्रम से थक जाना।
  4. चलने में हाँफना।
  5. पसीना अधिक आना।
  6. साँस लेने में तकलीफ होने लगना।

यौगिक चिकित्सा

मोटापे को कम करने का एक ही विशुद्ध एवं वैज्ञानिक तरीका योग चिकित्सा है। इसके साथ ही शरीर में संचित कैलोरी की ऑक्सीकरण क्रिया बढ़ाना तथा बाहर से अतिरिक्त कैलोरी नहीं लेने की प्रवृत्ति अपनानी चाहिये। यदि दृढ़ निश्चय के साथ प्रतिदिन योग का अभ्यास प्रारम्भ किया जाये तो मोटे (मोटापा क्यों बढ़ता है) व्यक्तियों का वजन कम होकर सामान्य स्तर पर आ सकता है।

आसन

योगासन मोटे व्यक्तियों में ऊर्जा के प्रवाह में आये अवरोधों को दूर कर प्राणों को मुक्त कराने में तथा अन्तःस्रावी ग्रन्थियों को सन्तुलित करने के लिए अति आवश्यक है। वजन कम करने के लिए कड़ी शारीरिक मेहनत कर पसीना बहाना आवश्यक नहीं है, क्योंकि यह पतले होने का सही तरीका नहीं है। आसनों द्वारा तेजस्विता में धीरे-धीरे किन्तु निश्चित रूप में वृद्धि होती है।

इसके लिए मोटे व्यक्ति को निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करना चाहिये-

  1. पवनमुक्तासन
  2. पाद हस्तासन
  3. पश्चिमोत्तानासन
  4. उत्तानपादासन
  5. चक्रासन
  6. शलभासन
  7. भुजंगासन
  8. सर्वांगासन
  9. धनुरासन
  10. हलासन
  11. मत्स्यासन
  12. सूर्य नमस्कार

प्राणायाम

  1. भ्रामरी प्राणायाम
  2. नाड़ी शोधन प्राणायाम – उक्त प्राणायाम तेजस्विता की पुनर्प्राप्ति करने के लिए उपयोगी हैं।
  3. भस्त्रिका प्राणायाम

यह प्राणायाम चयापचय को बढ़ाता है और वसा को कम करता है। बिना थके अधिकतम आसन-प्राणायाम का अभ्यास आनन्द और शिथिलता के साथ करना चाहिये परन्तु वे प्राणायाम जो भूख को बढ़ाते हैं, उन्हें नहीं करना चाहिये।

शिथिलीकरण

योगनिद्रा का अभ्यास सकारात्मक विचार के साथ नित्य प्रति करना चाहिये, प्रत्येक भोजन से पहले 10 मिनट का शवासन का अभ्यास करना चाहिये, जिससे पाचन संस्थान एवं अन्य अंगों के तनाव तथा मानसिक व्यस्तता को दूर किया जा सके मोटे व्यक्तियों को योग निद्रा में अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है। क्योंकि तनाव की स्थिति में भोजन अधिक खा लिया जाता है।

आहार सम्बन्धी सुझाव

मोटे व्यक्तियों को उपवास करने के लिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि उपवास समाप्त होने पर वे प्रतिक्रिया स्वरूप पहले से अधिक मात्रा में भोजन खा लेते हैं जिसके कारण उपवास का प्रयोजन ही बेकार हो जाता है। वर्तमान युग में समाज को भूख और शारीरिक आवश्यकता के अनुसार खाने के महत्व की शिक्षा देना आवश्यक हो गया है।

अपने मोटापे (मोटापा क्यों बढ़ता है) से छुटकारा पाकर शरीर को सुडौल बनाने के लिए बसा जनति कम कैलोरी वाली कण्ट्रोल्ड डायट अपनाना चाहिये, क्योंकि यह वैज्ञानिक भी है और सुरक्षित भी। अतः सन्तुलित कैलोरी वाली आहार वाली योजना नीचे बताई जा रही है।

सन्तुलित कैलोरी आहार

वस्तुतः मोटे लोगों को कार्बोहाइड्रेट तथा वसा वाले आहार कम से कम लेना चाहिये। 60 से 100 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 40 से 50 ग्राम प्रोटीन तथा 10 से 15 ग्राम वसा वाले आहार लेने चाहिये। भोजन में दूध, दही या छाछ अवश्य लेनी चाहिये। आहार व्यवस्था निम्नवत् रखें-

प्रातः काल

पहले कम से कम 3-4 गिलास पानी पीकर 10 मिनट बाद शौच को जायें। आसन या टहलने जाने से पूर्व एक नीबू, एक गिलास गरम पानी तथा 20 ग्राम शहद मिलाकर पियें। इसमें क्रमश: नीबू एवं शहद से 16+64 = 80 कैलोरी प्राप्त होंगी। आसन या टहलकर आने के बाद नाश्ते में 250 ग्राम पपीता (80 कैलोरी) एक गिलास (60 कैलोरी), मुनक्का 10 ग्राम (30 कैलोरी) लें। इस प्रकार कुल 170 कैलोरी प्राप्त हो जायेंगी।

दोपहर का भोजन

पालक के रस में 2 घण्टे पूर्व गूंथी हुई 30 ग्राम चोकरदार मोटे आटे को एक रोटी ( 105 कैलोरी), 3/4 कटोरी अर्थात् 100 ग्राम कणीयुक्त उसना चावल का भात (70 कैलोरी), 200 ग्राम पत्ते वाली सब्जी एक कटोरी (90 कैलोरी), 100 ग्राम दही (60 कैलोरी), सलाद 200 ग्राम (80 कैलोरी), पकाने में 5 ग्राम तेल अथवा घी (45 कैलोरी). अंकुरित अनाज 25 ग्राम (80 कैलोरी), 20 ग्राम नारियल, धनिया, आँवला, लहसुन तथा अंकुरित अनाज को पीसकर बनाई चटनी (60 कैलोरी) । इस प्रकार दोपहर के भोजन में कुल कैलारी 566 प्राप्त होंगी।

