नकली दवाओं की पहचान कैसे करें? और क्या बरते सावधानी?

आज के समय में नकली दवाओं की पहचान कैसे करें: यह बेहद चिंतित करने वाला तथ्य है कि अपने देश में नकली दवाओं का कारोबार 4000 करोड़ से ऊपर तक जा पहुँचा हैं नकली दवाओं (Nakli Dawa Ki Pehchan Kaise Kare) के इस कारोबार पर प्रभावी अंकुश नहीं लगा, तो फिर मरीजों की जिंदगी मौत के ही हवाले है। आज के समय में नकली दवाओं के बीच असली दवा पहचानना बहुत मुश्किल है। दवा लेते समय कुछ सजगता बरते और कुछ बातों का ध्यान रखे। दवाई असली है या नकली कैसे पता करें?

नकली दवाओं की पहचान कैसे करें

नकली दवाओं की पहचान कैसे करें
Nakli Dawa Ki Pehchan Kaise Kare

Nakli Dawa Ki Pehchan Kaise Kare

एक चिकित्सकीय अध्ययन के अनुसार भारत विश्व में नकली दवाओं के प्रमुख उत्पादकों में से एक है। देश में बनी 10 में से एक दवा नकली है। नकली दवाओं का खामियाजा सबसे ज्यादा मरीज तो भुगतता ही है, पर जब मरीज की हालत में सुधार नहीं होता, तो इससे डाक्टर और असली दवाएं बनाने वाली कंपनियों की साख पर भी बट्टा लगता है। मरीज बेचारा कहां जानता है कि सिरदर्द व बदन दर्द दूर करने के लिए वह जिस दवा का सेवन कर रहा है, वह नकली है। अधिकतर दर्द निवारक दवाओं में पैरासीटामोल की जगह चॉक होता है।

कानूनी कदमों और सरकार के प्रयासों के अलावा अब प्रतिष्ठित दवा कंपनियों ने भी इन नकली दवाओं को चलन से बाहर करने के लिए अपनी ओर से एक सार्थक पहल की है। जाहिरा तौर पर नकली दवाओं की पहचान मुश्किल है, इसिलए ये कंपनियां ऐसे कदम उठा रही हैं, जिनके कारण उपभोक्ताओं को नकली दवाओं के जाल में फँसने से बचाया जा सके। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए एक प्रतिष्ठित दवा कंपनी ने पहल की है। कंपनी ने बुखार से राहत दिलाने वाली एक लोकप्रिय औषधि को एक 3-डी होलोग्राम पैक में पेश किया है। यह परिष्कृत 3-डी होलोग्राम देश में अपनी किस्म का पहला ब्रांड है।

इस पैक को उपभोक्ताओं और दवा विक्रेताओं द्वारा बेहद सराहा गया है। क्योंकि यह जाली विकल्पों से बचाने की सूचना से सज्जित है। इस औषधि के होलोग्राम पैक में फ्लिप-फ्लॉप काइनेटिक प्रभाव, 2डी+ 3डी प्रभाव के साथ भाइक्रोटेक्स्ट जैसी विशेषताओं का भी प्रयोग किया गया है। इस वजह से इस दवा का जाली रूपांतरण तैयार नहीं किया जा सकता।

सजगता बरतें

  • दवा की पैकेजिंग और लेवलिंग पर गौर करें।
  • प्रतिष्ठित व साख वाले मेडिकल स्टोर्स से ही दवा खरीदें।
  • दवा के आकार, रंग और उसके साइड इफेक्ट्स के बारे में चिकित्सक से जानकारी प्राप्त करें।
  • सिर्फ लाइसेंसधारी दवाखानों से ही दवा की खरीददारी करें।
  • बिल, केशमेमो या रसीद लेने पर जोर दें। इनके बगैर दवा न खरीदें।
  • जाली दवाओं के बारे में सूचना संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाएं।

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