3 बजे

ऋतु अनुसार संतरा 150 ग्राम (72 कैलोरी) अथवा टमाटर 300 ग्राम (60 कैलोरी) या अमरूद 150 ग्राम (77 कैलोरी) या अनार 250 ग्राम (98 कैलोरी) या सेब 150 ग्राम (90 कैलोरी) या आलू बुखारा 150 ग्राम (7 कैलोरी) अथवा पपीता 200 ग्राम (64 कैलोरी से 98 कैलोरी) तक प्राप्त होगी।

4.30 बजे

सब्जियों का सूप (45 कैलोरी) अथवा 75 ग्राम दही में 125 ग्राम पानी मिलाकर 200 ग्राम छाछ (45 कैलोरी) अथवा नारियल का पानी 200 मिली. (50 कैलोरी)। इससे सामान्यतः 45-50 कैलोरी प्राप्त होंगी।

शाम का भोजन

6 से 7 बजे के बीच एक रोटी 30 ग्राम आटे की (105 कैलोरी), सब्जी 200 ग्राम (80 कैलोरी), दही 100 ग्राम (60 कैलोरी), पकाने के लिए 5 ग्राम घी या तेल (45 कैलोरी), चटनी 50 ग्राम (60 कैलोरी)। इसमें 350 कैलोरी प्राप्त होंगी। 9.30 बजे रात 150 मिली. दूध (90 कैलोरी)

निषेध

  • चाय, चीनी, कॉफी, टॉफी, चाकलेट, नमकीन आहार, माँस, मछली, अण्डा, चटपटे, तले भुने, मिर्च मसाले वाले आहार का सेवन न करें।
  • उपरोक्त आहार योजना से शरीर के लिए आवश्यक आधारीय ऊर्जा 1170 कैलोरी तक प्राप्त हो जाती हैं जिससे रोगी को किसी प्रकार की कमजोरी या बेचैनी महसूस नहीं होती। साथ-साथ वजन भी कम होता चला जाता है।

यौगिक चिकित्सा, आहार सम्बन्धी नियमों के पालन के साथ मनोवैज्ञानिक चिकित्सा भी बड़ा लाभ देती है । अतः इस पर भी चर्चा अनिवार्य है।

मनोवैज्ञानिक चिकित्सा

  1. कभी खाली नहीं बैठें। किसी न किसी काम में अपने को व्यस्त रखें क्योंकि खाली बैठने पर व्यक्ति कुछ न कुछ खाता ही रहता है।
  2. दृढ़ संकल्प करें कि महीने में 2 से 3 किग्रा. वजन कम करना ही है फिर उसको पूरा करने का पूरा प्रयास करें।
  3. डाइनिंग टेबल पर अनेक प्रकार के भोज्य पदार्थ न रखें क्योंकि उन्हें चखने पर व्यक्ति ज्यादा खा लेता है। एक बात ध्यान में रखना आवश्यक है कि मोटापा एक खतरनाक।
  4. रोग है । इसका बार-बार बढ़ते चढ़ते रहना उससे भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इससे रक्त वाहिनियों तथा अन्य अंग क्षतिग्रस्त होकर अनेक असाध्य रोग उत्पन्न कर देते हैं।
  5. बगैर पूरी तरह भूख लगे कुछ भी न खायें। जीभ के स्वाद के चक्कर में बगैर भूख के भी लोग खाते रहते हैं और मोटापा बढ़ा लेते हैं।
  6. भोजन करने से पहले खूब सलाद खा लें अतः फिर ज्यादा मात्रा में भोजन नहीं खाया जा सकेगा।
  7. पैदल अधिक से अधिक चलने का प्रयास करना चाहिये। इससे मोटापा बढ़ने नहीं पायेगा वरन् कम ही होगा।
  8. मोटे लोगों को दोपहर में बिल्कुल नहीं सोना चाहिये।
  9. खाने की इच्छा हो, उस समय एक गिलास पानी पीकर टहलना चाहिये। भोजन के बाद दिन में ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिये । इससे वसा गलती है और शरीर के दूषित तत्व बाहर निकल जाते हैं।
  10. एक समय में एक ही प्रकार का आहार लें, इससे अति नहीं होगी।
  11. आलू, केला, आम वजन नहीं बढ़ाते वरन् उनका गलत ढंग से प्रयोग वजन बढ़ाता करना चाहिये। ये पूर्ण भोजन हैं अतः इनका इसी रूप में सेवन।
  12. का दहन करने के लिये अधिक श्रम की जरूरत होती है। अतः अधिक से अधिक श्रम करने का प्रयास करना चाहिये।
  13. नीला, भूरा तथा ठंडे रंग भूख को शान्त करते हैं अतः इनका डायनिंग रूम में प्रयोग करना चाहिये । लाल, पीला, नारंगी जैसे तीखे रंग भूख को बढ़ाते हैं, अतः मोटे लोग इनका प्रयोग न करें।

रोकथाम

  1. वजन बढ़ते ही नियमित रूप से योगासन, सैर, व्यायाम अवश्य करें।
  2. मानसिक तनाव से बचें।
  3. भूख से कम ही खायें। ज्यादा खाने का प्रयास तो बिल्कुल न करें। अपनी भोजन की ललक एवं जीभ पर नियंत्रण रखें।

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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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